" मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर "
" मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर "
दोस्तों हमारा आज का विषय है हमारा प्रिय खिलाड़ी। वैसे तो सब में अपनी अपनी खूबी है फिर भी कोई ना कोई किसी ना किसी का प्रिय खिलाड़ी बन जाता है। मुझे तो सभी खिलाड़ी पसंद है।
जैसे कि सचिन तेंदुलकर, महेंद्र सिंह धोनी, सानिया नेहवाल, विश्वनाथन आनंद, कपिल देव, सुनील गावस्कर, हरभजन सिंह, सानिया मिर्जा ऐसे बहुत से दिग्गज खिलाड़ी है। जिन्होंने खेल में बड़ा नाम कमाया है और अपने साथ-साथ देश की प्रतिष्ठा को भी चार चांद लगाया है। लेकिन जरा सोचिए अगर सचिन तेंदुलकर क्रिकेटर नहीं होते तो क्या होता ? चलिए तो कहानी शुरू करते हैं
बात दिनों की है जब सचिन तेंदुलकर छोटे थे और कपिल देव, सुनील गावस्कर को टीवी पर मैच खेलते हुए देखते थे। उन्हें क्रिकेट बचपन से ही देखना और खेलना बहुत पसंद था। जब भी उन्हें भी समय मिलता वे अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने चले जाते थे।
1 दिन सचिन की खुशी का ठिकाना नहीं रहा जब उन्हें पता चला उनके पड़ोस में कपिल देव रहने आए हैं। वे खुश हो कर भागे भागे उनसे मिलने गए। सचिन ने उन्हें बताया कि कपिल अंकल मुझे आप बहुत पसंद हो। मैं हमेशा टीवी पर आपका मैच देखता हूं। मैं भी आपकी तरह बड़ा क्रिकेटर बनना चाहता हूं। यह सुनकर कपिल देव हंसते हुए बोले, हां बेटा अगर दिल लगाकर मेहनत करोगे तो एक दिन जरूर बनोगे।
सचिन ने यह बात गांठ बांध ली और वह खूब मेहनत करने लगे कड़ी परिश्रम से और लगातार अभ्यास से क्रिकेट खेलने में मास्टर हो गए। सचिन स्कूल जाने से पहले भी और स्कूल से आने के बाद में भी प्रैक्टिस करने लगे। दिन-ब-दिन मेहनत का यह परिणाम आया की छोटी सी उम्र में ही सचिन क्रिकेट में बड़े-बड़े मैच खेलने लगे।
एक दिन एक कार्टून मूवी मेकर वालों ने सचिन से कहा कि आपकी आवाज बहुत ही प्यारी है सॉफ्ट है हम आपकी आवाज़ को कार्टून कैरेक्टर के लिये लेना चाहते हैं। पहले तो सचिन ने ने साफ इंकार कर दिया। लेकिन जब बंदा पीछे ही पड़ गया तो उसका मन रखने के लिए सचिन ने हामी भर दी। कार्टून कैरेक्टर के रूप में उनकी आवाज सबको बहुत पसंद आने लगी।
देश विदेश के बहुत से कार्टून कैरेक्टर कि उन्होंने आवाज दी। उन्हें खुद को इसमें अच्छा लगने लगा और धीरे-धीरे उनकी दिलचस्पी इसमें बढ़ने लगी, लेकिन फिर उन्होंने यह बात नोटिस की, कि क्रिकेट में उनका ध्यान कम होता जा रहा है जिस वजह से वह बहुत बार डक आउट होते जा रहे है। तभी उन्होंने सब तरफ से अपना ध्यान हटा कर फिर से क्रिकेट पर ध्यान केंद्रित किया।
फिर तो एक के बाद एक रिकॉर्ड बनाते गए और मैच जीतते गए और इसी तरह उन्होंने क्रिकेट में अपना ऐसा नाम कमाया कि उन्हें "गॉड ऑफ क्रिकेट " की उपमा मिल गई। आज भी हम क्रिकेट का नाम लेते हैं तो सबसे पहले हमारे दिमाग में सचिन तेंदुलकर की ही छवि सामने आती है। सच में उन्होंने क्रिकेट को नई दिशा दी है। क्रिकेट की फील्ड में उनका योगदान अमूल्य है जो सदियों तक भुलाए नहीं भूलेगा।
