vijay laxmi Bhatt Sharma

Inspirational

3.0  

vijay laxmi Bhatt Sharma

Inspirational

लॉक्डाउन 2,दूसरा दिन

लॉक्डाउन 2,दूसरा दिन

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प्रिय डायरी लॉक्डाउन दो का दूसरा दिन है। कुछ कुछ बदल रही हूँ मै, अब घर में दिल लगता है... अब डर नहीं लगता की बिटिया बहार गई हुई है अभी स्कूल से आयी होगी या नहीं... पता नहीं बस आयी होगी या नहीं, बेटा कॉलेज गया है बहार दंगे शुरू हो गए पता नहीं क्या हालात होंगे, उसके आने तक चिंता मे रहना अब कोई चिंता फिक्र नहीं सब घर पर हैं नज़रों के सामने... कितना सुकून है बेशक महामारी से चारों ओर थोड़ा सहमा सा मंजर है पर फिर भी परिवार साथ है तो बहुत सी परेशनियाँ वैसे ही परेशान नहीं करती।

 प्रिय डायरी इतने सालों की दौड़ भाग थम सी गई है और इतने लम्बे सफ़र की थकान इस लॉक्डाउन में उतर सी गई है सबकुछ ठहर गया है ... और इस ठहरे हुए समय मे कुछ अपने मिल गए हैंकुछ सपने सच हो रहे हैं, हर चीज जैसे मेरे होने से जीवंत हो उठी हैहँसती हैं घर की दीवारें भी... खिलखिलाने लगी है मेरी रसोई... मेरे पौधे भी बातें करने लगे हैं... फूल भी खिलने लगे हैं।

प्रिय डायरी सबकुछ बंद नहीं होता कुछ ख़ुशियाँ तो इस लॉक्डाउन में भी खुली हुई हैं। जैसे विचारों की स्वतंत्रता, मन की कर लेने की, खुलकर हँसने की, सुनने की वो संगीत जो भूल चुके थे हम... नीरस जीवन में रंग भरकर ले आया ये लॉक्डाउन कुछ के रिश्ते मजबूत कर गया किसी को जीवन की हक़ीक़त बता गया... और किसी को ज़िंदगी की हक़ीक़त बता गया।

प्रिय डायरी आज पता चला की ज़िंदगी हर कदम एक नयी जंग होती है। और हर जंग एक इम्तिहान... जब हम इस इम्तिहान को पास कर लेते हैं तब एहसास होता है की चुनौतियों का भी अपना अलग ही अहसास है और अगर ये चुनौतियाँ ये परेशनियाँ... जीवन में ना हों तो जीवन नीरस है इसलिए जीवन में कुछ सरसता लाने के लिए समय समय पर चुनौतियाँ आनी ही चाहिएँ इतनी मुश्किल भी नहीं जैसी अब हैं लाखों लोगों को अपनी चपेट में लिए ये महामारी कारोना। पर ये दिन भी बीत ही जाएँगे और हम ये जंग जीत ही जाएँगे... मन में ये विश्वास क़ायम है , प्रिय डायरी इस विश्वास को अपनी पंक्तियों में व्यक्त कर मै आज के लिए अपनी कलम को विराम दूँगी...

मार कर इस कारोना को

हम दूर बहुत दूर भगाएँगे

मन में है ये विश्वास 

हम ये जंग जीत ही जाएँगे।


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