लॉकडाउन और नवरात्रे दो महापर्व
लॉकडाउन और नवरात्रे दो महापर्व


लॉकडाउन और नवरात्रे दो महापर्व
कोरोना के कारण संपूर्ण भारत में 21 दिन का लाकडाउन हुआ है ।हर कोई बड़े से लेकर बच्चा अपने घर में एक मीटर की दूरी रख के अपने रुचि के अनुसार रचनात्मक गतिविधियों से समय का सदुपयोग कर सकता है ।लाकडाउन को मैं पर्व मानती हूँ । क्योंकि हमारे पास समय होने से अपने मन के अनुरूप अपने सृजनात्मक को कर सकते हैं । बच्चों को ड्राइंग मकरने में रुचि होती है । वे बच्चे रंगों से अपनी कल्पनाओं को चार चाँद लगाएं ।
नानी , दादी की कहानी सुनाने की प्रथा खत्म हो गयी है । परिवार आपके करीब आएगा और आपस में रिश्तों में मजबूत आएगी ।।
वे माता - पिता अपने बच्चों को शिक्षाप्रद कहानियाँ दूरियाँ बनाके सुनाके कथा वाचन शैली को पुनर्जीवित करें । ऐसे साहित्य की कविता , कहानी विधा से बच्चों में रचनात्मक अभव्यक्ति को जागरूक कर सकेंगे ।
हर किसी को परिवार में बढ़िया , सुस्वादिष्ट पौषक व्यंजन बनाकर खिलाएँ । बच्चों से भी काम करवाएँ । जिससे वे सीख सकें । क्योंकि आज के बच्चों को सब्जी , दाल ही नहीं मालूम है । कौन सी मूंग की दाल है और कौन - सी उड़द की दाल है । क्योंकि आजकल अधिकतर पति , पत्नी दोनों ही काम पर जाते हैं । कौन खाना बनानेकी समस्या है । ऑन लाइन खाना मंगाने का चलन हो गया है । इसलिए आज की पीढ़ी को पाक कला सीखा के वेे बेहतर खाना बना सकें ।
हर कोई स्वच्छता के प्रति जागरूक हो । बार , बार हाथ धोएं , मेडसरवेंट की छुट्टी हो गयी । सभी मिलके घर साफ , सुथरा करें । बच्चों को भी सफाई करना कस दायित्व समझ पाएगा । गांधी जी ने अपना काम खुद करने पर जोर दिया था । आज गांधी जी भारतीय संस्कृति प्रासंगिक हो गयी ।
नवरात्र पर्व के पहले दिन यानी 25/3/2020 के साथ ही संयोग से उसी दिन लॉकडाउन देश में हुआ है । दोनों महापर्वों का आज 7 वां दिन है । नवरात्रे देवी के नो रूपों , शक्ति ऊर्जा का पर्व है । सारा परिवेश श्रद्धा , भक्ति के अनुष्ठान से आध्यात्मिक बनाएँ । परिवार में देवी भवानी दुर्गा के तप त्याग की कथा परिवार में बताएँ । तभी बच्चे इस पर्व का महत्त्व जान सकेंगे । घर में जो होता है । हर बच्चा उस संस्कृति पर्व से जुड़ जाता है ।
लाकडाउन मेरे लिए महापर्व बनके आया है । पूरा विश्व कोरोना की वजह से लाकडाउन हुआ है । जिससे विश्व का पर्यावरणीय समस्याओं को हल मिलेगा । प्रदूषण के विकार नष्ट हुए हैं जैसे कार वाहन आदि की गति थमी है । विनाश का जहरीला धुआँ पर स्वतः ही वायरस ने नकेल कस दी है । वरना ये भौतिकता में लिप्त मानव
मनमानी करने पर तुला हुआ था ।
कलकराखानों से मशीनों की , गाड़ियों की आवाज को ब्रेक लगा है । ध्वनि प्रदूषण में कमी आयी है । सभी सड़कें नगर , शहर खामोश हो गए हैं । पक्षियों की मीठी चहचाहट मंगल मंत्रों की सुर लहरियों की तरह सुनायी देती हैं । 21 दिन के लाकडाउन से उन लोगों को भी सीख मिली होगी कि किस तरह इंसान अपने मनोरंजन करने के लिए 
;पक्षियों को कैद कर पिंजड़े में रखता है । वे पक्षी कैद न होकर उन्मुक्त गगन चाहते हैं । इंसान को घर में बंद रहना पसन्द नहीं है । तो इन अनबोल पक्षियों पर जुल्म क्यों करते हो ?
मुझे अपना बचपन याद आ गया । हमारे माता - पिता ने हमारी दिनचर्या का टाइमटेबिल बनाया था । सुबह के समय उठकर छत पर या ग्राउंड पर 2 चक्कर लगाओ , नही तो योग करो । मनपसन्द खाने के साथ खेल , खेल में अंग्रेजी, हिंदी के5 शब्दों को शब्दकोश में से देखकर लिखो । फिर याद करके बिना देखे लिख के कॉपी में दिखाओ । घर के बगीचे में पेड़ पौधे फूलों से बीज से फल बनने की प्रक्रिया रँग आदि का ज्ञान देना ।
पेड़ के द्वारा हिंदी , अंग्रेजी के कारक चिन्हों को समझाना । यही कारण दोनों भाषा में व्याकरण की पकड़ का मजबूत होना है । गणित , साइंस के फार्मूले , संस्कृत के रूप आदि याद करने फिर शाम को दोस्तों के सङ्ग मागम भाग , टीपू गर्म , लँगड़ी आदि की मस्ती में निकल जाता था ।
आज के माता - पिता नयी तकनीकों से घर पर पढ़ने , लिखने के प्रति रुचि जगाएँ ।
विधार्थी ऑन लाइन पढ़ाई , प्रोजेक्ट करें ।
मैं तो खुद शिक्षिका रही हूँ । हर बच्चा अपने माता - पिता की बदौलत ऊंचाइयों को छूता है । जो माता - पिता अपने बच्चों की पढ़ाई , संस्कार पर ध्यान नहीं देते हैं । वे बच्चे सफल नहीं हो पाते हैं । क्योंकि बच्चे हमारे हैं । किराए के पढ़ाने वाले शिक्षक क्या आपकी की तरहअंत बच्चों पर ध्यान दे पाएँगे ।जवाब न ही में न है ।
मुझे गर्व होता हैं , आज मेरी दोनों बेटियाँ डाक्टर है । लाकडाउन में वायरस की परवाह किए बिना उन्हें सेवाएँ देने जाना पड़ता है, क्योंकि प्रकृति के पेड़ पौधे की तरह परहित में मानव जीवन होना चाहिए ।
लाकडाउन अपने परिवार के संवेगात्मक, मनोवैज्ञानिक , पारिवारिक , रूप से दूरी बनाकर करीब आने का महापर्व है । अभी आप सबके के हाथ में 2 सप्ताह हैं । सभी जन - मन रचनात्मक से अपनी हॉबी से वक्त को सत्यं शिवं सुंदरम बनाएँ । नवरात्रि की सभी देशवासियों को शुभकामनाएं । सब घर में रहें ।
आज नवरात्रे की अष्टमी है ।माँ महागौरी स्वरूप का पूजन किया जाता है ।हर मंदिर में , पंडालों में शक्ति रूपी महिषासुर मर्दनी देवी पार्वती को भक्ति का सैलाब श्रध्दालू पूजते हैं ।
मां का श्वेत रंग होने के कारण महागौरी नाम हो गया ।
आज भक्त कन्या पूजन करते हैं । हर तरफ माता के जयकारे लगते हैं । माँ को श्वेताम्बर देवी कहा गया है । हवन भी किया जाता है । श्रद्धा भाव से हर श्रद्धालु माँ से अपनी मनोकामना पूरी होने कामना भी मांगते ।
जैसे माँ ने राक्षस रक्तबीज को मारा था । वैसे ही कोरोना के वायरस को मारो माँ ।
अंत में
सभी के जीवन को माँ शक्ति , ऊर्जा प्रदान करे ।
जग जीवन का आधार हो माँ
ममता का महासागर हो माँ
देवीय शक्ति का सार हो माँ
अमन , प्रेम का संसार हो माँ ।