Swati Grover

Romance Others

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Swati Grover

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लव इन कोरोना

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"हाँ, नियति मैं कोरोना पॉजिटिव हो गया हूँ। मैंने डॉक्टर से बात कर ली है। मैं एकांतवास में रहूँगा इसके लिए मुझे मसूरी जाना पड़ेगा। मैं अभी रास्ते में हूँ तुम मेरी फ़िक्र मत करना। मम्मी-पापा का भी ख्याल रखना उन्हें कहना कि मेरी चिंता न करें।" एक सांस में राघव सारी बात कह गया। अरे! यह आप क्या कह रहे हों ? "सुनो! तो सही आप ही बोलेंगे या मुझे भी बोलने का मौका देंगे" नियति ने राघव को टोका। "पहले आप बताएं कि यह क्या हुआ? और आप कहा जा रहे हैं ? आप अकेले कैसे रहेंगे? आपका खाना? मैं भी आपके साथ चलूँगी।" नियति अब रुकने का नाम नहीं ले रही थीं और बोले जा रहीं थीं। राघव ने गाड़ी सड़क के किनारे रोकी। और बोलना शुरू किया। "देखो ! नियति पहले मेरी बात ध्यान से सुनो ! आज ऑफिस में थर्मल स्क्रीनिंग हुई थी उसमें मेरा बुखार आ गया। मैंने फिर डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने आइसोलेशन में रहने की सलाह दी है ताकि कोई खतरा हो भी तो टल जाए, अगर मैं घर आता हूँ तो तुम, मम्मी-पापा सब बीमार हो सकते हों इसलिए मैं नीतीश मेरा ऑफिस का दोस्त मसूरी वाले फार्महाउस जाऊँगा और धीरे-धीरे ठीक हों जाऊँगा। रही खाने की बात तो वहाँ पर कुक है वो खाना बनाकर दे देगा। और तुम्हें टेस्ट करवाने की कोई ज़रूरत नहीं है बस घर के अंदर रहो हम फ़ोन पर बात करते रहेंगें। अब तुम्हें बात समझ आई। चलो ! मुझे देर हो रही है रात हो जाएंगी तो पहुँचना मुश्किल होगा।" कहकर राघव ने फ़ोन रख दिया। मगर नियति अभी उसे बहुत से सवाल पूछना चाहती थीं। खैर ! उसने सारी बात अपने सांस-ससुर को बताई तो उन्हें यह राघव की समझदारी लगी।


वहाँ राघव मसूरी के फार्महाउस पहुँच चुका था। रात के दस बज चुके थे। तभी किसी ने दरवाज़ा खटखटाया, "कहीं नियति तो नहीं आ गई? उसे घर पर कहाँ बैठा जा रहा होगा।" राघव ने सोचा। दरवाज़ा खोला और झट से गले लगाते हुआ बोला भाड़ में जाए सोशल डिस्टन्सिंग मैं तो तड़प रहा था तुम्हारे लिए सुरभि। " "अरे ! राघव बस-बस आराम से अभी बहुत दिन है साथ गुज़ारने के लिए" सुरभि ने कहा। राघव ने सुरभि का हाथ पकड़ उसे सोफ़े पर बैठा दिया। और तुम्हें कोई दिक्कत तो नहीं हुई थी न यहाँ पहुंचने में ? राघव ने अभी उसका हाथ नहीं छोड़ा। बस मेरा दिल चाहा रहा था कि जल्दी से तुम्हारे पास पहुँच जाओ, तुमने बहुत अच्छा प्लान बनाया, इस बीमारी का कुछ तो फ़ायदा हो। सुरभि ने फिर राघव को गले लगा लिया।


"दिन बीतते गए। राघव और सुरभि पहाड़ों के बीच हाथों में हाथ डाले घूमते रहें। और अपने पुराने दिनों को याद करने लगे। "काश ! तुम मुझे छोड़कर उस समय न जाती तो मैं कभी भी नियति से शादी न करता सुरभि।" राघव ने सुरभि को झरने के पास बिठाते हुए कहा। "तुमने भी तो मेरा इंतज़ार नहीं किया राघव।" सुरभि की आँखों में शिकायत थीं। 'माँ की तबीयत इतनी ख़राब हो गई थी कि उस समय उन्होंने अपनी किसी रिश्तेदार की बेटी से विवाह करने को कहा तो मैं मना नहीं कर सका। माँ तो बच गयी पर मैं मर गया। ऐसा नहीं है कि नियति अच्छी नहीं है पर मैं इन छह-सात महीनों की शादी में भी उससे प्यार न कर सका। उसमें तुम्हें ढूँढ़ते-ढूँढ़ते थक गया हूँ।" कहते हुए राघव की आँखों में आँसू आ गए और सुरभि ने उसके प्यार को देखते हुए गले लगा लिया। "अब क्या करेंगे राघव, 15-20 दिन बाद तो सब कुछ ख़त्म? सुरभि उदास हो गई। इतनी आसानी से मैं कुछ खत्म नहीं होने दूँगा। राघव की ने सुरभि का चेहरा अपने हाथों में पकड़कर कहा।


वहाँ नियति ने राघव की उम्र लम्बी करने के लिए उपवास रखने शुरू किये। वह रोज़ राघव को कॉल कर उसका हालचाल पूछती। राघव भी 2 -4 मिनट बात कर उसे दिलासे दें फ़ोन रख देता। उसने अपना और सांस-ससुर का भी टेस्ट करवा लिया पर कुछ नहीं निकला। अजीब बात हैं दो महीने से राघव घर पर था तो ठीक था और आज पहले दिन ऑफिस गया और पॉजिटिव हो गया। अपने कपड़े भी नहीं लिए कह रहा है नीतीश की अलमारी में काफी कपड़े हैं। "माँ मैं राघव के ऑफिस जाना चाहती हूँ। नीतीश भाईसाब से मिलकर मसूरी चल उन्हें अब ले आते हैं 15 के भी 25 दिन हो रहें हैं।" नियति ने राघव की माँ कुमकुम से कहा। राघव से फ़ोन पर बात कर लेते हैं, क्या पता वो खुद आ जाए ? कुमकुम ने नियति को समझाया। "माँ मैंने कॉल लिया था मगर उनका फ़ोन नहीं लग रहा। क्या पता वहाँ क्या हाल हैं ? नियति को चिंता हों रही थीं। उधर राघव का फ़ोन झरने में गिर गया था, प्यार की लुका-छुपी में फ़ोन गुम हो गया था।


नियति और उसके ससुर राममनोहर ऑफिस पहुँचे और यह सुनकर सकते में आ गए कि राघव उस दिन ऑफिस नहीं आया बल्कि खुद को कोरोना पॉजिटिव बताकर इतने दिनों से छुट्टियों पर है और नितीश का कोई फार्म हाउस नहीं है। आख़िरी यह माजरा क्या है ? यह जानने के लिए नियति और राममनोहर मसूरी के लिए निकल पड़े। वहाँ राघव भी सुरभि को शॉपिंग करा जाने की तैयारी में था। सुरभि और राघव फार्महाउस से निकले ही थे कि वहाँ अपने पिता और नियति को देख दोनों के होश उड़ गए उन्हें यकीन नहीं हुआ कि यह मसूरी का कम मशहूर फार्महाउस भी ढूँढ लेंगे जिसे राघव ने किराए पर लिया था। एक ज़ोर से थप्पड़ राघव के मुँह पर जड़ राममनोहर ने बोलना शुरू किया "तुम्हें शर्म नहीं आती कि कोरोना का बहाना बना तुम यहाँ मज़े कर रहे हो और तुम्हारी पत्नी यहाँ रात-दिन तुम्हारी सलामती की दुआएं माँगते थकती नहीं है। अब आज के बाद घर नहीं आना।" कहते हुए राममनोहर नियति को ले घर चले आए और राघव उन्हें जाता हुआ देखता रह गया।


 शाम को राघव घर गया तो उसकी माँ ने बहुत बुरा-भला कहकर नियति से बात करने को कहा। पापा ने बात नहीं की। नियति को सारी सच्चाई बताई कि किस तरह सुरभि और वो एक गलतफहमी के चलते अलग हो गए थे और तो और किस तरह उसने माँ की बीमारी के दबाव में ऐसा कदम उठाया। उसने उसे माफ़ी भी माँगी मगर नियति बिना कुछ कहे सूटकेस उठाकर चली गई। लगभग छह महीने बाद दोनों परिवार मिलकर बैठे और बात न बनती देख दोनों का अलगाव हो गया। राघव ने नियति से कुछ भी वापिस न लिया बल्कि हर्ज़ाने के तौर पर ज़्यादा पैसे देने चाहे तो नियति ने मना कर दिया केवल शादी में लगे पैसो का हिसाब कर शादी वहीं खत्म हो गयी। जब कोर्ट में उसने तलाक के पेपर पर हस्ताक्षर कर नियति को पकड़ाए तो बस इतना कह सका "हो सके तो मुझे माफ़ कर देना।" "कोशिश करूँगी"। कहकर नियति चली गई।


राघव ने सुरभि से शादी की और दोनों एक दूसरे का साथ पाकर बेहद खुश थे। हालाँकि मम्मी-पापा ने उन्हें स्वीकार नहीं किया तो दोनों अलग रहने लगे मगर जब राघव की माँ ने अपने दादी बनने की खबर सुनी तो दोनों को वापिस घर ले आई। लगभग तीन साल बाद जब एक दिन राघव और सुरभि ने नियति को किसी की शादी में देखा तो वह काफी खुश नज़र आ रही थीं, राघव को देखकर उसने नज़रें नहीं फेरी बल्कि अपने पति सुहैल से मिलवाया जो कि मुंबई में रहता था। और सुहैल ने ही बताया कि जब वो कोरोना काल में अपने बीमार कोरोना पॉजिटिव चाचाजी को देखने दिल्ली आया था, तब नियति से मिला था। तब नियति ऑनलाइन कुकरी क्लासेज चला रही थीं वह भी उसका स्टूडेंट बन गया क्योंकि मुंबई में उसका खुद का रेस्तरां है। जिसे नियति और सुहैल साथ मिलकर चला रहें हैं। नियति ने दोनों को मुंबई आने के लिए कहा। और राघव-सुरभि ने भी नए जीवन के लिए उसे बधाई दी। राघव खुश था कि नियति पिछला भूल जीवन में आगे बढ़ गयी है।


"कितनी अजीब बात है राघव दूरियाँ बनाते-बनाते हम सब कितने नजदीक आ गए। शायद तभी इस बीमारी के आगे लगा है बी-पॉजिटिव। यानी उम्मीद मत हारो ज़िन्दगी अभी तुम्हारे साथ हैं " सुरभि ने राघव की और देखते हुए कहा तो राघव ने भी सुरभि को अपनी तरफ खींच "बिलकुल ऐसा ही है" जवाब दिया।  

        


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