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माँ

माँ

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आज ऋचा की माँ ने गाजर का हलुआ बनाया था। ऋचा की बेटी रिया को भी हलुआ बहुत पसंद है। जब ऋचा की माँ सरोज ने देखा की हलुआ खत्म होने वाला हैं तो उन्होंने दो कटोरी में विभजित कर दिया, एक कटोरी ऋचा और एक कटोरी रिया के लिए।

जब रात के खाने के बाद सरोज ने दोनों को हलुआ दिया तो ऋचा मुस्करा कर बोली-

"मम्मी कल ऑफिस में दे देना, अब नहीं खाऊँगी।"

सरोज ने ऋचा का हलुआ टिफिन में डाल कर फ्रिज में रख दिया। सुबह जब ऋचा ऑफिस निकलने वाली थी तो उसने वो हलुए का टिफ़िन जानबूझकर कर नहीं निकाला। रिया को मीठा बहुत पसंद हैं, ये सोच कर उसने वो वापस रख दिया और तैयार होने चली गई।

जब ऑफिस में टिफ़िन खोल तो मुस्कुराए बिना ना रह सकी क्योंकि माँ ने हलुए का टिफ़िन बैग में डाल दिया था, एक नोट के साथ-

रिया के लिए मैंने एक और कटोरी हलुआ बचा कर रखा हुआ है।

ऐसा होता हैं कि माँ का प्यार चाहे बच्चा चौदह साल का हो या चालीस वर्ष का।


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