mujeeb khan

Drama Classics Inspirational

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mujeeb khan

Drama Classics Inspirational

लॉक डाउन -रिश्तों का

लॉक डाउन -रिश्तों का

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मार्च २०२० की भारतीय माध्यम वर्गीय परिवार की एक सामान्य सुबह, ७ बज रहे थे आरती किचन में किसी की चाय ,किसी का टिफ़िन और किसी का नाश्ता बनाने में व्यस्त थी ,चारो और से आवाज़े पड़ रही थी

'मम्मी मेरे मोज़े नहीं मिल रहे ,

"अरे आरती मेरी चाय क्या हुआ भाई ,

"मम्मी मेरा आई कार्ड नहीं मिल रहा ,और ये आज ही नहीं रोज़ सुबह का अखाडा था,आरती सारी मांओं के जैसे माँ दुर्गा बनी हुई आठ नौ हाथों से सबका काम कर रही थी I

करन को स्कूल, शनाया को कॉलेज और सुनील को ऑफिस रवाना कर के आरती चाय का कप लेकर डाइनिंग टेबल पर अख़बार पढ़ने लगी

"हे राम" ,ये क्या हो रहा दुनिया में"अनायास ही उसके मुँह से निकल पड़ा

क्या हो रहा है दुनिया में बहु " रामनिवासजी मुस्कराते हुए अपने कमरे से बाहर निकले

"देखिये न पापाजी ये कोरोना वायरस पूरे दुनिया में और अब तो अपने देश में भी फ़ैल गया है बहुत डर लग रहा है "आरती उनको चाय नाश्ता परोसते हुए बोली

रामनिवासजी और आरती का एक परम्परागत ससुर बहु नहीं बल्कि एक बाप बेटी का सा नाता था ,जो रामनिवास जी की पत्नी सुशीला के जाने के बाद और प्रगाड़ हो गया था , क्यूंकि घर के बाकि तीन सदस्य ,सुनील करन और शनाया जयादार समय घर से बहार रहते थे सुनील अपने ऑफिस,शनाया अपने कॉलेज ,करन अपने स्कूल और उसके बाद ट्यूशन में बिजी रहते थे

घर पर रहते थे तो रामनिवास जी और आरती .

पूरा परिवार मिलता तो सिर्फ डिनर टेबल पर

रामनिवास जी नाश्ता करते हुए बोले"अरे बहु ये कुदरत का जवाब है इंसानो को, कुदरत से खिलवाड़ करने का नतीजा है ये , भगवान भली करें"

रात को सब लोग जब डिनर टेबल पर बैठे तो भी चर्चा का विषय यही था

सुनील ने अपने चिरपचित लापरवाह अंदाज़ में सारे डर को नकारते हुए कहा "सब बेकार की बात है सार्स,बर्ड फ्लू और तो और एड्स ,सब के बारे में हमको ऐसे ही डराया गया था पर कुछ हुआ? नहीं न

"पर डैडी हमारी मेम कह रही थी की वर्ल्ड की काफी कन्ट्रीज लॉक डाउन लगा चुकी है और हमारी सर्कार लगाने के बारे में सोच रही है" शनाया ने अपनी चिंता बताई I

"लॉक डाउन मतलब" करन ने उत्सुकतावश पुछा I

" अरे लॉक डाउन मतलब सब कुछ बंद ,स्कूल कॉलेज, ऑफिस फैक्टरी ,ट्रेन बस और लोगों का घर से बाहर निकलना बंद, महामारी यानि पैंडेमिक फैलने पर सरकारें लॉक डाउन लगा सकती है" रामनिवासजी ने करन को समझाते हुए कहा

'वाओ"..... स्कूल बंद "

करन को खुश होता देख के सुनील ने उसे डांटते हुए कहा " ज्यादा खुश होने की ज़रूरत नहीं "

फिर सबको देखते हुए बोलने लगा " ये इंडिया है यहाँ कोई लॉक डाउन वाक डाउन नहीं चलेगा "

"इंडिया है मतलब ?" रामनिवासजी को ये बात पसंद नहीं आयी , एक स्वाभिमानी देश भक्त को भला ये बात गले उतरती भी कैसे . पिता की त्योंरिआ चढ़ते देख सुनील ने समझाते हुए कहा " पापा ,मेरा मतलब ये है की इंडिया इतना बड़ा देश है , फिर UNDISCIPLINED लोग, कोई व्यवस्था नहीं ,कैसे लॉक डाउन लगेगा ?

"इस सबके ज़िम्मेदार तुम लोग और तुम्हारी जनरेशन है ,कोई राष्ट्रीयता की भावना ही नहीं तुम लोगो में ,देश के वीरों के बलिदान को व्यर्थ कर दिया " रामनिवासजी झल्लाते हुए बोले उनमे एक गांधीवादी राष्टभक्त जाग चूका था

मामला गरम होते देख आरती ने सबका मनपसंद स्वीट डिश कस्टर्ड पेश कर दिया और अपनी सास को याद करते हुए बोली "मम्मीजी को कितना पसंद था न ये मिक्स फ्रूट कस्टर्ड" I

सुशीला का नाम आते ही रामनिवासजी उनको याद करते हुए बोले "उसको मीठा बहुत पसंद था" कहते कहते यादों में खो गए

आरती ने हमेशा की भांति मामला बखूभी शांत कर दिया था

खाना खा कर सब सोने चले गए

१७ मार्च २०२० ,एक अनजाना सा डर जो कोरोना की वजह से जो पूरी दुनिया में फैल रहा था , और फिर वही हुआ जिसका डर था खबरे आने लगी थी की शायद लॉक डाउन लग जाये !

डर, भय और अनिश्चितता के इस वातावरण से आरती का मन भी अछूता नहीं था ,

शाम को सुनील के घर पर आते ही आरती ने कहा " चलो जल्दी, लॉक डाउन लगने वाला है राशन स्टोर कर लेते है"

सुनील अपने लापरवाह अंदाज़ में बोला "अरे इतना हड़बड़ाने की कोई ज़रुरत नहीं है कोई कर्फ्यू ,इमरजेंसी थोड़ी लगी है ...हफ्ता दस दिन में खुल जायेगा" ..........

पर आरती कहाँ मानने वाली थी उसे ज़बरदस्ती राशन लेने ले गयी

दुकान पर बहुत भीड़ थी ,मारा मरी थी लोग कह रहे थे ये लॉक डाउन लम्बा चलेगा कम से काम दो तीन महीने ,सुन कर आरती को और घबराहट हो गयी ,सुनील उसको पैनिक नहीं होने की सलाह देता रहा पर आरती ने कोशिश कर के तक़रीबन डेढ़ महीने का राशन तो ले ही लिया,सुनील भुनभनाता रहा पर आरती अर्जुन के जैसे अपने लक्ष्य पर अडिग रही

रात ८ बजे लॉक डाउन की घोषणा हो गयी , स्कूल ,कॉलेज, ऑफिस, रेल प्लेन सब कुछ बंद ... और लोगों अपने अपने घरों में

सब की अपनी अपनी प्रतिक्रिया थी इस पर ,सुनील का कहना था इकॉनमी पर इसका बहुत असर पड़ेगा, शनाया अपनी स्टडीज को ले कर चिंतित थी ,रामविलास जी इसे सुरक्षा के लिए उठाया सही कदम बता रहे थे ,करन खुश था की स्कूल से छुट्टी ,आरती भी कही कहीं न कहीं खुश ही थी की सुबह सुबह के अखाड़े से तो मुक्ति मिलेगी I

पर एक अनजाना सा डर,अनिश्तिता और कुछ कुछ ख़ुशी का मिश्रित भाव सबके मन में था I

लॉक डाउन का पहला दिन ,घर के बाहर और अंदर के वातावरण में अजीब सी ख़ामोशी,सब लोग अपनी अपनी इस छुट्टी का आनंद ले रहे थे सुनील बिस्तर में अलसाया सा पड़ा था ,शनाया बिस्तर से उठने का मानस बना रही थी, और करन नींद का आनंद ले रहा था

आरती को भी सुबह सुबह वाले भागदौड़ वाले वातावरण से निजात पाकर अतयंत ख़ुशी हो रही थी और आराम से बैठ कर चाय और अख़बार का आनंद ले रही थी ..

रामनिवासजी नाश्ता कर रहे थे ...................की अचानक सुनील कमरे से निकला और आरती अख़बार पढ़ते देख उसके हाथ से अख़बार लगभग खींच कर फेंकते हुए कहा

" क्या कर रही हो तुम्हे पता नहीं इसमें वायरस हो सकता है "

क्या ? आरती हतप्रभ थी

"अरे ख़बरे आ रही है की बाहर की कोई भी चीज़ से वायरस फैल सकता है "अब से सारी चीज़ो का ध्यान रखना है

पेपर को आने के तीन घंटे के बाद उठाइयेगा और पढने के बाद हाथ सैनिटाईज़ करने है या २० सेकंड साबुन से धोने है , हरी सब्ज़ी और फ्रूट्स को को २ से ४ घंटे मीठे सोडे में भिगो कर रखाना है , आटे का पैकेट ,चिप्स के पैकेट ,टूथपेस्ट का टियूब सब कुछ को सैनिटाईज़ करने है,

काम वाली बाई नहीं आएगी, कोई भी बाहर का व्यक्ति नहीं आएगा " सुनील बोले जा रहा था

"हम अगर कहीं जरूरी काम के लिए बाहर जायेंगे तो मास्क लगाएंगे और बगैर अपने को सैनिटाईज़ या नहाये बिना अंदर नहीं आएंगे और वो कपडे भी डेटोल में अलग से धोयेंगे

पापा का विशेष ध्यान रखना है ,बुजर्ग लोग को काफी खतरा है '

आरती सुनील के इंस्ट्रक्शंस को ध्यान से सुन रही थी और रामनिवासजी इस वार्तालाप को I

ये लॉक डाउन इतना महंगा पड़ेगा आरती ने ये सोचा नहीं था , सुबह सुबह की भागदौड़ से तो निजात मिली पर पूरा दिन इसी में निकलने लगा ,सुबह की चाय फिर नाश्ता और लंच उसके बीच में ब्रंच और चाय कॉफ़ी का तो दौर चलता ही रहता था इस के साथ साथ में झाड़ू पौंछा , थोड़ी थोड़ी देर में करन शनाया को भूख लग जाती थी उन्हे कुछ देना ,फिर सब्ज़ी लाना उसको और खुद को सेनइटाइज़ करना,दूध के पैकेट,परचूनी के सामान को भी सैनिटाईज़ करके फिर व्यस्थित करना,दिन कब निकल जाता था पता ही नहीं लगता था I

थकान और दिमाग में व्याप्त भय,अनश्चिता ने आरती को बीमार सा बना दिया पर फिर भी वो काम करती रही

उस दिन सुबह उसका शरीर टूट सा रहा था कुछ ताप सा भी था ,दूध वाला घंटी पर घंटी बजा रहा था ,जैसे तैसे आरती उठी दूध का बर्तन लिया और दूध लेकर जैसे ही दरवाजा बंद करने लगी अचानक एक ऐसा चक्कर आया की धड़ाम से गिर पड़ी ,एकाएक हुई इस आवाज़ से सब उठ कर बाहर भागे, सुनील कमरे से निकलता हुआ बोला "अरे क्या हुआ " ओह हो अरे सारा दूध गिर गया "

इतने में रामनिवास जी भी जो अपने कमरे से बाहर आगये थे ,बोले "अरे तुम्हे दूध की पड़ी है आरती को तो उठाओ, कही लगी तो नहीं उसके "

"सुनील और शनाया ने आरती को उठाया

"अरे कुछ नहीं लगता है चक्कर सा आगया" आरती अपने को संभालते हुए बोली "

आरती को पास पड़े सोफे पर सुलाया ,शनाया पानी लेकर आयी ,

सुनील अपने चित परिचित अंदाज़ में बोलै "अपना ध्यान नहीं रखती हो "

" बेटा लगी तो नहीं न ,अरे भाई इसके लिए चाय वाय बनाओ " रामनिवास जी सुनील और शनाया की ओर देख कर बोले

"चाय ? पर दूध तो गिर गया सारा " सुनील बोला

"हाँ दादाजी" शनाया ने भी अपने डैडी के सुर में सुर मिलाया

रामनिवास जी थोड़ा हँसे फिर बोले " तुम लोगों को इस घर के बारे में कुछ पता नहीं , फ्रिज में रात का दूध एक कटोरे में पड़ा होगा उसकी एक कप चाय तो बन जाएगी "

" पर मुझे तो चाय बनाना आता नहीं" शनाया ने अपनी मजबूरी बताई

"मुझे तो चाय बनाये हुए ही २० साल हो गए जब हॉस्टल में रहता था तब बनता था वो भी हीटर पर " सुनील ने भी अपनी असमर्थता जताई

"तुम लोग स्वार्थी होने के साथ साथ आरती पर कितने निर्भर हो इस बात का अंदाज़ा भी नहीं है तुमको I इस घर में एक मेहमान के जैसे रहते हो ,सब कुछ बस आरती की ही ज़िम्मेदारी है "रामनिवासजी की आवाज़ में खिन्ननता साफ़ झलक रही थी I

“मैं बहुत गौर से ये देख रह हूँ, आज लॉक डाउन का २० वा दिन है ,लॉक डाउन से पहले बेचारी आरती को कुछ समय तो आराम के लिए मिल जाता था पर अब तो सुबह से लेकर रात तक तुम लोगों की सेवा में ही लगी रहती है फिर ऊपर से झाड़ू पौंछा,बर्तन और साफ़ सफाई करते करते पूरा दिन निकल जाता है , तुम लोग तो बस हुक्म चलाते हो क्या एक भी दिन तुम लोगों ने सोचा की चलो एक कटोरी या चम्मच ही धो दूँ ,या झाड़ू पौंछा ही लगा दूँ सब्ज़ी, सामान सैनिटीइज़ कर दूँ ? ये क्या सब सिर्फ आरती की ही ज़िम्मेदारी है ? बताओ ज़रा ?

वो बीवी है, मां है या नौकरानी ?? " रामनिवास जी की आवाज़ गुस्से से थर्रा रही थी "

सुनील को देखते हुए कहने लगे "अभी तुमने कहा ये अपना ध्यान नहीं रखती ज़रा सोचो, क्या तुम उसको जरा भी मौका देता हो क्या अपना ध्यान रखने का ?और अभी भी तुम्हे आरती की नहीं दूध की ज्यादा फ़िक्र थी की दूध गिर गया" रामनिवाजी गुस्सा होते हुए बोले

अपनी बात को जारी रखते हुए कहने लगे ,

"तुम लोग अपने अपने ऑफिस और स्कूल जा कर अपनी अपनी ज़िम्मेदारी निभा रहे होते हो ,और आरती तुम्हारी ..तुम्हारा नाश्ता,, ड्रेस यूनिफार्म टिफ़िन खाना डिनर सब उसकी ज़िम्मेदारी होती है ,,,, तुम स्कूल ऑफिस जाने से पहले इस भरोसे से उठते हो की सब कुछ जगह पर मिलेगा और वापस भी इसी भरोसे से आते हो की खाना,कपडा सब अपने समय और स्थान पर मिलेगा “I.

“कभी पुछा आरती से किसने की उसने दिन में क्या खाया ,या रेस्ट भी किया की नहीं ,सारा टाइम वो ही तुम लोगो से पूछती रहती है क्या खाने का मन है ,रेस्ट कर लो ,वगैरह ,वगैरह”......

कभी तुम लोगों ने पुछा उससे की उसका क्या मन करता है , सुनील वो तुम्हारी बीवी बनने से पहले वो

किसी की बेटी थी ,और शनाया तुम्हारी माँ से पहले एक लड़की है , वो भी एक इंसान है , वो भी अपने माँ बाप की लाड़ली थी ,उसके नाज़ और नखरे उठाने वाले भी कुछ लोग थे ,,,क्यों वो अपने को इतना पीस रही है ,क्यों? तुम लोगों के लिए ",रामनिवास जी व्यथित थे पर बोले जा रहे थे

"शरीर में एक हड्डी होती है सबसे लम्बी उसे स्पाइनल या रीढ़ की हड्डी कहते है वो अगर ख़राब या डैमेज हो जाये तो शरीर में कूबड़ निकल आता है या आदमी खड़ा नहीं रह पता आज हमारा परिवार खड़ा है तो आरती की वजह से, इस परिवार की रीढ़ की हड्डी है वो स्पाइनल कॉर्ड ......

समझे ?

सुनील और शनाया नज़रे नीचे झुकाये खड़े थे

"सब कान खोल के सुन लो" रामनिवासजी ने कड़क आवाज़ में बोलना शुरू किआ

"आज से सब अपना अपना काम करेंगे जैसे अपने अपने बर्तन और कपड़े खुद धोयेंगे

झाड़ू और पौंछा सब बारी बारी से लगाएंगे और किचन में आरती का हाथ बटायेंगे

और सब्ज़ी फल और परचूनी के सामान को भी सब मिल कर सेनिटाइज़ करेंगे

और संडे की आरती की छुट्टी ,सारा काम हम मिल कर करेंगे" ,,,,क्यों ठीक है न आरती " रामनिवासजी आरती की और देखते हुए बोले

आरती कुछ कह नहीं पायी आंखे भर आयी

"और अब सुबह का दूध मैं लूँगा ,आरती अब तुम्हे सुबह जल्दी उठने की जरूरत नहीं " मुस्कराते हुए रामनिवासजी बोले

"चलो शनाया आओ तुम्हे मैं अब चाय बनाना सिखाता हूँ "

रामनिवासजी शनाया को लेकर किचन की तरफ चले गए

आरती के आँखों से आंसूं और मन से प्रार्थना निकल रही थी की "भगवान हर लड़की को ऐसा घर दे जहाँ सास ससुर माँ बाप की कमी न खलने दे।"


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