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Archana Tiwary

Inspirational

4  

Archana Tiwary

Inspirational

लीला

लीला

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कल जब मैं बाजार गई तो रास्ते में अचानकएक दुबली पतली नाजुक सी लड़की एक छोटे बच्चे का हाथ पकड़े मेरी तरफ आने लगी। मैंने पहचानने की कोशिश की कौन है यह। मेरे आस पड़ोस में रहने वाली कोई या मेरी कोई पुरानी स्टूडेंट। बहुत सोचने के बाद भी कुछ याद ना आया। इसी बीच वह मेरे बिल्कुल पास आकर मेरे पैरों की तरफ झुक प्रणाम करने लगी। अपने साथ खड़े बच्चे को भी प्रणाम करने का संकेत करने लगी। मैं कुछ कहती इससे पहले ही उसने कहा, मैडम पहचाना ,मैं लीला हूं और यह मेरी बेटीरुचि है। अब मुझे वह दुबली पतली लीला याद आ गई और इसके साथ ही याद आने लगी उसकी पिछली सारी बातें। जब वह मैं मेरे घर पहली बार अपने पिता के साथ आई थी तो उसकी आंखों में कौतूहल और एक अजीब सा डर था। उसके पिता हट्टे कट्टे गठीले बदन और लंबी मूछों के मालिक थे। उनमें और उनकी बेटी में मुझे जरा भी समानता नजर नहीं आ रही थी। उन्होंने बताना शुरू किया ,मैडम मेरी बेटी पढ़ाई में दिलचस्पी नहीं लेती वह पिछले दो साल से दसवीं की परीक्षा में फेल हो रही है। आप इसे इस तरह पढ़ाना कि इस बार यह पास हो जाए। मुझे इसकी शादी करानी है और इसलिए इसको दसवीं पास करना जरूरी है। मैंने कहा देखिए मैं पढ़ा तो दूंगी पर मेहनत तो लीला को ही करनी पड़ेगी। अगर यह चाहे तो ही दसवीं पास कर सकती है। मेरा ऐसा मानना है कि हम सब बच्चों को अच्छी राह दिखा सकते हैं पर उस राह पर बच्चों को ही चलना पड़ता है। पर मेरे इन सब बातों का उन पर कुछ खास असर होता मुझे दिखाई नहीं दिया। उनके जाने के बाद भी लीला चुपचाप सी बैठी रही।

मैंने सोचा शायद आज उसका ट्यूशन में पहला दिन है इसलिए वह चुप है। पर धीरे-धीरे मुझे पता चला कि लीला स्वभाव से ही ऐसी है। अपने दोस्तों से भी वह बहुत कम बातें करती है। उसका व्यक्तित्व अंतर्मुखी था। मैंने धीरे धीरे उसकी पढ़ाई के अलावा अन्य बातों में भी दिलचस्पी लेनी शुरू की। इसका असर यह हुआ कि वह थोड़ी खुलकर मुझसे बात करने लगी। एक दिन मैंने पूछा कि तुम आगे पढ़ाई करना नहीं चाहती, क्यों? पढ़ाई में दिलचस्पी नहीं लेती हो।

उसने बताया मैडम मैं पढ़ना चाहती हूं पर दसवीं पास करने के बाद मेरे पिता मेरी शादी करना चाहते हैं। हम राजस्थानी ओं में लड़कियों की शादी बचपन में ही कर दी जाती है। गांव में तो लड़कियों को पढ़ने नहीं दिया जाता, बस थोड़ा अक्षर ज्ञान हो जाए उतना ही जरूरी होता है। मैं तो शहर में रहती हूं इसलिए मुझे पढ़ने की इजाजत मिली है। मैंने कहा तुम्हारे सारे दोस्त दसवीं पास करके आगे पढ़ाई करते हैं और तुम पीछे रह जाती हो इससे तुम्हें बुरा नहीं लगता। उसने कहा मैडम मुझे अच्छा नहीं लगता पर दसवीं पास करने के बाद मेरी शादी हो जायेगीमैं अभी शादी करना नहीं चाहती हूं। मुझे आगे की पढ़ाई करनी है। आप कुछ भी करो बस मुझे पास नहीं करना। मैं विवेक शून्य सी उसकी तरफ देखती रह गई। यह कैसी दुविधा है ,उसके पिता ने उसे पढ़ने के लिए मेरे पास भेजा था और लीला पढ़ना नहीं चाहती थी या यूं कहूं कि दसवीं पास करना नहीं चाहती थी। मैंने उसे समझाया कि देखो पढ़ाई सब के लिए बहुत जरूरी है शादी के बाद भी तुम्हारे काम आयेगी।

मुझे लगने लगा की शायद मेरी बात लीला के समझ में आने लगी। इसका नतीजा यह हुआ की दसवीं के रिजल्ट के बाद वह जब मुझसे मिलने आई तो उसके हाथ में मिठाई का डब्बा था और आंखों में आंसू थे। मैं समझ गई कि वह इस बार पास हो गई है पर यह समझ नहीं पा रही थी कि उसे बधाई दूं या उसकी भविष्य की चिंता में उसका साथ। उस दिन के बाद वह मुझसे मिलने कभी नहीं आई। मैं भी अपनी उलझन में ऐसी उलझ गई की लीला का ख्याल दिल से जाता रहा। आज जब बाजार में उसे देखा तो पिछली सारी बातें याद आने लगी और उसका वह दर्द भी याद आया। मैंने सहज होकर पूछा लीला ,तुम ससुराल में खुश हो न। पति कैसा है ,तुम्हारा ख्याल तो रखता है न। उसने पहले की तरह ही सहमति में सिर झुका दिया।

मैंने कहा तुम्हारी बेटी तो बहुत प्यारी बिल्कुल तुम्हारी जैसी है। उसे मैंने पर्स से निकाल कर एक चॉकलेट दिया। उसने हंसते हुए तुरंत ही थैंक यू कहा। लीला ने कहा मैडम मैं इसे डॉक्टर बनाना चाहती हूं और यह निर्णय मेरा होगा ,मेरे पति की सहमति की मुझे जरूरत नहीं है। और हां ,यह पहली बार में ही दसवीं पास कर जाएगी। उसकी तरफ देखते हुए मैंने हंस कर कहा, हां हां यह जरूर पास करेगी। आज मेरे सामने लीला नहीं एक मां खड़ी थी जो अपनी अधूरी इच्छा अपनी बेटी में पूरी होते देख रही थी।


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