मैं!आंटी सी दिखती हूँ!!
मैं!आंटी सी दिखती हूँ!!
एक दिन एक दुकान पर मैं भी कुछ सामान ले रही थी।मैंने दुकानदार से कहा "भईया...... थोड़ा जल्दी करिए।मैं अपने बच्चों को घर पर छोड़कर आयी हूँ।" तबतक पीछे से आवाज आई "अरे भाई! आंटी जी को जल्दी फ्री करना फिर मुझे देना।"....मैंने पलट कर देखा तो ओ आदमी मुझसे उम्र में बहुत बड़ा था। मैंने धीरे से कहा
"अंकल जरा मेरा समान स्कूटी में टांग देना, मेरे हाथ मे बहुत तेज दर्द है।"यह सुनकर वह भी चौक गया।उसे पता होना चाहिए कि "ईँट का जवाब पत्थर से मिल गया। उसने कुछ नहीं कहा।लेकिन मुझे मेरे पहनावे और मेरी सादगी में ही अपनी कमी दिखने लगी। फिर मैंने अपने ऊपर थोड़ा ध्यान देना शुरू किया। मैंने अपनी सादगी को एक पल के लिए त्याग दिया और मॉर्डन कपड़े पहनना शुरू कर दिया।कपड़े के साथ हेयर स्टाइल भी सब कुछ बदल दिया।
जिम में जाकर एक घण्टे पसीना बहाना........ये सब शुरू हुआ।हाँ एक बात है।कुछ अच्छे कमेंट्स आते तो कुछ बहुत ही गन्दे।एक दिन मैं फिर से इसी सोच में डूबी हुई थी कि मेरी बेटी ने मुझे आवाज दिया "माँ ये देखो ये हीरोइन तो आप जैसी लग रही है।" मैने भी उसकी हाँ में हां मिलाई।और फिर से अपने सादगी में वापस चली आयी।बहुत सुकून मिलता है।
मानो कितना बड़ा बोझ था मेरे लिए...मुझे आंटी बनने में ही आंनद आता है।अब सोसायटी में बहुत लोग हैं कोई .......आंटी तो कोई भाभी जी ,कोई बहन जी कहते हैं।कोई मुझसे बड़े हैं तो मेरे नाम से पुकारते हैं।एक मेरे ही बगल में आंटी हैं तो सबको आंटी बोलती हैं। एक दिन मैंने मज़ाक में बोल दिया "आंटी आप कहीं भूलकर ममता की जगह आंटी न बोल देना।"......आंटी ने मुस्कुराते हुए कहा "अरे नहीं ममता तुझे नही बोलूंगी।तू तो मुझे सुबह शाम बढ़िया सी अपने हाथ की चाय पिलाती है।मैं सबको जलाने के चक्कर मे बोलती हूँ।"
अरे आंटी मुझे पता है आपकी आदत ......राह चलते सबका मजा लेती रहतीं है।आपका यही अंदाज तो अच्छा लगता है। आप अपने हँसी मजाक का असर मेरे ऊपर भी डाल रहीं हैं।"