माँ ही काफी है।
माँ ही काफी है।
अनु का छै महीने का बच्चा पूरी - पूरी रात रोता। नींद तो जैसे उसे बस एक या दो घंटे की ही आती।
अनु ये सोच -सोच कर परेशान हो जाती कि ये सोता क्यु नहीं। उसने अपनी भाभी के बच्चों को देखा था। जैसे ही उनकी मालिश करके नेहला धुला कर लिटाया जाता वो तुरंत सो जाते। और दिन में चार पाँच घंटे आराम से सोते। रात में भी अगर जागते तो दूध पी कर फिर सो जाते।
पर उसका बेटा न तो दिन में सोता और न ही रात में। इस वजह से अनु भी काफी थकी- थकी और चिड़चिड़ी रहती है। ऊपर से अनु अगर सुबह थोड़ा भी लेट उठती तो उसकी सास पूरा घर सर पर उठा लेती।
अनु को अपने बेटे की बहुत चिन्ता हो रही थी तो उसने अपने पति कुशल से उसे डॉक्टर को दिखाने के लिये कहा। तो उसकी सास ने ये बोलते हुये अपने बेटे को मना कर दिया कि......
"क्या जरूरत है बच्चे को दिखाने की। ये भी कोई बीमारी है क्या कि बच्चा सोता नहीं है। ये तो बहू के चोचले है।क्योंकि बच्चे की जिम्मेवारी उठाने में वो सो नहीं पाती। "
अपनी ममता और बच्चे की फिक्र को जब सास के मुँह से बहाना मारने का ताना मिला। और पति ने भी उन्ही की बातों पर विश्वास किया तो अनु को बहुत दुख हुआ।
पर इसके बाद वो ये समझ गई कि अपने बच्चे के लिये उसे ही आगे आना पड़ेगा।
तो एक दिन सास और पति की परवाह किये बिना अपने बच्चे को गोदी में उठा पहुँच गई डॉक्टर के पास।
थोड़ी देर इंतजार करने के बाद उसका नम्बर आया। तो घबराते हुये उसने बच्चे की सारी परेशानी बता दी।
डॉक्टर ने कुछ सवाल किये जैसे.........
*आप का बच्चा छै महीने का है तो क्या वो अपनी गर्दन अपने आप संभाल लेता है??
*क्या आपके बुलाने से वो आपकी तरफ देखता है??
*क्या आपके बातें करने से बच्चा मुस्कराता है?
*क्या जब आप उसकी तरफ हाथ बढ़ाती है, तो वो आपकी तरफ आने को लपकता है।
अनु का ऐसे ही और भी सवालों का जबाब सिर्फ और सिर्फ न था।
तो डॉक्टर ने एक लम्बी सांस लेते हुये कहा.... "देखिये अभी ये बहुत छोटा है, तो कुछ भी क्लियरली कहना मुश्किल है। पर ये निश्चित है कि आपका बेटा एक विशेष बच्चा है। ऐसे बच्चों को नींद बहुत कम आती है। यहीं वजह है इसके इतना रोने की।
और इन बच्चों का बहुत ख्याल रखना पड़ता है। ये अपने आप कुछ नहीं करेंगे सब आपको सिखाना पड़ेगा। एक्सासाइज भी करवानी पड़ेगी। ये सब कुछ सीखेगा पर थोड़ा लेट सीखेगा।
आप अपना और बच्चे का ख्याल रखिये। "
ये सुन जैसे अनु को तो होश ही नहीं रहा। उसे समझ ही नहीं आ रहा था क्या करें। तुरंत उसने कुशल को फोन किया। उसके आते ही उसे भी सब बताया।
कुशल को उस डॉक्टर पर विश्वास नहीं हुआ तो शहर के दूसरे सबसे बड़े डॉक्टर को दिखाया, उन्होंने भी वहीं कहा। आखिर में दोनों लुटे,पिटे से घर आ गये।
घर आ कर कुशल ने अपनी माँ को सब बताया। पर वो कुछ मानने को तैयार ही नहीं थी । अभी भी वो यहीं बोल रही थी कि ये सब डॉक्टरों के ढकोसले है।
और तो और अनु को भी घर के कामों में इतना उलछा कर रखती कि वो अपने बेटे पर ध्यान ही नहीं दे पाती।
अनु जब अपने पति से बेटे की एक्सासाइज कराने को कहती तो वो भी उसकी हेल्प न करता।
आखिर एक दिन परेशान हो अनु ने फैसला किया कि वो वहीं काम करेगीं जो जरूरी है। सासो माँ के फालतू की बातें और दिनभर जो फालतू काम निकालती रहती है अब उन पर ध्यान नहीं दूँगी।
अनु के ऐसा करते ही उन्होंने रौद्र रूप धर लिया। और उनके बताये काम पूरे न होने की लिस्ट कुशल को सुनाने लगी।
कुशल भी बिना कुछ सोचे अनु पर चिल्लाने लगा। पर अब अनु सिर्फ अपने बच्चे के बारे में सोच रही थी। तो उसने अपनी सास और पति को एक ही बात कहीं......
"देखिये माँ जी अगर आपके ये काम नहीं होगें तो कुछ नहीं होगा। पर अगर मैने अपने बच्चे को ये समय नहीं दिया तो वो बहुत पीछे हो जायेगा। इसलिये अगर आपका काम ज्यादा जरूरी है ,तो उसे आप खुद कर सकती है।
*और फिर पति की तरफ देखते हुये बोली....
वैसे तो आपको भी अपने बेटे के बारे में सोचना चाहिये। पर अगर आपके लिये आपकी माँ का काम ज्यादा जरूरी है, तो आप भी उनकी पूरी मदद कर सकते है। मेरे बेटे के लिये उसकी माँ ही काफी है। तो आज के बाद आप दोनों मुझ पर किसी भी काम का दबाव मत बनाना। "*
आज अनु की बातें सुन कुशल को भी अपनी गलती का एहसास हो रहा था। क्योंकि उसने भी तो डॉक्टर से ज्यादा अपनी माँ की बात मानी। और अपने बेटे का कोई ख्याल भी नहीं रखा। जबकि अनु उसी दिन से अपने बेटे का कुछ ज्यादा ही ख्याल रखने लगी थी।
उसे तो जबसे अपने बेटे का एक विशेष बच्चा होने का पता चला है। तबसे उसे अपने ऊपर एक बोझ ही समझ रहा था। पर आज अनु की बात सुनकर उसे एहसास हुआ कि अगर उसने अपने बेटे पर ध्यान नहीं दिया तो वो जो कर सकता है वो भी नहीं करेगा।
कुशल ये सब सोच ही रहा था कि तभी उसका बेटा चीख चीख कर रोने लगा। तो इसबार अनु के पहुँचने से पहले ही कुशल ने उसे गोदी में उठा लिया । और अनु की तरफ देख कर बोल.......
"अनु अभी तक मैने जो सोचा जो कहा उसके लिये सॉरी। पर अब तुम अकेली नहीं हो मै भी हर कदम तुम्हारे साथ हूँ। अब हम दोनों मिल कर अपने बच्चे को समय देगें ताकि हमारा बच्चा कुछ सीखे। "
कुशल का साथ पाकर अनु की आँखों से अभी तक अपने आप को मजबूत करने को रोके हुये आँसू बह निकले। क्योंकि अब उन्हें पोंछने के लिये कुशल उसके साथ था।
सखियों कभी-कभी हमारे विशेष बच्चों की परेशानी घर बाले समझते ही नहीं है। पर उस सबसे घबराये बिना हमें अपने बच्चे के साथ हमेशा रहना चाहिये।
