माफ करो आगे बढ़ो
माफ करो आगे बढ़ो
" माँ ,,,, माँ कहाँ हो" ??
खुशी से झूमती मधु हाथ में लिफाफा लिये अपनी माँ को घर के बाहर से ही चिल्ला- चिल्ला कर बुला रही थी। पर माँ के आने से पहले ही उसके साथ वाले घर में रहने वाली उसकी सगी ताई जी बाहर निकल आई और मधु से चिढ़ते हुये बोली....
" अब आज ऐसा क्या तीर मार लिया आज जो इतना चिल्ला रही हो, हजार बार कहाँ है कि लड़की हो लड़कियों की तरह चला ,उठा ,बैठा करो ,पर नहीं जब देखो तब लड़को की तरह साइकिल लेकर यहाँ से वहाँ मटकती रहती है।
और छोटी ने भी इसे समझाने की जगह सर पर चढ़ा रखा है। देवर जी होते तो बिटिया तुम कायदे में रहती। ताई जी की लाल मिर्ची सी तीखी बातें सुनकर मधु ने उन्हे कुछ करारा सा जबाव देने के लिये मुँह खोला ही था कि मधु की माँ बाहर आकर बात को टालते हुये बोली.....
" क्या हुआ बिटिया इतना क्यूँ चिल्ला रही हो? "
अपनी माँ का सवाल सुनकर मधु खुशी से अपनी माँ को पकड़ कर गोल घुमाते हुये बोली......
" माँ मेरी नौकरी लग गई, ये देखिये हमारी नियुक्ति का लेटर"
"क्या सच में" !! मधु की माँ खुश होकर आश्चर्य से अपने चेहरे पर दोनों हाथ रखते हुये बोलीं।
"हाँ माँ अब हम दोनों ये घर और यहाँ के आस पास के लोगों को छोड़कर शहर में जाकर रहेंगें। ताकि कोई भी अब आपको परेशान न कर सके।"
मधु के ऐसा बोलने पर उसकी ताई जी गुस्से में बोलीं...
"और वो कोई मैं हूँ, मैं खूब अच्छे से जानती हूँ बिटिया। जाओ तुम्हे जहाँ जाना हो मेरी बला से मुझे और मेरे परिवार को भी तुम दोनों की रखवाली करने से आजादी मिलेगी।"
और जितने गुस्से में वो बाहर आई थी, उतने ही गुस्से में वो अन्दर चली गई।
मधु एक छोटे से गाँव की वो होनहार लड़की है जिसने गाँव के स्कूल से शहर के स्कूल तक हमेशा प्रथम स्थान पाकर अपने गाँव का नाम रोशन किया है। उसके पापा बचपन में ही गुजर गये थे। अब उसकी माँ ही उसकी दुनिया है। जिन्हे उसने हमेशा मेहनत करते और अपनी ताई जी से ताने सुनते देखा है। इसलिये अब वो उन्हे दुनिया की हर खुशी देना चाहती है। पर आज फिर उसकी ताई जी ने उसकी माँ को बेटी की माँ होने का ताना सुना दिया जिससे मधु का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया। पर उसकी माँ ताई जी के गुस्से से मधु का मूड खराब होते देख खुश होते हुये बोली....
"अरे लाडो चलो इस पत्र को भगवान के चरणों में रखकर उनका आशीर्वाद लेलो। फिर में तुम्हारी पसंद की खीर बना कर तुम्हारा मुँह मीठा करवाती हूँ। "
अपनी माँ की बात सुनकर मधु अन्दर तो आ गई पर अन्दर आते ही अपनी माँ से बोली.....
"माँ मुझे समझ नहीं आता आप इतने सालों से ताई जी की कड़वी बातें क्यों सुन रहीं है? क्या आपको गुस्सा नहीं आता? आप खुद तो उन्हे कुछ बोलती नहीं है। और जब मैं कुछ कहने जाती हूँ तो आप मुझे भी रोक लेती है। आखिर क्यों?
पापा के जाने के बाद अपने खुद खेतों में हल चलाया आप उनपर कभी भी बोझ नहीं बनी, आपने मेरी परवरिश भी अकेले और बहुत अच्छे से की। तो फिर आप हमेशा उनके गलत बोलने, और बात - बात में आपको एक बेटी की माँ होने का ताना मारने वाली हरकत के लिये उन्हे माफ क्यों कर देती है? आप उनको कुछ कहती क्यों नहीं?
मधु के गुस्से भरे प्रश्नों को सुनकर उसकी माँ एक लम्बी से आह भरकर बोलीं.....
" बिटिया तेरी ताई जी की बातें कड़वी जरूर होती है पर बो हमेशा तेरी और मेरी चिन्ता में ऐसा बोलतीं है।
बिटिया तुम्हे मालूम है जब तुम्हारे पापा इस दुनिया से चले गये तो हर कोई मुझ पर खेतों में अकेले आने- जाने के लिये मेरे चरित्र पर उंगली उठाने लगा। तब तेरी ताई जी ने ही अपनी इन्ही कड़वी बातों ने ही सारे गाँव वालों का मुँह बंद कर दिया था। वो भले ही तुझे और मुझे चार बातें सुनाती हो। पर वो हमेशा हम दोनों की भलाई के लिये ही होती है।"
"नहीं माँ वो भलाई के लिये नहीं बल्कि हमें नीचा दिखाने के लिये ऐसा बोलती है। उन्हे अपने बेटों की माँ होने का बहुत घमंड है। तभी तो बचपन से लेकर आज तक उन्होंने मुझे हमेशा ये यहसास करवाया है कि मैं एक लड़की हूँ, और आपके खेतों में काम करने की भी उन्होंने इसीलिये तरफदारी की होगी कि उन्हे एक ऐसा मजदूर मिल गया था जो कभी उनके जुल्मों के खिलाफ मुँह नहीं खोलेगा।
मैं कभी नहीं भूलूंगी की मेरी पढ़ाई के लिये पैसे जोड़ने के लिये आप एक टाइम बिना खाना खाये रहीं है। पर ताई जी ने सब जानते हुये भी कभी भी हमारी मदद नहीं की। बल्कि हमेशा आपको यही सुनाती रहीं कि " बेटी का स्कूल छुड़ा कर उसे घर के काम सिखाओ। माँ आप महान हो जो हमेशा उन्हे माफ कर देती है। पर मैं शायद उन्हे कभी माफ नहीं कर पाऊँगी। "
मधु गुस्से में अपनी धुन में ही बोले जा रहीं थी। तभी उसकी माँ ने उसके सर पर प्यार से हाथ फिराते हुये समझाया...
" बिटिया यूँ हर बात दिल पर नहीं लेते। इस दुनिया में तेरी ताई जैसे बहुत लोग मिलेंगें जो तुझे कभी ताने मारकर कभी तेरे बढ़ते कदमों पर उंगली उठा कर परेशान करेंगें। अगर तुम हर किसी को गुस्से के बदले गुस्सा और तानों के बदले ताने सुनाओगी तो तुम में और उसमें फर्क ही क्या रह जायेगा।
ये मत भूलो कि माफ करने वाला हमेशा बड़ा और खुश रहता है। उनकी अपेक्षा जो दूसरों की बातों को हमेशा दिल से लगाये बैठे रहते है।वो ये समझ ही नहीं पाते कि वो दूसरों की जगह खुद को ही उस बातकी सजा देते रहते है। अगर मैं तेरी ताई की बातों को दिल से लगा लेती तो आज तुम उस जगह न होती जहाँ हो।
बल्कि हम दोनों ही दुखी होकर अपना खून जला रहे होते। जैसे अभी तुम जला रही हो। जबकि आज तो खुश होने का दिन है।तुम ये सोचकर ताई को माफ कर दो कि ' उन्ही के तानों ने तुम्हारे अंदर कुछ करने का जज्बा पैदा किया, जिसकी वजह से तुमने खुद को साबित किया और उनके बेटों से पहले तुम्हारी नौकरी लग गई। "
अपनी माँ की बात सुनकर मधु कुछ सोचते हुये बोली.... "आप सच बोल रहीं है माँ अगर ताई मुझे प्यार करती और मुझे यूँ बात - बात मे बेटी होने का ताना न मारती तो शायद मैं कुछ करती ही नहीं बस यूँ ही लाड़ प्यार में बड़ी होकर ससुराल चली जाती। इसके लिये तो मैं ताई जी को धन्यवाद जरूर बोलूँगी। और आज से अभी से मैने उन्हे पिछली सारी बातों के लिये माफ करदिया। "
और अपनी माँ के गले लगते हुये बोली... "अब बस खुशियाँ मनाते है। और यहाँ से एक नई शुरुवात की तैयारी करते है। "
उसकी माँ ने उसे प्यार से माथे को चूमते हुये कहा... "हाँ मेरा बच्चा बिल्कुल! बस तुम ऐसे ही हमेशा खुश रहा करो। दूसरे की बातों में आकर खुद को तकलीफ पहुँचाने से अच्छा है। माफ करो और आगे बढ़ो। क्योंकि माफ करने वाले का दिल हमेशा बड़ा होता है।