माँ सब जानती है
माँ सब जानती है
"रिया, आजा नाश्ता तैयार है।" पवित्रा ने अपनी 19 वर्षीय बेटी को आवाज़ लगाई।
"अभी आयी, मम्मी। " रिया ने अपने रूम से कहा।
रिया डाइनिंग टेबल पर चुपचाप आकर बैठ गयी थी। रिया के पापा आलोक भी वहाँ बैठकर नाश्ता कर रहे थे।
पवित्रा ने दूध दलिया रिया के सामने रख दिया था और रिया चुपचाप खाने लगी। उसने अपना दलिया ख़त्म किया और जाने लगी।
"अभी तक तैयार नहीं हुई ? कॉलेज नहीं जाना क्या ?" पवित्रा ने पूछा।
"मम्मी, आपको बताया तो था कॉलेज में स्पोर्ट्स वीक चल रहा है। मैं तो किसी भी स्पोर्ट में भाग नहीं लेती। अगले महीने मिड टर्म्स हैं, उनकी तैयारी कर लूँगी।" रिया ऐसा कहकर अपने कमरे में चली गयी थी।
आलोक अब चाय पीते हुए अखबार पढ़ रहे थे।
"कभी अखबार से आँखें हटाकर अपनी बेटी की तरफ भी देख लिया करो। आपकी बेटी किसी समस्या में है। आज चुपचाप दूध दलिया भी खा लिया। नहीं तो, टेबल पर बैठते ही चिल्लाती थी कि क्या मरीजों वाला खाना बना दिया। मोबाइल को एक सेकंड न छोड़ने वाली लड़की को आजकल होश ही नहीं रहता कि मोबाइल कहाँ है ? एक दिन भी कॉलेज मिस न करने वाली लड़की, एक सप्ताह से कॉलेज नहीं जा रही। " पवित्रा ने आलोक से कहा।
"तुम न एक तो यह सीरियल देखने बंद कर दो। उसने बोला न कि एग्जाम हैं।" आलोक ने अखबार एक तरफ रखते हुए कहा।
"मैं उसकी माँ हूँ। उसे 9 महीने पेट में रखा है। उससे ज्यादा उसे जानती हूँ। " पवित्रा ने कहा।
"माँ हो, सब जानती ही हो तो मुझसे क्यों पूछ रही हो ?" आलोक ने कहा।
"तुम्हें बस बता रही थी। " पवित्रा ने कहा।
"सब ठीक ही होगा। बेकार चिंता करती रहती हो। अब मैं ऑफिस के लिए निकलता हूँ। " ऐसा कहकर आलोक निकल गए थे।
पवित्रा घर के काम निपटाती जा रही थी। लेकिन उसका पूरा ध्यान रिया की तरफ ही था। रिया उसे काफी बदली -बदली सी लग रही थी। आलोक तो पिता हैं, उन्हें वह सब नज़र नहीं आता, जो एक माँ देख सकती है।
तब ही पवित्रा का फ़ोन बजा। देखा तो रिया की सबसे अच्छी दोस्त सुहानी का नाम स्क्रीन पर चमक रहा था।
"चलो, इसका फ़ोन भी सही वक़्त पर आ गया। कुछ तो पता चलेगा। " पवित्रा ने मन ही मन सोचा।
"हेलो आंटी। रिया ठीक तो है न। न तो फ़ोन उठा रही है और न ही कॉलेज आ रही है। " सुहानी ने पवित्रा के फ़ोन उठाते ही कहा।
"ठीक है। कॉलेज में तो स्पोर्ट्स वीक चल रहा है न। अगले महीने होने वाले मिड टर्म के लिए पढ़ती रहती है।" पवित्रा ने कहा।
"आंटी, उसने कुछ और बोला होगा। अभी तो कोई स्पोर्ट्स वीक नहीं चल रहा। रेगुलर क्लासेज हो रही हैं। आज तो लेक्चरर भी उसके बारे में पूछ रहे थे। " सलोनी ने कहा।
"चलो, आंटी रिया को बता देना कि मेरा फ़ोन आया था।" सलोनी ने फिर कहा।
"अरे बेटा, अभी तुम्हारी बात करवाती हूँ।" पवित्रा ने कहा।
"ठीक है, आंटी। " सलोनी ने कहा।
"रिया बेटा फ़ोन क्यों नहीं उठा रही है। सलोनी कितना परेशान हो रही है। ले उससे बात कर ले। " पवित्रा ने रिया के कमरे में घुसते हुए कहा।
पवित्रा की बात सुनकर रिया का चेहरा एकदम सफ़ेद पड़ गया था, मानो उसकी चोरी पकड़ी गयी हो।
"ले, फ़ोन पकड़। " पवित्रा ने उसे फ़ोन देते हुए कहा और वहाँ से चली गयी।
रिया थोड़ी देर बाद पवित्रा के पास किचेन में आयी और कहा, "मम्मी, लो आपका फ़ोन। "
"वहाँ रेफ्रिजरेटर पर रख दे। " पवित्रा ने आटा गुँधते हुए ही कहा।
शर्मिंदा सी रिया वहीं पर खड़ी रह गयी थी। पवित्रा सब जानते हुए भी अपना काम करती रही। आटा गुँधना ख़त्म करके पवित्रा ने रिया को देखते हुए कहा, "बेटा, अभी तक यहीं खड़ी है। कुछ चाहिए था क्या ? जा, जाकर पढ़ाई कर। "
पवित्रा की बात सुनकर रिया की आँखों से आँसू झरने लगे। वह रोते -रोते बोली, "सॉरी मम्मी। "
पवित्रा ने रिया को गले लगा लिया और कहा, "कोई बात नहीं बेटा। लेकिन अब तो बता दे कि तू कॉलेज क्यों नहीं जा रही है ?"
"मम्मी मुझे माफ़ कर दो। स्कूल टाइम में मेरी एक लड़के से दोस्ती हो गयी थी। आपसे झूठ बोलकर २-४ बार उसके साथ स्कूल बंक करके मूवी भी देखने गयी थी। उसके पास मेरे कुछ लेटर्स और फोटोग्राफ्स हैं। मुझे धीरे -धीरे पता चल गया था कि वह लड़का सही नहीं है। मैंने उससे सारे रिश्ते तोड़ दिए थे। अब वह मुझे ब्लैकमेल कर रहा है कि मैं एक रात के लिए उसके पास आ जाऊँ, नहीं तो वह मेरे लेटर्स और फोटोग्राफ्स आपको दिखा देगा और कॉलेज के नोटिस बोर्ड पर भी चिपका देगा। " रिया रोते -रोते एक साँस में बता गयी।
पवित्रा ने उसे पीने के लिए पानी दिया।
"वो रोज़ कॉलेज के रास्ते में खड़ा होने लगा। मम्मी मैं बहुत डर गयी थी। आप और पापा मेरे बारे में क्या सोचोगे ? मम्मी मुझे माफ़ कर दो। " रिया ने कहा।
"बेटा, तू बिलकुल मत डर। तेरे पास उस लड़के का फ़ोन नंबर है न ?" पवित्रा ने कहा।
"हां, मम्मी है न। "
"चल मुझे उसका नंबर दे और जल्दी से अपनी कुछ किताबें लेकर आ। " पवित्रा ने कहा।
"लेकिन क्यों मम्मी ?" रिया ने कहा।
"अरे तू ला तो सही। अभी तेरी समस्या सुलझा देती हूँ। " पवित्रा ने कहा।
रिया जल्दी से अपनी कुछ किताबें और कॉपी लेकर आयी। पवित्रा ने सभी किताबें और कॉपी डाइनिंग टेबल पर रख दी। वह खुद उनके सामने अपना फ़ोन लेकर बैठ गयी। फिर उसने फ़ोन नंबर डायल किया। रिया ने लड़के का नाम और एड्रेस बता ही दिया था।
फ़ोन की घंटी बजने लगी और जैसे ही लड़के ने फ़ोन उठाया, पवित्रा ने किताबों के पन्ने खोलने शुरू किये। उसके बाद वह किताबें इधर -पटकने लगी। लड़के को सब सुनाई दे रहा था और वह हेलो -हेलो बोल रहा था।
"हां तो अभिमन्यु बोल रहा है। " पवित्रा ने रौब से कहा।
"हां। " उधर से आवाज़ आयी।
"निर्माण नगर में रहता है। " पवित्रा ने फिर कहा।
"हाँ। " अभिमन्यु ने कहा।
"मोदी कॉलेज में पढ़ने वाली रिया को जानता है। " पवित्रा ने कहा।
"हां, जानता हूँ। लेकिन आपको उससे क्या ?" अभिमन्यु ने कहा।
"देख मैं महिला थाने से बोल रही हूँ। तेरी शिकायत आयी है। अब तू भी उसे जानना छोड़ दे। अभी रिपोर्ट ही लिखी है। लड़की का पीछा नहीं छोड़ा तो FIR लिखकर तुझे अंदर कर दूँगी। और तेरे इतने जूते मारूँगी कि किसी लड़की के प्रेम -पत्र पढ़ने लायक नहीं बचेगा। कल उसके फोटो और लव लेटर उसके घर पहुँच जाने चाहिए। नहीं तो, तुझे पोस्टर बनाकर तेरे कॉलेज के नोटिस बोर्ड पर चिपका दूँगी। " पवित्रा ने रौब से कहा।
"जी मैडम। " अभिमन्यु भीगी बिल्ली बना हुआ बोला।
"चल अब फ़ोन रख। " ऐसा कहकर पवित्रा ने फ़ोन काट दिया था।
"वाह मम्मी, आपको डर नहीं लगा। " रिया ने कहा।
"नहीं बेटा, जब बात अपने बच्चे की होती है तो माँ किसी से भी टकरा सकती थी। " पवित्रा ने कहा।
"उसने अगर फोटो और लेटर्स नहीं भेजे तो। " रिया ने कहा।
"बेटा, ऐसे लोग अंदर से बड़े कमजोर होते हैं। उसकी आवाज़ में जो घबराहट थी, उससे मुझे पूरी उम्मीद है कि वह कल लेटर और फोटोज भेज देगा। अगर नहीं भेजे तो हम पुलिस की सच्ची में मदद ले लेंगे। " पवित्रा ने कहा।
"मम्मी, वह तो हम आज भी ले सकते थे। क्या आपको मेरी बदनामी का डर था ? " रिया ने कहा।
"नहीं बेटा, तुमने गलत व्यक्ति को चुना, तुम्हारी बस यही गलती थी। मैं तुम्हें सिर्फ यह दिखाना चाहती थी कि ऐसे लोग कमजोर होते हैं। इनसे डरने की नहीं, बल्कि लड़ने की जरूरत है। जितना डरोगी, लोग उतना ही डरायेंगे। तुम्हें बस याद दिलाना चाहती थी कि, तुम एक बहादुर बेटी हो। " पवित्रा ने कहा।
"मम्मी, यू आर ग्रेट। " रिया ने कहा।
"बेटा, आगे से अपनी मम्मी से कोई बात छिपाना नहीं। मम्मी -पापा डाँटते भी हैं तो अपने भले के लिए ही। थोड़ी देर नाराज़ होते हैं, लेकिन अपने बच्चों की सभी समस्याओं का समाधान भी करते हैं। " पवित्रा ने कहा।
"सॉरी मम्मी। " रिया ने दोनों कान पकड़ते हुए कहा।
अगले दिन एक कूरियर वाला रिया के नाम एक पैकेट लेकर आया। अभिमन्यु ने सारे फोटो और लेटर भेज दिए थे।