"लम्हें"
"लम्हें"
फ़ोन की घंटी घनघना रही थी। मैंने जैसे ही फ़ोन देखा तो स्टोरी मिरर से फ़ोन था - आप ऑथर "ऑफ़ द वीक" के लिए नॉमिनेट हुई हैं। मेरी ख़ुशी का कोई पार नहीं था। ख़ुशी के मारे मेरी आँखें छलछला उठी - यह सोचकर कि जो कवितायें और कहानियां अब तक डायरी में धूल चाट रही थी, उन्हीं की वजह से आज मुझे स्टोरी मिरर ने इस सम्मान के काबिल समझा। एक महीने बाद वोटिंग के जरिये जो परिणाम आया उसने मुझे "ऑफ़ द वीक" की उपाधि प्रदान की थी और स्टोरी मिरर ने जो मेरे फोटो फेसबुक पर लगाये, वो मुझे सम्मान दिलवा रहें थे। सभी परिचितों के फ़ोन मुझे बधाई दे रहें थे और मैं ख़ुशी के मारे भाव - विभोर हो रही थी।
फिर मैं अपनी अतीत की गहराईयों में खो गई कि इस श्रेय का ताज़ मैं किसके सर पहनाऊं। मुझे याद आया वो पल की कैसे हमारे घर श्रीमती बी के शर्मा का आगमन हुआ और उन्होंने मेरी कविताओं को पढ़ा और पढ़कर कहने लगी कि "भाभी जी, आप बहुत अच्छा लिखती हैं, मैं तो आपके लिखने की कायल हो गई। आप मुझे अपनी दो कवितायें हमारे जिले की मैगज़ीन के लिए दे दीजिये। मैं उनको अपनी मैगज़ीन में छापूँगी और जैसे ही वो कवितायें मैगज़ीन में आई और लोगों ने पढ़ी उन्होंने मेरी तारीफ़ के पुल बाँधने शुरू किये और वह पूछने लगे कि ये किस महोदया ने लिखी हैं। तो भाभी जी ने मुझे फोन करकर बधाई दी और कहा कि आप अपने लिखने के शौक को बरकरार रखिये। आप में जो हुनर है, मैं उसकी कद्र करती हूँ और उसके बाद मैं लिखने में और रूचि लेने लगी और एक दिन जब मैंने अग्रवाल समाज के प्रोग्राम में कविता पाठ किया तो लोगों की तालियों की गड़गड़ाहट ने मुझे और ज्यादा लिखने के लिए प्रोत्साहित किया।
मुझे डॉक्टर श्वेता मंगल जी ने कहा कि - "आप इतना अच्छा लिखती हैं तो आप स्टोरी मिरर से क्यों नहीं जुड़ जाती ?" उन्होंने न केवल मुझे स्टोरी मिरर से जोड़ा, बल्कि अपना कीमती वक़्त देकर ऍप भी डाउनलोड किया और मुझे साप्ताहिक लिखने के लिए प्रोत्साहित किया। मुझे अपनी कलमबद्ध की हुई कविता ऍप पर लिखने में बहुत तकलीफ होती थी तो मेरे दामाद - अमित जी ने कहा की मम्मी जी, आप बस कलमबद्ध करें और मुझे लिखवा दे, मैं स्टोरी मिरर की ऍप पर अपने आप भेज दूंगा। यूहीं सिलसिला चल पड़ा और स्टोरी मिरर ने मुझे कहाँ से कहाँ पहुँचा दिया - फर्श से अर्श पर जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। आज स्टोरी मिरर की वजह से मैं 10 - 15 ऍप से जुड़ी हुई हूँ और मेरे जैसी छोटी सी लेखिका को देश - विदेश में लोग जानने - पहचानने लगे हैं। मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि कभी मेरी लिखी हुई किताबें - "याद बहुत आयेंगे" और "गुनेहगार कौन" प्रकाशित होंगी और मुझे यह मुकाम हासिल होगा। मैं तहे दिल से स्टोरी मिरर और जिन्होंने भी मुझे लिखने के लिए प्रोत्साहित किया, उन सभी का धन्यवाद करना चाहूँगी कि उन सबके सहयोग से मैंने जो भी समाज से लिया, शायद अपनी लेखनी के माध्यम से समाज को कुछ लौटा पाऊँगी।