ई-मेल खोये प्यार का
ई-मेल खोये प्यार का
हमेशा की तरह आज भी ऑफिस के बाद घर जाने की कोई जल्दी नहीं थी रवि को, एक एक कर के ऑफिस के सब लोग निकल गए में पर रवि युहीं लैपटॉप पर कुछ काम करने का उपक्रम कर रहा था
"साहब घर नहीं जाएंगे" ? ऑफिस बॉय किशोर दादा ने रोज़ की भांति चैम्बर में आ कर पूछा
"अरे किशोर दादा घर जा के भी क्या करेंगे वही दीवारे ,वही सूनापन " रवि एक लम्बी सांस भर कर बोला
"अरे साब जा कर आराम कर लीजिये ,थक गए होंगे" किशोर दा ने थोड़ा चिंतित भाव से बोला
"हाँ सही कह रहे हो आप "रवि ने अपना लैपटॉप बैग में रखते हुए कहा
रवि दुनिया मे अकेला ही था ,अच्छी नौकरी थी ,पैसा ,सब कुछ था पर कोई पर्सनल लाइफ नहीं, मम्मी पापा गुजर गए थे ,भाई बहिन थे नहीं शादी हुई भी थी पर होने से पहले ही टूट गयी
रवि ऑफिस से निकल उसी बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर में बने कैफेटेरिया में जा बैठा ,समय काटने के लिए वो रोज़ यहाँ ऑफिस के बाद आ जाया करता था और कॉफी पीते पीते घर जाने को कैब बुक करा देता था, कॉफी आर्डर कर के बैठ ही था की मोबाइल पर ईमेल नोटिफिकेशन की टोन बजी
"अरे यार फिर कोई रिपोर्ट मांग रहा होगा हेड ऑफिस" सोच कर अनमने मन से उसने ईमेल खोला
एक बार तो विश्वास नहीं हुआ ,दुबारा देखा तो , थोड़ी उत्सुकताऔर थोड़ी ख़ुशी, के मिश्रित भाव उसके मन में आने लगे,ईमेल नोटिफिकेशन कह रहा था " मैसेज फ्रॉम सुहानी रॉय "
रवि सोच में पड़ गया .सुहानी क्या ये वही सुहानी है जिसे वो पिछले १८ सालों से खोज रहा था पर उसका कहीं अता पता नहीं चला , ऐसा लगा मानो वो अपने कदमो के सारे निशान मिटाती चली हो जिससे कोई उसके बारे में पता नहीं लगा पाए । ऐसा क्या हुआ होगा उसकी ज़िन्दगी में की उसने सबसे दूरियां बना ली ? और आज अचानक से?? कुछ समझ नहीं पा रहा था रवि
ईमेल खोला तो सिर्फ "hi " लिखा था,
रवि ने भी "hi " लिख दिया
"Suhani here , i hope you remember me, .......S.S . college 89 batch" उधर से मैसेज आया
रवि को यकीं सा होने लगा पर ये सुहानी ऐसे क्यों बात कर रही है ,जैसे कोई जस्ट फ्रैंड टाइप हो ,पर आश्चर्यचकित ख़ुशी में जल्दी से जवाब दिया " अरे common ....कैसी हो ,कहाँ हो , तुम तो गायब ही हो गयी " रवि अपनी जिज्ञासा और उत्सुकता रोक नहीं पा रहा था
"मैं ठीक हूँ " जवाब आया
"email पर क्यों बात कर रही हो lets connect on any chatting app , रवि को ये ईमेल चैटिंग कुछ परेशान कर रही थी
"NO I don't use any chatting app " सुहानी का रिप्लाई शार्ट था
"मोबाइल नंबर दो कॉल करता हूँ " रवि उत्सुक था
"नहीं रहने दो " उसका फिर शार्ट और इस बार काफी कुछ रुखा सा रिप्लाई था
"अरे ? पर क्यों" ? रवि को थोड़ा आश्चर्य हुआ
"जस्ट ऐसे ही" सुहानी का रिप्लाई फिर शार्ट था
"where are you these days " ?रवि ने बात आगे बढ़ाई
"वही जहाँ थी ?" जवाब फिर शार्ट था उसके जवाब से रवि को ऐसा लगा की मानो कुछ ठीक नहीं है , बात कर भी रही थी ,पर लगता था करना भी नहीं चाह रही थी ,रिप्लाई भी शार्ट थे और कई बार रुखे भी
रवि ने थोड़ा चिंतित होते हुए आगे पूछा "सब ठीक है न "
"हाँ everything is alright" सुहानी ने थोड़ा कन्विंसिंग सा जवाब दिया
"मेरे से नाराज़ लगती हो " रवि ने कहा
नहीं ,नाराज़ क्यों भला ? सुहानी के रिप्लाई शार्ट ही थे
"तो फिर इतने रूखे जबाब ,नंबर भी नहीं दे रही हो ,कॉल भी नहीं ? मैं तुमको २० साल ढूंढ रहा हूँ ...कहाँ नहीं ढूंढा, सारे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर, तुम्हारे दोस्तों से पुछा ,पर कही नहीं पता लगा " रवि के इस सवाल पर उधर से कुछ जवाब नहीं आया काफी देर तक ...
रवि ने फिर पुछा "वैसे तुमने मुझे ढूंढा कैसे ?
"अब कल बात करते है ओ.के. बाय" अचानक वार्तालाप ख़तम कर दिया सुहानी ने
विस्मित ,चकित से रवि के पास ओके कहने के अलावा कोई चारा नहीं था
कल बात करते हैं ये क्या बात हुई रवि सोचने लगा ,बात भी शार्टबातों में रूखापन ,ये तरीका तो सुहानी जैसा तो बिलकुल नहीं है "
रवि थोड़ा कंफ्यूज हो गया ,कैब आने का मैसेज आया "your ride is here " ,कैब में बैठे बैठे रवि अपनी यादों में खो गया
सुहानी और रवि कॉलेज में मिले थे ,ये कोई पहली नज़र का प्यार नहीं था, न कोई ट्रेडिशनल लव स्टोरी, नावेल या fairy tale जैसी बिलकुल नहीं थी.. रवि और सुहानी की मुलाकात हुई थी सुहानी की बेस्ट फ्रेंड बिंदु और रवि के बेस्ट फ्रेंड शेखर की लड़ाई से,सुहानी और बिंदु कॉमर्स स्ट्रीम में थी वहीँ रवि और शेखर आर्ट्स में ,दोनों डिपार्टमेंटस की क्लास एक ही बिल्डिंग में ,एक ही टाइम पर आजु बाजु वाली रूम्स में लगा करती थी ,हुआ यूँ की एक दिन बिंदु क्लास के लिए लेट हो गयी थी और जल्दी जल्दी क्लास की और जा रही थी ,कमोबेश शेखर का भी यही हाल था दोनों जल्दी में थे , बिंदु आगे चल रही थी और शेखर उसके जस्ट पीछे की अचानक बिंदु का दुपटा कॉरिडोर में पड़े एक पुराने से स्टूल के कोने से उलझ गया और बदकिस्मती से क्यूंकि शेखर उसके जस्ट पीछे था ,बिंदु को लगा शेखर ने दुपटा खींचा ,इस बात पर लड़ाई हो गई , उस वक़्त तो दोनों क्लास में चले गए, पर क्लास के बाद जब रवि ,शेखर और कुछ दोस्त कॉलेज के गार्डन में बैठे थे तो बिंदु ,सुहानी और उनकी कुछ सेहलियाँ वहां आ कर झगड़ा करने लगी ,बहुत ज़बरदस्त था वो झगड़ा, रवि और सुहानी ने भी खूब बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया ,गली गलौज ,धमकी ,आरोप प्रत्यारोप ,क्या नहीं हुआ , बात बढ़ती देख किसी ने कहा की अगर बात प्रिंसिपल तक पहुंची तो सब के सब रास्ट्रिकैट हो जायेंगे . बरहाल "पैच अप" हुआ और उनके पैच अप में रवि और सुहानी का "हुक अप" हो जायेगा ये दोनों ने सपने भी नहीं सोचा था , फिर वही जो होता है,होने लगा ,बैचैन दिल ,एक दूसरे की याद ,क्लास के बाद मिलना जुलना ,प्यार परवान चढ़ने लगा , साथ जीने मरने की कसमे ,प्यार के देवता इस केस में ओवरटाइम कर रहे थे शायद ..........................दोनों जल्द ही टॉक ऑफ़ दी टाउन हो गए ,कॉलेज का आखरी साल था, एग्जाम हो चुके थे ,बात घर वालों तक पहुँची दोनों के पिताजी मिले .फिर पता नहीं क्या हुआ की रवि के पिता ने घर आते ही रवि को प्यार मोहब्बत से ध्यान हटा कर पढाई में लगाने का हुक्म और आगे की पढाई के लिए दिल्ली भेजने का फैसला सुना दिया ,और सुहानी का घर से निकलना बंद कर दिया गया
सब कुछ इतना जल्दी हुआ की रवि सुहानी से मिल भी नहीं पाया , रवि ने शेखर के हाथ मैसेज भी भिजवाए पर पता लगा की वो लोग शहर छोड़ कर कहीं और शिफ्ट हो गए है घर पर ताला है
या सोचते सोचते रवि को न जाने कब नींद आगयी पर सुबह जल्दी नींद खुल गयी शायद इस उत्साह में की सुहानी का मैसेज आये !
कभी कभी रवि के मन में ये भी विचार आरहा था की कोई फिरकी तो नहीं ले रहा?? ,पर मन मान ही नहीं रहा था
पूरा दिन निकल गया ,रवि का सारा ध्यान ईमेल नोटिफिकेशन पर था ,कोई सैकड़ों बार उसने मोबाइल उठा कर और लैपटॉप खंगाला पर मैसेज आया वही शाम ५ बजे
"हाय " वही शार्ट मैसेज
हाय का जवाब रवि ने भी "हाय" में ही दिया
फिर सन्नाटा तकरीबन १५ मिनट का
दोनों शयद एक दूसरे का वेट कर रहे थे
"मिलना है तुमसे" सुहानी का सन्नाटा तोड़ता हुआ मैसेज आया
"अरे तुम हो कहाँ ये तो पता लगे ? और फिर कहाँ मिलना है? "तुम सुहानी ही हो या कोई मेरे मज़े ले रहा है" रवि अपनी उत्सुकता रोक नहीं पाया
इस मैसेज के बाद आधा घंटा मैसेज नहीं आया रवि ऑफिस से निकल कर कैफ़े में जा बैठा कैब भी आ गयी ....फिर मैसेज आया
" you don't believe me? "right
" नहीं ऐसा नहीं मेरा मतलब था ,you don't sound like you .. मतलब इतना RUDE और शार्ट जवाब ,,,तुम तो ऐसी कभी नहीं थी ? और इतने साल बाद अचानक और वो भी ईमेल पर ,,,ITS JUST A CURIOSITY " रवि ने दिल की बात कह डाली
"मिलने का क्या सोचा तुमने "सुहानी की तरफ से बात पलटने जैसा मैसेज था
"अरे बाबा कहा मिलना है और कब और तुम हो कहाँ ये तो पता लगे ? रवि थोड़ा परेशान होते हुए बोला
"उसी शहर में ही हूँ ,तुम तो दिल्ली हो २ घंटे ही लगेंगे आने में " सुहानी के बात से लगा की उसको मेरे बारे में सब पता है
तुम्हे कैसे पता " रवि के मन मे रह रह कर हर तरीके के सवाल आ रहे थे
"आने वाला सैटरडे ठीक रहेगा" सुहानी to the point बात कर रही थी
"ओके,कहाँ मिलेंगे" रवि शंकित था पर फिर भी ओके कह दिया
"ढाबा कैफ़े" वहीँ जहाँ हम अक्सर मिलते थे "सुहानी का जवाब था
"ओके" रवि ने कह तो दिया पर बात कुछ हज़म नहीं हो रही थी दिल और दिमाग दोनों अलग अलग बात कर रहे थे, वो सोचने लगा मेरे बारे में इतनी जानकारी, फिर मेरा ईमेल ढूंढ़ना, फिर २० साल बाद ??फ़ोन नहीं करना? नंबर नहीं देना ? कही कोई मज़े तो नहीं ले रहा,,या कोई ??किसी अनिष्ट की भी शंका होने लगी थी
कंफ्यूज हो कर , थक हार कर हर बार की तरह शेखर को फ़ोन लगाया, और उसे ये बात बताई
वो भी आश्चर्यचकित और कंफ्यूज हो गया दोनों थोड़े आशान्वित भी थे पर कहीं न कहीं कुछ ठीक भी नहीं लग रहा था। दोनों ने वहां जा कर ही इस बात को मालूम करने की ठानी
उत्सुकतावश फ्राइडे रात को ही पहुँच गए ,होटल से सुबह शहर को देखने निकल पड़े आखिर बचपन जवानी की यादें जो थी, घूम घाम कर "ढाबा कैफ़े" पहुंचे ,बहुत कुछ बदल गया था वहां पर जो नहीं बदला था वो था कॉलेज गोइंग युवाओ का जमवाड़ा ,अभी भी वहां यंग क्राउड जोड़ो में या झुण्ड में बैठे थे
आखिर ४ बज गए रवि और शेखर दोनों एक कोने में पड़ी टेबल पर जा बैठे
आधा घंटा गुजर गया,सुहानी का कोई अता पता नहीं ,न कोई मैसेज ,फिर एक घंटा ,डेढ़ घंटा ,२० कप चाय ६ पिज़्ज़ाऔर ४ घंटे के इंतज़ार के बाद भी कोई ईमेल नहीं ,कुछ पता नहीं ,रवि को इंटरेनट कनेक्शन पर शक हुआ चेक कर के देख लिया ,शेखर से हॉटस्पॉट लेकर भी ,पर कुछ नहीं हुआ मैसेज नहीं आया तो रवि ने मैसेज किआ " कहाँ हो "पर इसका भी जवाब नहीं आया
रवि और शेखर ,दोनों वहां असहज और महसूस कर रहे थे । सारा क्राउड वहां यंग लोगों का था या तो लोग वहां जोड़ो में ,या ग्रुप्स में थे ,रवि और शेखर ही थे जो दोनों ३५ के आस पास की उम्र वाले अकेले थे कुछ लोग देख भी रहे थे ,एक ग्रुप जो उनकी टेबल के बिलकुल अपोजिट कार्नर में बैठा था जिसमे १७ -१८ साल की उम्र के दो लड़कियां और एक लड़का था बार बार उनको को देख रहे थे ,ऐसा लग रहा था उनके बारे में बात कर रहे हों ,बार बार वो सब उस लड़की के लैपटॉप में भी देख रहे थे, ये बात रवि को और असहज बना रही थी उसने शेखर को बोला उसने भी नोटिस किआ , ये देख कर वो ग्रुप मौका देख चुपके से वहां से निकल गया ,दोनों इस बात पर थोड़ा शंकित भी हुए ,८ बज गए थे रवि और शेखर भी थक हार कर वापस होटल पहुंचे ही थे की ईमेल नोटिफिकेशन मैसेज टोन बजी,लपक के रवि ने देखा सुहानी का मैसेज था
"हाय "
"अरे तुम आयी नहीं ,इतना इंतज़ार किया ,"now u r forcing me to disbelieve " रवि ने थोड़ा नाराज़ होते हुए कहा
"मैने तुमसे मिलना था अकेले में ,किसी और को क्यों लाये तुम साथ"सुहानी की इस बात पर रवि सन्न रह गया
"इसका मतलब तुम थी वहां और पर वो तो शेखर है ,तुम जानती हो उसे " रवि ने एक्सप्लेन किआ
"उसे कोई मतलब नहीं , पर तुम अकेले आओ ,अगर मिलना है तो" ये धमकी थी या ब्लैकमेल था ,कुछ समझ नहीं आया , शेखर और रवि को थोड़ा सा शक था पर शक की कोई वजह तो थी नहीं और न किसी पर शक था पर फिर भी दोनों इस निष्कर्ष पर पहुंचे रवि अकेला जायेगा और शेखर रेस्टोरेंट बाद में पहुंचेगा और बाहर कार में ही रहेगा पर फ़ोन से कनेक्टेड रहेंगे जिससे किसी अनहोनी ,जिसकी संभावना लगभब शून्य ही थी पर फिर भी , से निपटा जा सके
वही ४ बजे का समय ,रवि कैफ़े पहुँच गया ,फिर वही इंतज़ार, १० मिनट ,१५ ...रवि मोबाइल में गेम खेलने लगा ,करता भी क्या आस पास लोगो को कब तक देखता और इधर देखना उसको भी और लोगो को भी असहज कर रहा था ,रवि नज़र झुकाये गेम मे बिजी होने का नाटक करते हुए कॉफ़ी पी रहा था
"हेलो" एक स्वीट सी आवाज़ से उसने ऊपर मुँह उठा के देखा ,सुन्दर सी १९ साल की एक लड़की टेबल के सामने खड़ी थी
"हेलो" आप? रवि ने थोड़ा अचंभित होते हुए कहा
लड़की ने थोड़ा बेतकल्लुफी दिखते हुए सामने पड़ी चेयर पर बैठते हुए कहा " मैं खुशबू हूँ "
"क्या में आपको जनता हूँ ,मैने आपको पहचाना नहीं , i mean मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूँ " रवि को कुछ सस्पीशियस लग रहा था प्लान के मुताबिक उसने टेबल के नीचे फ़ोन रख कर शेखर को फ़ोन लगा दिया जैसा उन्होंने decide किआ था
"मदद तो आपको मेरी करनी ही होगी " लड़की काफी बोल्ड से अंदाज़ मैं बोली
"क्या " ,रवि थोड़ा भोचक्का सा था गौर से देखने पर उसे याद आया ये तो वही लड़की है जो कल वहां कोने की टेबल पर बैठी थी ,
"तुम तो वही हो न जो कल उस टेबल पर बैठी थी "रवि ने उस टेबल की और इशारा करते हुए पुछा
"जी सही पहचाना " लड़की ने बेबाकी से जवाब दिया
"ओह, ओके सो बताइये how can i help यू " रवि अब थोड़ा शंकित हो गया था
"दरसअल आप जिनका इंतज़ार कर रहे है न वो मेरी मम्मी है" खुशबू थोड़ा सा मुस्कराते हुए बोली
"क्या " रवि भोचक्का सा रह गया ,कुछ समझ नहीं आ रहा था ,झेंप सा गया था वो
"जी हाँ सुहानी मेरी मम्मी का नाम है " खुशबू ने कहा
"वो एक्चुअली ....मैं.......आयी ऍम सॉरी ......पर ...वो ...मैसेज ,ईमेल ".रवि से झेंप और घबराहट में शब्द नहीं निकल रहे थे
प्लीज आप अनकम्फर्टेबल मत होइए " ....रवि को परेशान होता देख वो बोली
कहने लगी " एक्चुअली वो मैसेज मैने ही किये थे आपको , आई ऍम सॉरी "
"मतलब "..?रवि तक़रीबन चिल्ला ही पड़ा था
"सॉरी" मैं मजबूर थी" खुशबू थोड़ा मायूस होते हुए बोली
क्या मजबूरी ? is suhani all right ?रवि थोड़ा चिंतित था
"जी मम्मी ठीक है" ,खुशबू ने कहा
"तो फिर ये सब क्यों" रवि को कुछ समझ नहीं आरहा था
रवि को कंफ्यूज होता देख खुशबू ने कहा "मैं आपको पूरी बात समझाती हूँ "
हमारी छोटी से फॅमिली पंजाब में रहते थे ,मैं मेरे पापा मम्मी ,एक हादसे मे पापा को खोने का ग़म माँ झेल नहीं पायी ,गुमसुम सी रहने लगी ,किसी से बात नहीं करना, शून्य में देखते रहना, मैं उस वक़्त १० वीं क्लास में थी ,मेरे बोर्ड्स थे , मम्मी का सदमे में देख और मेरी पढाई को ध्यान में रख नाना नानी हमें वापस इस शहर में ले आये ,डॉक्टर्स का भी यही कहना था की माँ को वहां ले जाया जाये जहाँ इनके बचपन की सुनहरी यादे जुड़ीं हुई हों तो धीरे धीरे ये ठीक हो जाएँगी पर यहाँ आने पर भी कुछ खास नहीं बदला ,नाना की दो साल पहले हार्ट अटैक से डेथ हो गयी ,मम्मी फिर टूट गयी ,नानी ने और मैने उन्हे संभालने की कोशिश की पर पिछले साल नानी भी भी हमे छोड़ कर भगवान के घर चली गयी
"ओह" रवि की आवाज़ में अफ़सोस था पर फिर सवाल उठ रहा था जो उसने पूछ ही लिया
"ओके पर मुझे मैसेज करना और वो भी सुहानी के नाम से,सुहानी ने क्यों नहीं किये और तुमने क्यों?" और मुझे कैसा ढूंढा मतलब I am getting so confused " रवि ने अपनी सारी जिज्ञासा और सवाल सामने रख दिए
" जी , मैं सब बताती हूँ " सुहानी ने बोलना शुरू किया
"जो में अब कहने वाली हूँ आप उससे uncomfortable मत हो जाना ,आप माँ के लाइफ में एक मत्वपूर्ण जगह रखते है और मैं ये जानती हूँ की आप दोनों के बीच बहुत सच्चा प्यार था ,पर आपके पापा और मेरे नाना की पर्सनल ईगो की वजह से नहीं कुछ ऐसा हुआ की आप लोग हमेशा के लिए दूर हो गए ,मुझे नहीं पता उन्होने अच्छा किया या बुरा पर मम्मी आपको भुला नहीं पायीं, उनकी शादी हो गयी और उन्होने सब कुछ भूल कर अपनी ज़िन्दगी नए सिरे से शुरू भी कर दी पर भाग्य को कुछ और मंज़ूर था , माँ की ये हालत अब देखी नहीं जाती मुझसे ,फिर अब हम लोग बिलकुल अकेले भी है " कह कर खुशबू चुप हो गयी उसकी आँखों भर आयी थी
रवि भी ग़मगीन सा हो गया ,माहौल में एक सन्नाटा सा पसर गया
"तुम्हे इतने सारी बाते किसने बताई ,सुहानी ने "?रवि अचंम्भित था ये सब सुन कर
नहीं बिंदु मौसी ने ,मम्मी तो आपके बारे में कुछ सुनना और बात करना ही नहीं चाहती " खुशबू ने कहा
बिंदु मौसी जो अमेरिका में है ने एक बार वीडियो कॉल पर कोशिश की थी पर सब बेकार , मम्मी ने आपका ज़िक्र आते ही कॉल कट कर दिया था "
आप वैसे तो ज़ाहिरी तौर पर एक क्लोज्ड चैप्टर है उनकी लाइफ का पर मैं जानती हूँ की उनकी ज़िन्दगी की किताब का कवर भी आप हो और पहला और आखरी पन्ना भी" खुशबू बोले जा रही थी " मैं आप के पास बहुत उम्मीद से आयी हूँ ,मेरी मम्मी को को उनकी ज़िन्दगी वापस लौटा दीजिये और ये सब अब आप ही कर सकते है "................................................... ,
रही बात मैने क्यों मैसेज किये मम्मी के नाम से ? वो इसलिए की मम्मी से तो हम ऐसा कुछ करने के लिए कुछ कह नहीं सकते थे और वो तो कुछ करने वाली भी नहीं थी ,आपको भूलने का और आपका नाम भी नहीं लेने का वादा जो उन्होने नाना से किया था उसको वो तोड़ने वाली नहीं थी ,पर हम उनको टूटता नहीं देख पा रहे थे तो मैने और बिंदु मौसी ने ये सोचा और ये प्लान बनाया किया पर फिर मैं श्योर नहीं थी की मेरे नाम से मैसेज को आप कैसे लेंगे सीरियसली भी लेंगे या नहीं? तो मैने मम्मी के नाम से ईमेल अकाउंट बनाया और फिर आपको हमने यहाँ बुला लिया" .सुहानी ने अपना पूरा प्लान रवि के सामने रख दिया
"मतलब मैं समझा नहीं "रवि को अभी भी नहीं समझ आरहा था की हो क्या रहा है
खुशबू ने कहना शुरू किया "देखिये आप का अगर घर परिवार होता तो मैं आपको कभी ऐसा कहने की सोच भी नहीं सकती थी पर मुझे मालूम है आप अकेले है ,आपकी होने वाली बीवी आपको शादी के दिन छोड़ के चली गयी और आप ही उनको छोड़ कर आये थे ,क्योंकि वो किसी और से प्यार करती थी और आपको जब पता लगा तो आपने उन्हे जाने दिया "
"तुम्हे इतनी सारी बात कैसे पता है " रवि खुशबू के होमवर्क पर आश्चर्यचकित था
"वो सब छोड़िये" खुशबू ने कहना जारी रखा "भगवान आपको फिर एक मौका दे रहा है मिलने का "
"बेटा अब तुम क्या चाहती हो "रवि अब रेस्टलेस होने लगा था
"अपने जो अभी बोला वही मैं चाहती हूँ " खुशबू ने बड़े कॉन्फिडेंस से कहा
"मतलब" रवि बोला "मैं कुछ समझा नहीं "
"आप क्या बोले अभी मुझे" खुशबू ने लगभग चेयर से फुदकते हुए कहा
"बेटा "रवि ने कहा
"हाँ बस यही,मुझे अपनी बेटी बना लीजिये, माँ को अपना लीजिए प्लीज " खुशबू विनती सी करते हुए बोली
रवि सन्न रह गया ,"ये क्या ,कैसे, तुम्हे मालूम है तुम क्या कह रही हो"
"जी i mean it और मुझे अच्छे से पता है इसीलिए आपको ६ महीने से हम ट्रेस कर रहे थे , आपके सोशल अकाउंट को ,फिर आपके ईमेल का पता किआ फिर आपको यहाँ बुला लिया ,वो जो पीछे बैठे है न वो मेरे फ्रेंडस है हमने ही आपकी रेकी की " कह कर वो हंसने लगी
वही अल्हड ,बेफिक्र हंसी जैसी सुहानी की थी, बेबाक बात कहने का तरीका,,,पर आंखों में एक मासूमियत बिलकुल सुहानी जैसे ...........
रवि को एकटक देखते हुए खुशबू बोली " माँ जैसी लगती हूँ न मैं " वही देख रहे है न आप"
रवि थोड़ा झेंपा फिर मुस्कराया
"वो तो ठीक है पर खुशबू ये कैसे होगा मतलब बहुत मुश्किल है ये सब , लोग ,समाज " रवि ने कंफ्यूज होते हुए कहा," और फिर सुहानी कहाँ तैयार होगी जैसे की तुमने बताया की वो मेरा नाम भी नहीं लेना चाहती " रवि ने अपनी शंकाये ज़ाहिर की
"समाज और लोगों की आयी डोंट केयर , और रही बात मम्मी की उनको हम सब मिल के मनाएंगे " खुशबू का चेहरा आत्मविश्वास से दमकने लगा था
"वो कैसे " रवि थोड़ा आश्चर्य से पुछा
"मेरे पास एक आईडिया है " खुशबू फिर चहक के बोली
"और वो क्या है " रवि पूछ बैठा
"मैं मम्मी को लेकर एक आउटिंग प्लान करती हूँ पास में जो झील है वहां ,आप और शेखर अंकल पहले से वहां मौजूद होंगे ,मैं वहां अचानक चक्कर खा कर बेहोश होने का नाटक करूंगी, मम्मी घबरा जाएँगी ,समय ऐसा चुनेंगे १ से २ बजे की बीच जब वह ज्यादा लोग नहीं होते , माँ मदद के लिए आवाज़ देंगी तभी आप वहां आना मुझे लेकर हॉस्पिटल ले कर जाना ,इसी बहाने मुलाकत होगी और फिर वही तार जुड़ जुड़जाएंगे जो वक़्त ने कहीं तोड़ दिए थे " कह कर वो हंसने लगी
" बहुत नॉटी हो " रवि हंस दिया
तय प्लान के अनुसार रवि और शेखर झील पर पहुँच गए , थोड़ी देर में में सुहानी और खुशबू भी पहुँच गए ,इधर उधर चहल कदमी के बाद वो दोनों झील के मुहाने पर टहलने लगी , सुहानी हम लोग को जो की एक निश्चित जगह पर बैठे थे को देखने की कोशिश कर रही थी इसी चक्कर में अपना बैलेंस खो बैठी और झील में जा गिरी ,अचानक हुए इस घटनाक्रम को देख शेखर बोल पड़ा "यार ये तो प्लान में नहीं था "
रवि लगभग चिल्लाते हुए बोला " ओह माय गॉड ,यार वो वास्तव में झील में गिर गयी है" ,सुहानी मदद को चिल्लाने लगी .रवि ने आव देखा न ताव झील में छलांग लगा दी ,डूबती हुई खुशबू को निकल कर किनारे ले आया और उसकी पीठ और पेट को थपथपा के उसके पेट में भरे पानी को निकालने की कोशिश की खुशबू ठण्ड के मारे काँप रही थी, एक बार आँख खोली फिर बेहोश हो गयी
"इससे तुरंत हॉस्पिटल ले जाना चाहिए "कहते हुए रवि ने सुहानी के तरफ देखा ,२० साल बाद दोनों की नज़रे मिली ,सुहानी के मुँह से कुछ नहीं निकला सिर्फ आंखें बोल रही थी की "तुम"?
पुराने तार फिर से जुड़ते से लग रहे थे और प्रेम का संगीत फिर से सरगम गाने लगा था
"इसे जल्दी हॉस्पिटल ले जाना होगा " कहते हुए रवि ने खुशबू को को गोद में उठाया और गाड़ी की तरफ भगा ,सुहानी और शेखर भी उसके पीछे पीछे हो लिए
खुशबू को देख कर डॉक्टर ने कहा " घबराने की कोई बात नहीं बस सर्दी खा गयी है और थोड़ा डर की मारे बेहोश हो गयी है कुछ घंटे ऑब्जरवेशन में रखते है एक दो घंटे में होश आजायेगा फिर छुट्टी दे देंगे "
खुशबू के बैड के एक तरफ सुहानी और एक तरफ रवि बैठ गए ,शेखर चाय लेने चला गया ,
रूम में सिर्फ रवि और सुहानी ,कभी नज़र मिलती थी कभी नहीं , आखिर २० साल का वनवास जो काटा था इस प्रेम ने !
सुहानी ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा "तुम्हारा शुक्रिया तुमने मेरी मदद की "
"शुक्रिया की कोई जरूरत नहीं" रवि ने बोला
"पर तुम यहाँ कैसे " सुहानी ने चोरी चोरी रवि की तरफ देखते हुए कहा
"वो एक लम्बी कहानी है, बाद में बताऊंगा" रवि ने बात पलटते हुए आगे पुछा " कहाँ थी तुम इतने दिन कितना ढूंढा तुम्हे मैने " क्यों अपने आप को छुपा लिया था तुमने" ?
सुहानी के आँखों से झरना बहने लगा ,आखिर इतने दिनों का मवाद जो जमा कर रखा था , थोड़ा सम्भली तो बोली
"तुम्हारे डैडी जब मेरे पापा से मिले तो उन्होने पापा को कहा अपनी औकात देखी है ,कहाँ हम और कहाँ तुम और भी बहुत भला भुरा कहा,ये सब पापा को बुरा लगा उन्होने मुझे अपनी कसम दी तुम्हे हमेशा हमेशा भूल जाने की और ये भी की उनके जीते जी तुम्हारा नाम कभी मेरे मुँह पर नहीं आएगा ,फिर मेरी शादी कर दी गयी ,पर एक हादसे में संजय की मौत हो गयी ,कुछ दिनों पहले मम्मी ,पापा भी दोनों चले गए ,मैं फिर अकेली हो गयी,अब बस ये खुशबू है , मेरी ज़िन्दगी, मेरा सब कुछ और आज तुमने इसे बचा कर मेरी ज़िन्दगी बचा ली ,कहते कहते वो फिर रोने लगी , फिर अचानक अपने को थोड़ा संभालते हुए कहने लगी "छोड़ो मेरी दुःख भरी दास्तान , तुम सुनाओ , कहाँ हो ,कितने बच्चें है तुम्हारे"? .
"मेरे बच्चे नहीं है " रवि ने कहा
"ओह शादी नहीं की तुमने " सुहानी ने पुछा
"की भी और नहीं भी "रवि लम्बी सांस लेते हुए बोला
"मतलब मैं समझी नहीं "सुहानी थोड़ा आश्चर्यचकित हो कर बोली
"शादी के दिन ही उसने कहा की वो किसी और से प्यार करती है और मजबूरन उसकी शादी कर रहे है तो मैने उसे जाने दिया "रवि ने फिर एक गहरी सांस लेते हुए कहा
"और ये खुद उसको उसके प्रेमी के पास छोड़ कर आये थे माँ ", अचानक खूशबू उठ बैठी और बोल पड़ी
खूशबू को देख सुहानी ने लपक के उसको गले लगा लिया "मेरी बच्ची" , थोड़ा संभली तो पूछ बैठी "ये सब तुम्हे कैसे पता" ?
"ये सब आपको बाद में बताउंगी " खुशबू ने ये कहते हुए रवि को देखा और दोनों एक दूसरे को देख कर हंस पड़े . खुशबू ने सुहानी का हाथ अपने हाथों में लेते हुए कहा
"माँ अभी तुमने रवि अंकल को कहा की उन्होंने मुझे बचा कर तुम्हे अपनी ज़िन्दगी लौटा दी ?अब आप भी उनको और खुद को अपनी ज़िन्दगी लौटा दो न "
"क्या मतलब "? सुहानी थोड़ा सकपकाते हुए बोली
"आप दोनों अभी भी एक दूसरे को बहुत प्यार करते हो ,मम्मी देखो नाना के साथ ही उनकी दी गयी कसम भी चली गयी , मैं आप को और ऐसे नहीं देख सकती, इसलिए ये सब प्लान मैने बनाया था ,रवि अंकल को यहाँ बुला कर आपसे मिलाने का ,वैसे थोड़ा डेंजरस और अडवेंचरस नहीं हो गया ये " कह कर फिर रवि और खुशबू हंस पड़े
इतने में डॉक्टर आये और खुशबू को देख कर बोले "oh you look फाइन" फिर थोड़ा चेक किया और कहा " you can go home now "
खुशबू ने सुहानी और रवि की तरफ देखते हुए कहा ," तो अब चले घर वापस ! सुन कर सुहानी थोडा शरमा गयी, रवि भी सकपका सा गया , खुशबू ने उन दोनों का हाथ एक दूसरे के हाथ में देते हुए कहा "अब चलो आप दोनों मेरे मम्मी पापा के घर" , तीनो भीगी आँखों से हंसने लगे
खुशबू को पापा , सुहानी और रवि को एक दूसरे का प्यार वापस मिल गया था
खोये प्यार का
हमेशा की तरह आज भी ऑफिस के बाद घर जाने की कोई जल्दी नहीं थी रवि को, एक एक कर के ऑफिस के सब लोग निकल गए में पर रवि युहीं लैपटॉप पर कुछ काम करने का उपक्रम कर रहा था
"साहब घर नहीं जाएंगे" ? ऑफिस बॉय किशोर दादा ने रोज़ की भांति चैम्बर में आ कर पूछा
"अरे किशोर दादा घर जा के भी क्या करेंगे वही दीवारे ,वही सूनापन " रवि एक लम्बी सांस भर कर बोला
"अरे साब जा कर आराम कर लीजिये ,थक गए होंगे" किशोर दा ने थोड़ा चिंतित भाव से बोला
"हाँ सही कह रहे हो आप "रवि ने अपना लैपटॉप बैग में रखते हुए कहा
रवि दुनिया मे अकेला ही था ,अच्छी नौकरी थी ,पैसा ,सब कुछ था पर कोई पर्सनल लाइफ नहीं, मम्मी पापा गुजर गए थे ,भाई बहिन थे नहीं शादी हुई भी थी पर होने से पहले ही टूट गयी
रवि ऑफिस से निकल उसी बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर में बने कैफेटेरिया में जा बैठा ,समय काटने के लिए वो रोज़ यहाँ ऑफिस के बाद आ जाया करता था और कॉफी पीते पीते घर जाने को कैब बुक करा देता था, कॉफी आर्डर कर के बैठ ही था की मोबाइल पर ईमेल नोटिफिकेशन की टोन बजी
"अरे यार फिर कोई रिपोर्ट मांग रहा होगा हेड ऑफिस" सोच कर अनमने मन से उसने ईमेल खोला
एक बार तो विश्वास नहीं हुआ ,दुबारा देखा तो , थोड़ी उत्सुकताऔर थोड़ी ख़ुशी, के मिश्रित भाव उसके मन में आने लगे,ईमेल नोटिफिकेशन कह रहा था " मैसेज फ्रॉम सुहानी रॉय "
रवि सोच में पड़ गया .सुहानी क्या ये वही सुहानी है जिसे वो पिछले १८ सालों से खोज रहा था पर उसका कहीं अता पता नहीं चला , ऐसा लगा मानो वो अपने कदमो के सारे निशान मिटाती चली हो जिससे कोई उसके बारे में पता नहीं लगा पाए । ऐसा क्या हुआ होगा उसकी ज़िन्दगी में की उसने सबसे दूरियां बना ली ? और आज अचानक से?? कुछ समझ नहीं पा रहा था रवि
ईमेल खोला तो सिर्फ "hi " लिखा था,
रवि ने भी "hi " लिख दिया
"Suhani here , i hope you remember me, .......S.S . college 89 batch" उधर से मैसेज आया
रवि को यकीं सा होने लगा पर ये सुहानी ऐसे क्यों बात कर रही है ,जैसे कोई जस्ट फ्रैंड टाइप हो ,पर आश्चर्यचकित ख़ुशी में जल्दी से जवाब दिया " अरे common ....कैसी हो ,कहाँ हो , तुम तो गायब ही हो गयी " रवि अपनी जिज्ञासा और उत्सुकता रोक नहीं पा रहा था
"मैं ठीक हूँ " जवाब आया
"email पर क्यों बात कर रही हो lets connect on any chatting app , रवि को ये ईमेल चैटिंग कुछ परेशान कर रही थी
"NO I don't use any chatting app " सुहानी का रिप्लाई शार्ट था
"मोबाइल नंबर दो कॉल करता हूँ " रवि उत्सुक था
"नहीं रहने दो " उसका फिर शार्ट और इस बार काफी कुछ रुखा सा रिप्लाई था
"अरे ? पर क्यों" ? रवि को थोड़ा आश्चर्य हुआ
"जस्ट ऐसे ही" सुहानी का रिप्लाई फिर शार्ट था
"where are you these days " ?रवि ने बात आगे बढ़ाई
"वही जहाँ थी ?" जवाब फिर शार्ट था उसके जवाब से रवि को ऐसा लगा की मानो कुछ ठीक नहीं है , बात कर भी रही थी ,पर लगता था करना भी नहीं चाह रही थी ,रिप्लाई भी शार्ट थे और कई बार रुखे भी
रवि ने थोड़ा चिंतित होते हुए आगे पूछा "सब ठीक है न "
"हाँ everything is alright" सुहानी ने थोड़ा कन्विंसिंग सा जवाब दिया
"मेरे से नाराज़ लगती हो " रवि ने कहा
नहीं ,नाराज़ क्यों भला ? सुहानी के रिप्लाई शार्ट ही थे
"तो फिर इतने रूखे जबाब ,नंबर भी नहीं दे रही हो ,कॉल भी नहीं ? मैं तुमको २० साल ढूंढ रहा हूँ ...कहाँ नहीं ढूंढा, सारे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर, तुम्हारे दोस्तों से पुछा ,पर कही नहीं पता लगा " रवि के इस सवाल पर उधर से कुछ जवाब नहीं आया काफी देर तक ...
रवि ने फिर पुछा "वैसे तुमने मुझे ढूंढा कैसे ?
"अब कल बात करते है ओ.के. बाय" अचानक वार्तालाप ख़तम कर दिया सुहानी ने
विस्मित ,चकित से रवि के पास ओके कहने के अलावा कोई चारा नहीं था
कल बात करते हैं ये क्या बात हुई रवि सोचने लगा ,बात भी शार्टबातों में रूखापन ,ये तरीका तो सुहानी जैसा तो बिलकुल नहीं है "
रवि थोड़ा कंफ्यूज हो गया ,कैब आने का मैसेज आया "your ride is here " ,कैब में बैठे बैठे रवि अपनी यादों में खो गया
सुहानी और रवि कॉलेज में मिले थे ,ये कोई पहली नज़र का प्यार नहीं था, न कोई ट्रेडिशनल लव स्टोरी, नावेल या fairy tale जैसी बिलकुल नहीं थी.. रवि और सुहानी की मुलाकात हुई थी सुहानी की बेस्ट फ्रेंड बिंदु और रवि के बेस्ट फ्रेंड शेखर की लड़ाई से,सुहानी और बिंदु कॉमर्स स्ट्रीम में थी वहीँ रवि और शेखर आर्ट्स में ,दोनों डिपार्टमेंटस की क्लास एक ही बिल्डिंग में ,एक ही टाइम पर आजु बाजु वाली रूम्स में लगा करती थी ,हुआ यूँ की एक दिन बिंदु क्लास के लिए लेट हो गयी थी और जल्दी जल्दी क्लास की और जा रही थी ,कमोबेश शेखर का भी यही हाल था दोनों जल्दी में थे , बिंदु आगे चल रही थी और शेखर उसके जस्ट पीछे की अचानक बिंदु का दुपटा कॉरिडोर में पड़े एक पुराने से स्टूल के कोने से उलझ गया और बदकिस्मती से क्यूंकि शेखर उसके जस्ट पीछे था ,बिंदु को लगा शेखर ने दुपटा खींचा ,इस बात पर लड़ाई हो गई , उस वक़्त तो दोनों क्लास में चले गए, पर क्लास के बाद जब रवि ,शेखर और कुछ दोस्त कॉलेज के गार्डन में बैठे थे तो बिंदु ,सुहानी और उनकी कुछ सेहलियाँ वहां आ कर झगड़ा करने लगी ,बहुत ज़बरदस्त था वो झगड़ा, रवि और सुहानी ने भी खूब बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया ,गली गलौज ,धमकी ,आरोप प्रत्यारोप ,क्या नहीं हुआ , बात बढ़ती देख किसी ने कहा की अगर बात प्रिंसिपल तक पहुंची तो सब के सब रास्ट्रिकैट हो जायेंगे . बरहाल "पैच अप" हुआ और उनके पैच अप में रवि और सुहानी का "हुक अप" हो जायेगा ये दोनों ने सपने भी नहीं सोचा था , फिर वही जो होता है,होने लगा ,बैचैन दिल ,एक दूसरे की याद ,क्लास के बाद मिलना जुलना ,प्यार परवान चढ़ने लगा , साथ जीने मरने की कसमे ,प्यार के देवता इस केस में ओवरटाइम कर रहे थे शायद ..........................दोनों जल्द ही टॉक ऑफ़ दी टाउन हो गए ,कॉलेज का आखरी साल था, एग्जाम हो चुके थे ,बात घर वालों तक पहुँची दोनों के पिताजी मिले .फिर पता नहीं क्या हुआ की रवि के पिता ने घर आते ही रवि को प्यार मोहब्बत से ध्यान हटा कर पढाई में लगाने का हुक्म और आगे की पढाई के लिए दिल्ली भेजने का फैसला सुना दिया ,और सुहानी का घर से निकलना बंद कर दिया गया
सब कुछ इतना जल्दी हुआ की रवि सुहानी से मिल भी नहीं पाया , रवि ने शेखर के हाथ मैसेज भी भिजवाए पर पता लगा की वो लोग शहर छोड़ कर कहीं और शिफ्ट हो गए है घर पर ताला है
या सोचते सोचते रवि को न जाने कब नींद आगयी पर सुबह जल्दी नींद खुल गयी शायद इस उत्साह में की सुहानी का मैसेज आये !
कभी कभी रवि के मन में ये भी विचार आरहा था की कोई फिरकी तो नहीं ले रहा?? ,पर मन मान ही नहीं रहा था
पूरा दिन निकल गया ,रवि का सारा ध्यान ईमेल नोटिफिकेशन पर था ,कोई सैकड़ों बार उसने मोबाइल उठा कर और लैपटॉप खंगाला पर मैसेज आया वही शाम ५ बजे
"हाय " वही शार्ट मैसेज
हाय का जवाब रवि ने भी "हाय" में ही दिया
फिर सन्नाटा तकरीबन १५ मिनट का
दोनों शयद एक दूसरे का वेट कर रहे थे
"मिलना है तुमसे" सुहानी का सन्नाटा तोड़ता हुआ मैसेज आया
"अरे तुम हो कहाँ ये तो पता लगे ? और फिर कहाँ मिलना है? "तुम सुहानी ही हो या कोई मेरे मज़े ले रहा है" रवि अपनी उत्सुकता रोक नहीं पाया
इस मैसेज के बाद आधा घंटा मैसेज नहीं आया रवि ऑफिस से निकल कर कैफ़े में जा बैठा कैब भी आ गयी ....फिर मैसेज आया
" you don't believe me? "right
" नहीं ऐसा नहीं मेरा मतलब था ,you don't sound like you .. मतलब इतना RUDE और शार्ट जवाब ,,,तुम तो ऐसी कभी नहीं थी ? और इतने साल बाद अचानक और वो भी ईमेल पर ,,,ITS JUST A CURIOSITY " रवि ने दिल की बात कह डाली
"मिलने का क्या सोचा तुमने "सुहानी की तरफ से बात पलटने जैसा मैसेज था
"अरे बाबा कहा मिलना है और कब और तुम हो कहाँ ये तो पता लगे ? रवि थोड़ा परेशान होते हुए बोला
"उसी शहर में ही हूँ ,तुम तो दिल्ली हो २ घंटे ही लगेंगे आने में " सुहानी के बात से लगा की उसको मेरे बारे में सब पता है
तुम्हे कैसे पता " रवि के मन मे रह रह कर हर तरीके के सवाल आ रहे थे
"आने वाला सैटरडे ठीक रहेगा" सुहानी to the point बात कर रही थी
"ओके,कहाँ मिलेंगे" रवि शंकित था पर फिर भी ओके कह दिया
"ढाबा कैफ़े" वहीँ जहाँ हम अक्सर मिलते थे "सुहानी का जवाब था
"ओके" रवि ने कह तो दिया पर बात कुछ हज़म नहीं हो रही थी दिल और दिमाग दोनों अलग अलग बात कर रहे थे, वो सोचने लगा मेरे बारे में इतनी जानकारी, फिर मेरा ईमेल ढूंढ़ना, फिर २० साल बाद ??फ़ोन नहीं करना? नंबर नहीं देना ? कही कोई मज़े तो नहीं ले रहा,,या कोई ??किसी अनिष्ट की भी शंका होने लगी थी
कंफ्यूज हो कर , थक हार कर हर बार की तरह शेखर को फ़ोन लगाया, और उसे ये बात बताई
वो भी आश्चर्यचकित और कंफ्यूज हो गया दोनों थोड़े आशान्वित भी थे पर कहीं न कहीं कुछ ठीक भी नहीं लग रहा था। दोनों ने वहां जा कर ही इस बात को मालूम करने की ठानी
उत्सुकतावश फ्राइडे रात को ही पहुँच गए ,होटल से सुबह शहर को देखने निकल पड़े आखिर बचपन जवानी की यादें जो थी, घूम घाम कर "ढाबा कैफ़े" पहुंचे ,बहुत कुछ बदल गया था वहां पर जो नहीं बदला था वो था कॉलेज गोइंग युवाओ का जमवाड़ा ,अभी भी वहां यंग क्राउड जोड़ो में या झुण्ड में बैठे थे
आखिर ४ बज गए रवि और शेखर दोनों एक कोने में पड़ी टेबल पर जा बैठे
आधा घंटा गुजर गया,सुहानी का कोई अता पता नहीं ,न कोई मैसेज ,फिर एक घंटा ,डेढ़ घंटा ,२० कप चाय ६ पिज़्ज़ाऔर ४ घंटे के इंतज़ार के बाद भी कोई ईमेल नहीं ,कुछ पता नहीं ,रवि को इंटरेनट कनेक्शन पर शक हुआ चेक कर के देख लिया ,शेखर से हॉटस्पॉट लेकर भी ,पर कुछ नहीं हुआ मैसेज नहीं आया तो रवि ने मैसेज किआ " कहाँ हो "पर इसका भी जवाब नहीं आया
रवि और शेखर ,दोनों वहां असहज और महसूस कर रहे थे । सारा क्राउड वहां यंग लोगों का था या तो लोग वहां जोड़ो में ,या ग्रुप्स में थे ,रवि और शेखर ही थे जो दोनों ३५ के आस पास की उम्र वाले अकेले थे कुछ लोग देख भी रहे थे ,एक ग्रुप जो उनकी टेबल के बिलकुल अपोजिट कार्नर में बैठा था जिसमे १७ -१८ साल की उम्र के दो लड़कियां और एक लड़का था बार बार उनको को देख रहे थे ,ऐसा लग रहा था उनके बारे में बात कर रहे हों ,बार बार वो सब उस लड़की के लैपटॉप में भी देख रहे थे, ये बात रवि को और असहज बना रही थी उसने शेखर को बोला उसने भी नोटिस किआ , ये देख कर वो ग्रुप मौका देख चुपके से वहां से निकल गया ,दोनों इस बात पर थोड़ा शंकित भी हुए ,८ बज गए थे रवि और शेखर भी थक हार कर वापस होटल पहुंचे ही थे की ईमेल नोटिफिकेशन मैसेज टोन बजी,लपक के रवि ने देखा सुहानी का मैसेज था
"हाय "
"अरे तुम आयी नहीं ,इतना इंतज़ार किया ,"now u r forcing me to disbelieve " रवि ने थोड़ा नाराज़ होते हुए कहा
"मैने तुमसे मिलना था अकेले में ,किसी और को क्यों लाये तुम साथ"सुहानी की इस बात पर रवि सन्न रह गया
"इसका मतलब तुम थी वहां और पर वो तो शेखर है ,तुम जानती हो उसे " रवि ने एक्सप्लेन किआ
"उसे कोई मतलब नहीं , पर तुम अकेले आओ ,अगर मिलना है तो" ये धमकी थी या ब्लैकमेल था ,कुछ समझ नहीं आया , शेखर और रवि को थोड़ा सा शक था पर शक की कोई वजह तो थी नहीं और न किसी पर शक था पर फिर भी दोनों इस निष्कर्ष पर पहुंचे रवि अकेला जायेगा और शेखर रेस्टोरेंट बाद में पहुंचेगा और बाहर कार में ही रहेगा पर फ़ोन से कनेक्टेड रहेंगे जिससे किसी अनहोनी ,जिसकी संभावना लगभब शून्य ही थी पर फिर भी , से निपटा जा सके
वही ४ बजे का समय ,रवि कैफ़े पहुँच गया ,फिर वही इंतज़ार, १० मिनट ,१५ ...रवि मोबाइल में गेम खेलने लगा ,करता भी क्या आस पास लोगो को कब तक देखता और इधर देखना उसको भी और लोगो को भी असहज कर रहा था ,रवि नज़र झुकाये गेम मे बिजी होने का नाटक करते हुए कॉफ़ी पी रहा था
"हेलो" एक स्वीट सी आवाज़ से उसने ऊपर मुँह उठा के देखा ,सुन्दर सी १९ साल की एक लड़की टेबल के सामने खड़ी थी
"हेलो" आप? रवि ने थोड़ा अचंभित होते हुए कहा
लड़की ने थोड़ा बेतकल्लुफी दिखते हुए सामने पड़ी चेयर पर बैठते हुए कहा " मैं खुशबू हूँ "
"क्या में आपको जनता हूँ ,मैने आपको पहचाना नहीं , i mean मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूँ " रवि को कुछ सस्पीशियस लग रहा था प्लान के मुताबिक उसने टेबल के नीचे फ़ोन रख कर शेखर को फ़ोन लगा दिया जैसा उन्होंने decide किआ था
"मदद तो आपको मेरी करनी ही होगी " लड़की काफी बोल्ड से अंदाज़ मैं बोली
"क्या " ,रवि थोड़ा भोचक्का सा था गौर से देखने पर उसे याद आया ये तो वही लड़की है जो कल वहां कोने की टेबल पर बैठी थी ,
"तुम तो वही हो न जो कल उस टेबल पर बैठी थी "रवि ने उस टेबल की और इशारा करते हुए पुछा
"जी सही पहचाना " लड़की ने बेबाकी से जवाब दिया
"ओह, ओके सो बताइये how can i help यू " रवि अब थोड़ा शंकित हो गया था
"दरसअल आप जिनका इंतज़ार कर रहे है न वो मेरी मम्मी है" खुशबू थोड़ा सा मुस्कराते हुए बोली
"क्या " रवि भोचक्का सा रह गया ,कुछ समझ नहीं आ रहा था ,झेंप सा गया था वो
"जी हाँ सुहानी मेरी मम्मी का नाम है " खुशबू ने कहा
"वो एक्चुअली ....मैं.......आयी ऍम सॉरी ......पर ...वो ...मैसेज ,ईमेल ".रवि से झेंप और घबराहट में शब्द नहीं निकल रहे थे
प्लीज आप अनकम्फर्टेबल मत होइए " ....रवि को परेशान होता देख वो बोली
कहने लगी " एक्चुअली वो मैसेज मैने ही किये थे आपको , आई ऍम सॉरी "
"मतलब "..?रवि तक़रीबन चिल्ला ही पड़ा था
"सॉरी" मैं मजबूर थी" खुशबू थोड़ा मायूस होते हुए बोली
क्या मजबूरी ? is suhani all right ?रवि थोड़ा चिंतित था
"जी मम्मी ठीक है" ,खुशबू ने कहा
"तो फिर ये सब क्यों" रवि को कुछ समझ नहीं आरहा था
रवि को कंफ्यूज होता देख खुशबू ने कहा "मैं आपको पूरी बात समझाती हूँ "
हमारी छोटी से फॅमिली पंजाब में रहते थे ,मैं मेरे पापा मम्मी ,एक हादसे मे पापा को खोने का ग़म माँ झेल नहीं पायी ,गुमसुम सी रहने लगी ,किसी से बात नहीं करना, शून्य में देखते रहना, मैं उस वक़्त १० वीं क्लास में थी ,मेरे बोर्ड्स थे , मम्मी का सदमे में देख और मेरी पढाई को ध्यान में रख नाना नानी हमें वापस इस शहर में ले आये ,डॉक्टर्स का भी यही कहना था की माँ को वहां ले जाया जाये जहाँ इनके बचपन की सुनहरी यादे जुड़ीं हुई हों तो धीरे धीरे ये ठीक हो जाएँगी पर यहाँ आने पर भी कुछ खास नहीं बदला ,नाना की दो साल पहले हार्ट अटैक से डेथ हो गयी ,मम्मी फिर टूट गयी ,नानी ने और मैने उन्हे संभालने की कोशिश की पर पिछले साल नानी भी भी हमे छोड़ कर भगवान के घर चली गयी
"ओह" रवि की आवाज़ में अफ़सोस था पर फिर सवाल उठ रहा था जो उसने पूछ ही लिया
"ओके पर मुझे मैसेज करना और वो भी सुहानी के नाम से,सुहानी ने क्यों नहीं किये और तुमने क्यों?" और मुझे कैसा ढूंढा मतलब I am getting so confused " रवि ने अपनी सारी जिज्ञासा और सवाल सामने रख दिए
" जी , मैं सब बताती हूँ " सुहानी ने बोलना शुरू किया
"जो में अब कहने वाली हूँ आप उससे uncomfortable मत हो जाना ,आप माँ के लाइफ में एक मत्वपूर्ण जगह रखते है और मैं ये जानती हूँ की आप दोनों के बीच बहुत सच्चा प्यार था ,पर आपके पापा और मेरे नाना की पर्सनल ईगो की वजह से नहीं कुछ ऐसा हुआ की आप लोग हमेशा के लिए दूर हो गए ,मुझे नहीं पता उन्होने अच्छा किया या बुरा पर मम्मी आपको भुला नहीं पायीं, उनकी शादी हो गयी और उन्होने सब कुछ भूल कर अपनी ज़िन्दगी नए सिरे से शुरू भी कर दी पर भाग्य को कुछ और मंज़ूर था , माँ की ये हालत अब देखी नहीं जाती मुझसे ,फिर अब हम लोग बिलकुल अकेले भी है " कह कर खुशबू चुप हो गयी उसकी आँखों भर आयी थी
रवि भी ग़मगीन सा हो गया ,माहौल में एक सन्नाटा सा पसर गया
"तुम्हे इतने सारी बाते किसने बताई ,सुहानी ने "?रवि अचंम्भित था ये सब सुन कर
नहीं बिंदु मौसी ने ,मम्मी तो आपके बारे में कुछ सुनना और बात करना ही नहीं चाहती " खुशबू ने कहा
बिंदु मौसी जो अमेरिका में है ने एक बार वीडियो कॉल पर कोशिश की थी पर सब बेकार , मम्मी ने आपका ज़िक्र आते ही कॉल कट कर दिया था "
आप वैसे तो ज़ाहिरी तौर पर एक क्लोज्ड चैप्टर है उनकी लाइफ का पर मैं जानती हूँ की उनकी ज़िन्दगी की किताब का कवर भी आप हो और पहला और आखरी पन्ना भी" खुशबू बोले जा रही थी " मैं आप के पास बहुत उम्मीद से आयी हूँ ,मेरी मम्मी को को उनकी ज़िन्दगी वापस लौटा दीजिये और ये सब अब आप ही कर सकते है "................................................... ,
रही बात मैने क्यों मैसेज किये मम्मी के नाम से ? वो इसलिए की मम्मी से तो हम ऐसा कुछ करने के लिए कुछ कह नहीं सकते थे और वो तो कुछ करने वाली भी नहीं थी ,आपको भूलने का और आपका नाम भी नहीं लेने का वादा जो उन्होने नाना से किया था उसको वो तोड़ने वाली नहीं थी ,पर हम उनको टूटता नहीं देख पा रहे थे तो मैने और बिंदु मौसी ने ये सोचा और ये प्लान बनाया किया पर फिर मैं श्योर नहीं थी की मेरे नाम से मैसेज को आप कैसे लेंगे सीरियसली भी लेंगे या नहीं? तो मैने मम्मी के नाम से ईमेल अकाउंट बनाया और फिर आपको हमने यहाँ बुला लिया" .सुहानी ने अपना पूरा प्लान रवि के सामने रख दिया
"मतलब मैं समझा नहीं "रवि को अभी भी नहीं समझ आरहा था की हो क्या रहा है
खुशबू ने कहना शुरू किया "देखिये आप का अगर घर परिवार होता तो मैं आपको कभी ऐसा कहने की सोच भी नहीं सकती थी पर मुझे मालूम है आप अकेले है ,आपकी होने वाली बीवी आपको शादी के दिन छोड़ के चली गयी और आप ही उनको छोड़ कर आये थे ,क्योंकि वो किसी और से प्यार करती थी और आपको जब पता लगा तो आपने उन्हे जाने दिया "
"तुम्हे इतनी सारी बात कैसे पता है " रवि खुशबू के होमवर्क पर आश्चर्यचकित था
"वो सब छोड़िये" खुशबू ने कहना जारी रखा "भगवान आपको फिर एक मौका दे रहा है मिलने का "
"बेटा अब तुम क्या चाहती हो "रवि अब रेस्टलेस होने लगा था
"अपने जो अभी बोला वही मैं चाहती हूँ " खुशबू ने बड़े कॉन्फिडेंस से कहा
"मतलब" रवि बोला "मैं कुछ समझा नहीं "
"आप क्या बोले अभी मुझे" खुशबू ने लगभग चेयर से फुदकते हुए कहा
"बेटा "रवि ने कहा
"हाँ बस यही,मुझे अपनी बेटी बना लीजिये, माँ को अपना लीजिए प्लीज " खुशबू विनती सी करते हुए बोली
रवि सन्न रह गया ,"ये क्या ,कैसे, तुम्हे मालूम है तुम क्या कह रही हो"
"जी i mean it और मुझे अच्छे से पता है इसीलिए आपको ६ महीने से हम ट्रेस कर रहे थे , आपके सोशल अकाउंट को ,फिर आपके ईमेल का पता किआ फिर आपको यहाँ बुला लिया ,वो जो पीछे बैठे है न वो मेरे फ्रेंडस है हमने ही आपकी रेकी की " कह कर वो हंसने लगी
वही अल्हड ,बेफिक्र हंसी जैसी सुहानी की थी, बेबाक बात कहने का तरीका,,,पर आंखों में एक मासूमियत बिलकुल सुहानी जैसे ...........
रवि को एकटक देखते हुए खुशबू बोली " माँ जैसी लगती हूँ न मैं " वही देख रहे है न आप"
रवि थोड़ा झेंपा फिर मुस्कराया
"वो तो ठीक है पर खुशबू ये कैसे होगा मतलब बहुत मुश्किल है ये सब , लोग ,समाज " रवि ने कंफ्यूज होते हुए कहा," और फिर सुहानी कहाँ तैयार होगी जैसे की तुमने बताया की वो मेरा नाम भी नहीं लेना चाहती " रवि ने अपनी शंकाये ज़ाहिर की
"समाज और लोगों की आयी डोंट केयर , और रही बात मम्मी की उनको हम सब मिल के मनाएंगे " खुशबू का चेहरा आत्मविश्वास से दमकने लगा था
"वो कैसे " रवि थोड़ा आश्चर्य से पुछा
"मेरे पास एक आईडिया है " खुशबू फिर चहक के बोली
"और वो क्या है " रवि पूछ बैठा
"मैं मम्मी को लेकर एक आउटिंग प्लान करती हूँ पास में जो झील है वहां ,आप और शेखर अंकल पहले से वहां मौजूद होंगे ,मैं वहां अचानक चक्कर खा कर बेहोश होने का नाटक करूंगी, मम्मी घबरा जाएँगी ,समय ऐसा चुनेंगे १ से २ बजे की बीच जब वह ज्यादा लोग नहीं होते , माँ मदद के लिए आवाज़ देंगी तभी आप वहां आना मुझे लेकर हॉस्पिटल ले कर जाना ,इसी बहाने मुलाकत होगी और फिर वही तार जुड़ जुड़जाएंगे जो वक़्त ने कहीं तोड़ दिए थे " कह कर वो हंसने लगी
" बहुत नॉटी हो " रवि हंस दिया
तय प्लान के अनुसार रवि और शेखर झील पर पहुँच गए , थोड़ी देर में में सुहानी और खुशबू भी पहुँच गए ,इधर उधर चहल कदमी के बाद वो दोनों झील के मुहाने पर टहलने लगी , सुहानी हम लोग को जो की एक निश्चित जगह पर बैठे थे को देखने की कोशिश कर रही थी इसी चक्कर में अपना बैलेंस खो बैठी और झील में जा गिरी ,अचानक हुए इस घटनाक्रम को देख शेखर बोल पड़ा "यार ये तो प्लान में नहीं था "
रवि लगभग चिल्लाते हुए बोला " ओह माय गॉड ,यार वो वास्तव में झील में गिर गयी है" ,सुहानी मदद को चिल्लाने लगी .रवि ने आव देखा न ताव झील में छलांग लगा दी ,डूबती हुई खुशबू को निकल कर किनारे ले आया और उसकी पीठ और पेट को थपथपा के उसके पेट में भरे पानी को निकालने की कोशिश की खुशबू ठण्ड के मारे काँप रही थी, एक बार आँख खोली फिर बेहोश हो गयी
"इससे तुरंत हॉस्पिटल ले जाना चाहिए "कहते हुए रवि ने सुहानी के तरफ देखा ,२० साल बाद दोनों की नज़रे मिली ,सुहानी के मुँह से कुछ नहीं निकला सिर्फ आंखें बोल रही थी की "तुम"?
पुराने तार फिर से जुड़ते से लग रहे थे और प्रेम का संगीत फिर से सरगम गाने लगा था
"इसे जल्दी हॉस्पिटल ले जाना होगा " कहते हुए रवि ने खुशबू को को गोद में उठाया और गाड़ी की तरफ भगा ,सुहानी और शेखर भी उसके पीछे पीछे हो लिए
खुशबू को देख कर डॉक्टर ने कहा " घबराने की कोई बात नहीं बस सर्दी खा गयी है और थोड़ा डर की मारे बेहोश हो गयी है कुछ घंटे ऑब्जरवेशन में रखते है एक दो घंटे में होश आजायेगा फिर छुट्टी दे देंगे "
खुशबू के बैड के एक तरफ सुहानी और एक तरफ रवि बैठ गए ,शेखर चाय लेने चला गया ,
रूम में सिर्फ रवि और सुहानी ,कभी नज़र मिलती थी कभी नहीं , आखिर २० साल का वनवास जो काटा था इस प्रेम ने !
सुहानी ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा "तुम्हारा शुक्रिया तुमने मेरी मदद की "
"शुक्रिया की कोई जरूरत नहीं" रवि ने बोला
"पर तुम यहाँ कैसे " सुहानी ने चोरी चोरी रवि की तरफ देखते हुए कहा
"वो एक लम्बी कहानी है, बाद में बताऊंगा" रवि ने बात पलटते हुए आगे पुछा " कहाँ थी तुम इतने दिन कितना ढूंढा तुम्हे मैने " क्यों अपने आप को छुपा लिया था तुमने" ?
सुहानी के आँखों से झरना बहने लगा ,आखिर इतने दिनों का मवाद जो जमा कर रखा था , थोड़ा सम्भली तो बोली
"तुम्हारे डैडी जब मेरे पापा से मिले तो उन्होने पापा को कहा अपनी औकात देखी है ,कहाँ हम और कहाँ तुम और भी बहुत भला भुरा कहा,ये सब पापा को बुरा लगा उन्होने मुझे अपनी कसम दी तुम्हे हमेशा हमेशा भूल जाने की और ये भी की उनके जीते जी तुम्हारा नाम कभी मेरे मुँह पर नहीं आएगा ,फिर मेरी शादी कर दी गयी ,पर एक हादसे में संजय की मौत हो गयी ,कुछ दिनों पहले मम्मी ,पापा भी दोनों चले गए ,मैं फिर अकेली हो गयी,अब बस ये खुशबू है , मेरी ज़िन्दगी, मेरा सब कुछ और आज तुमने इसे बचा कर मेरी ज़िन्दगी बचा ली ,कहते कहते वो फिर रोने लगी , फिर अचानक अपने को थोड़ा संभालते हुए कहने लगी "छोड़ो मेरी दुःख भरी दास्तान , तुम सुनाओ , कहाँ हो ,कितने बच्चें है तुम्हारे"? .
"मेरे बच्चे नहीं है " रवि ने कहा
"ओह शादी नहीं की तुमने " सुहानी ने पुछा
"की भी और नहीं भी "रवि लम्बी सांस लेते हुए बोला
"मतलब मैं समझी नहीं "सुहानी थोड़ा आश्चर्यचकित हो कर बोली
"शादी के दिन ही उसने कहा की वो किसी और से प्यार करती है और मजबूरन उसकी शादी कर रहे है तो मैने उसे जाने दिया "रवि ने फिर एक गहरी सांस लेते हुए कहा
"और ये खुद उसको उसके प्रेमी के पास छोड़ कर आये थे माँ ", अचानक खूशबू उठ बैठी और बोल पड़ी
खूशबू को देख सुहानी ने लपक के उसको गले लगा लिया "मेरी बच्ची" , थोड़ा संभली तो पूछ बैठी "ये सब तुम्हे कैसे पता" ?
"ये सब आपको बाद में बताउंगी " खुशबू ने ये कहते हुए रवि को देखा और दोनों एक दूसरे को देख कर हंस पड़े . खुशबू ने सुहानी का हाथ अपने हाथों में लेते हुए कहा
"माँ अभी तुमने रवि अंकल को कहा की उन्होंने मुझे बचा कर तुम्हे अपनी ज़िन्दगी लौटा दी ?अब आप भी उनको और खुद को अपनी ज़िन्दगी लौटा दो न "
"क्या मतलब "? सुहानी थोड़ा सकपकाते हुए बोली
"आप दोनों अभी भी एक दूसरे को बहुत प्यार करते हो ,मम्मी देखो नाना के साथ ही उनकी दी गयी कसम भी चली गयी , मैं आप को और ऐसे नहीं देख सकती, इसलिए ये सब प्लान मैने बनाया था ,रवि अंकल को यहाँ बुला कर आपसे मिलाने का ,वैसे थोड़ा डेंजरस और अडवेंचरस नहीं हो गया ये " कह कर फिर रवि और खुशबू हंस पड़े
इतने में डॉक्टर आये और खुशबू को देख कर बोले "oh you look फाइन" फिर थोड़ा चेक किया और कहा " you can go home now "
खुशबू ने सुहानी और रवि की तरफ देखते हुए कहा ," तो अब चले घर वापस ! सुन कर सुहानी थोडा शरमा गयी, रवि भी सकपका सा गया , खुशबू ने उन दोनों का हाथ एक दूसरे के हाथ में देते हुए कहा "अब चलो आप दोनों मेरे मम्मी पापा के घर" , तीनो भीगी आँखों से हंसने लगे
खुशबू को पापा, सुहानी और रवि को एक दूसरे का प्यार वापस मिल गया था।