मायका
मायका
आज रामकिशोर जी बहुत खुश थे, उनके छोटे बेटे का विवाह जो था। उनके दो पुत्र थे बड़े की शादी एक उच्च खानदान में करवाई थी, हालांकि बहु अच्छी थी किंतु बड़े घर की होने के कारण उसे मध्यम वर्गीय रामकिशोर जी के घर में कुछ समस्याएं होती थीं।
अतः रामकिशोर जी ने निश्चित किया छोटे बेटे की शादी अनाथाश्रम की कन्या से करूँगा ताकि वह मेरे घर को संभाल सके। अपने ही शहर के एक कन्या आश्रम की बेटी नन्दिनी से उन्होंने छोटे बेटे का विवाह निश्चित किया। नन्दिनी स्वभाव से शांत उन्हें पहली ही नज़र में भा गयी थी।
विवाह उपरांत नन्दिनी का गृह प्रवेश हुआ सारी रस्में हुई। धीरे धीरे समय बीतता गया, बीतते समय के साथ नन्दिनी भी रामकिशोर जी के घर में रच बस गयी।
प्रति वर्ष जब भी राखी आती सावन का त्योहार आता तो नन्दिनी की जेठानी दिव्या अपने मायके चली जाती।
नन्दिनी को उस समय लगता काश उसका भी भाई होता जिसे वह राखी बांधती जो उसे सावन में लेने आता और वह भी मायके जाती पर खैर हकीकत कुछ और थी।
जब भी करवा चौथ का व्रत होता दिव्या की माँ उसे फ़ोन पर सब समझाती। दिव्या की जब पहली डिलीवरी होने वाली थी तो वो अपने मायके गयी थी, वहीं उसकी गोद भराई भी हुई, तब पहली बार अपनी सास के साथ नन्दिनी भी दिव्या के मायके गयी थी।
कुछ समय बाद नन्दिनी ने सभी घरवालों को खुशखबरी दी कि वह भी माँ बनने वाली है, नन्दिनी के पति उसका खूब ध्यान रखते। कभी कभी नन्दिनी की आंखें ये सोचकर भर आती की मेरी गोद भराई में कौन रस्में करेगा कौन मेरे बच्चे को नानी की तरह प्रेम करेगा।
नन्दिनी की गोद भराई का दिन भी आ गया, दिव्या के मायके वाले भी आयोजन में शामिल हुए, दिव्या की माँ नन्दिनी के होने वाले बच्चे के लिये सोने की चेन लेकर आई थीं। उन्होंने नन्दिनी के सिर पर हाथ फेरकर कहा बेटी मेरा मन तो था कि तेरी गोद भराई भी अपनी दिव्या की तरह अपने घर पर करूँ पर तेरी सासू माँ ने कहा मेरी नन्दिनी की गोद भराई तो यहीं होगी।
दिव्या की माँ ने कहा जैसे वो मायका दिव्या का है वैसे ही तेरा भी है। तभी नन्दिनी की सास ने नन्दिनी के सिर पर हाथ फेरकर कहा मेरी बेटी है नन्दिनी मैं भी तो उसकी माँ ही हूँ।
नन्दिनी मन ही मन सोचने लगी, सच तो है दिव्या का मायका तो उसका मायका है ही, लेकिन आज तक उसकी सासू माँ ने जो प्रेम दिया वह भी मायके से कम नहीं नन्दिनी को लगा जैसे वह अपने मायके में ही है।
उसकी सास और दिव्या की माँ दोनों उसके सिर पर हाथ फेर आशीर्वाद देने लगीं और कार्यक्रम में मौजूद सभी लोगों की आंखें भर आईं।