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Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Inspirational

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Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Inspirational

माप-तोल

माप-तोल

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पुराने समय की बात है। सिंहपुर गाँव में एक मापनी सेठ रहता था। नाम के अनुसार मापनी सेठ हर चीज का माप किया करता था। खाना,खाना तो माप कर, पानी पीना तो माप कर , सोना तो माप कर , व्यापार करना तो माप कर ,पत्नी से बात करना तो माप कर , ज़मीन पर चलना तो माप कर ,ह र चीज को वो माप कर किया करता था। उसके अनुसार माप सही न होने पर लड़ाई किया करता था। उसकी इन हरकतों से उसकी पत्नी, बच्चे, माता-पिता, नौकर, गाँव वाले सभी बहुत परेशान होने लगे थे। मापनी सेठ की हरकतें दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही थी।

एकदिन सिंहपुर गाँव में एक महात्मा जी पधारे। उन महात्मा जी का सभी गाँव वाले बड़ा गुणगान कर रहे थे।सभी कहते थे, ये महात्मा जी बहुत चमत्कारी है। जब ये सब बातें मापनी सेठ की पत्नी ने सुनी तो वो अपने पति को उनके पास ले जाने की सोचने लगी। वो अपने पति से बोली, प्राणनाथ अपने गाँव में एक सिद्ध महात्मा जी पधारे है, हम भी उनके दर्शन के लिये चलते है। मापनी सेठ बोला, मैं क्यों उनके दर्शन के लिये जाऊँ। मापनी सेठ की पत्नी उसे प्रलोभन देते हुए बोली, यदि वो आपसे खुश हुए तो वो आपको ऐसी कोई सिद्धि भी दे सकते है, जिससे आप करोड़पति से अरबपति बन जाओ। उनका महात्मा जी के पास सोमवार को जाना तय हुआ। उससे पहले रविवार को मापनी सेठ की पत्नी महात्मा जी के पास गई और महात्मा जी को अपने पति की हर चीज को मापने की बुरी आदत के बारे में बताया। महात्मा जी बोले ठीक है, बेटी उसे कल मेरे पास लेकर आ जाना। ठीक सोमवार को मापनी सेठ अपनी पत्नी के साथ महात्मा जी से मिलने पहुंचा।

महात्मा जी बोले, बोल बेटा तेरी क्या इच्छा है। मापनी सेठ शहद लगाते हुए बोला नहीं महात्मा जी मेरी कोई इच्छा नहीं है, बस आप मेरे घर पर पधारे और जलपान ग्रहण करे। महात्मा जी बोले तेरे घर पर तो में नही आ सकता है क्योंकि मेरा प्रण है, मैं आश्रम को छोड़कर कहीं नही जाऊँगा। तेरी कोई और इच्छा हो तो बोल बेटा। मापनी सेठ बोला, मेरी तो बस एक ही इच्छा है की, आप मुझे करोड़पति से अरबपति बनने का कोई मन्त्र बताये। महात्मा जी बोले, बता तो दूँगा पर मेरे एक प्रश्न का तुम्हें उत्तर देना होगा, वो भी तुम्हारी रुचि के अनुसार मापन का ही प्रश्न है। मापनी सेठ बहुत खुश हुआ। वो बोला अपना प्रश्न पूछे महात्मा जी। महात्मा जी बोले तो सुन बेटा, मेरा प्रश्न है की इस दुनिया मे कौन सी चीज का माप नही कर सकते है। मापनी सेठ बोला, महात्मा जी इस दुनिया में हर चीज का मापन किया जा सकता है,आसमाँ हो, या धरती हो, जिंदगी हो या मौत हो, दिल की धड़कन हो, धन हो, दौलत हो आदि सब का माप कर सकते है। महात्मा जी कहते है, क्या माँ की ममता का माप कर सकते है, मापनी सेठ बोलता हां क्यो नहीं इसका भी मापन कर सकते है।महात्माजी बोलते है, जा अपनी माँ के पास, पूछ उसे तेरी ममता का क्या माप है। मापनी सेठ अपनी माँ के पास जाता है, पूछता है, माँ तेरी ममता का क्या माप है। उसकी माँ बोलती है, बेटा मेरी ममता का कोई माप नहीं है। सातों समंदर से भी ज़्यादा माँ की ममता का माप है। ख़ुदा भी उसे जान न पाया। वो भी बोला मां की ममता का कोई माप नहीं है। पर मापनी सेठ अपनी माँ की बातों से सन्तुष्ट न हुआ। वो वापिस महात्मा जी के पास आ गया। उनको मां के साथ हुई सारी बातचीत बता दी। महात्मा जी उसके चेहरे से समझ गये की अभी यह पूरा सन्तुष्ट नहीं हुआ है। वो बोले चल बेटा मेरे साथ, मैं तेरे प्रश्न का उत्तर बताता हूं।

यह कहकर महात्मा जी मापनी सेठ को लेकर एक दूध देने वाली गूजरी के पास गये। वो उस गूजरी से कुछ दूरी पर खड़े हो गये। महात्मा जी ने मापनी सेठ को इशारा किया की वो कुछ देर बोले नही, बस गुजरी के दूध देने की प्रकिया को देखते रहे। गूजरी सबको माप-माप कर दूध देती है, पर एक छोटा बच्चा आता है उसे वह दूध बिना माप के बर्तन से दूध नीचे गिरने तक देती है तथा उससे पैसा भी नहीं लेती है। वह गूजरी उस बच्चे को अपना बेटा मानती थी क्योंकि उसके कोई संतान नहीं थी। वहां से महात्मा जी मापनी सेठ को लेकर वापिस अपने आश्रम आ जाते है। अब वो बोलते है, उस गूजरी ने उस बालक को किस माप से दूध दिया। मापनी सेठ निरुत्तर हो जाता है। महात्मा जी बोलते है देख बेटा, दुनिया मे हर चीज का माप-तोल हो सकता है, परन्तु सच्चे स्नेह, प्यार, मोहब्ब्त आदि का कोई माप व कोई तोल नहीं होता है। यह सच्चा स्नेह या प्रेम भाई का बहन के प्रति,माता-पिता का सन्तान के प्रति, पत्नी का पति के प्रति, एक दोस्त का दूसरे दोस्त के प्रति, एक भक्त का भगवान के प्रति हो सकता है। यह प्रेम निस्वार्थ होता है। इसका इस दुनिया मे कोई माप-तोल नहीं होता है। अब मापनी सेठ की आँखें खुल जाती है। वह महात्माजी के चरणों मे गिर पड़ता है। वह रोते हुए सब गाँव वालों, अपने परिवार वालों से माफ़ी मांगता है। वह पैसे के मद में सबका माप करने चला था। आज उसका खुद का माप हो गया है। सच्चा प्रेम अनमोल है इसका कोई माप, कोई मोल, कोई तोल नही है।



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