लेडी ड्रैकुला - पार्ट 3
लेडी ड्रैकुला - पार्ट 3
उस रात सब सो जाते, लेकिन लूसी अभी भी जग रही थी क्योंकि उसे भूख लगी थी, अब उसे सिर्फ खून चाहिए, चाहे वह किसी का भी हो ,जानवर का भी। लूसी और पीटर एक ही कमरे में सो गए थे और डेविड दूसरे में था। घर के लाइट्स बंद थी तो चारों तरफ अंधेरा और बाहर एकदम सुनसान और घना अंधेरा । लूसी उठी अब उससे भूख बर्दाश्त नहीं हो रही थी। वैसे तो कब्रिस्तान में उसका गुजरा मर्दों से चल जाता, वह पर मरे हुए लोगों का हर रोज थोड़ा थोड़ा खून पी लेती थी, लेकिन अब वह कब्रिस्तान बहुत दिनों सालों से बंद है तो अब उसे वहा खून नहीं मिल रहा था। उसके साथ डेविड का भाई पीटर भी था लेकिन उसने उसे कुछ नहीं किया शायद उसके दिमाग में कुछ और ही था।
लूसी घर के बाहर आई और देखने लगी बाहर उसे कोई मिलता है क्या , अब वो अपने असली रूप में थी भयानक, जो भी देखे उसका बेहोश होना तो तय था। हाथ के नाखून बड़े बड़े किसी भी इंसान या जानवर के अंदर आसानी से जा सकते थे, बाजूके दो दांत बाहर आए हुए , लाल आंखे , चेहरे पर अजीब निशान,सिर के ऊपर उठे हुए कान, किसी के भी रोंगटे खड़े करदे।
वो घरो से दूर जाकर इधर उधर देखने लगी, एक हल्की सी हलचल उसके कानो को इशारा दे सकती थी। तभी उसके कण खड़े हो गए वो उसके तरफ बड़ी और देख एक बिल्ली अपने बच्चो के साथ बैठी थी। उसने मौका देखकर उस बिल्ली पर झपटी और देखते ही देखती बिल्ली और बच्चों का सारा खून पी गई। अब वो बिल्ली किसी खिलौने को तरह लग रही थी उसमें कुछ नहीं था । लूसी के हाथ और मुंह खून से भरे हुए थे उसने अपने हाथ चाटकर साफ कर दिए । और वापस आकर सो गई ।
सुबह उठकर डेविड उसे अपने साथ ले गया और उसकी के साथ फैक्टरी में काम पर लगा दिया, कुछ दिन यूंही चलता रहा, लूसी हर किसी न किसी जानवर को मार कर उसका खून पी जाती अब लोगों को शक होने लगा क्योंकि बहुत सारे कुत्ते, बिल्ली और भी कई सारे जानवर को उसने मारा था।अब गांव के लोग रात के ज्यादा सतर्क रह रहे थे।
एक दिन डेविड और लूसी घर पर है थे आज उनकी छुट्टी थी । तभी घर की बेल बजती है,डेविड दरवाजा खोलता तो सामने से जेनिफर आती है। जेनिफर डेविड की दोस्त थी । जब लूसी ने जेनिफर को देखा तो उसे एक रास्ता मिल गया अपनी प्यास बुझने का। फिर कुछ देर बाद तीनों ने प्लान किया कि वो शहर से दूर एक जंगल में घूमने के लिए जाएंगे। उन्होंने एक जंगल में बने घरों में से एक तीन कमरों वाला घर बुक किया और जाने की तैयारी करने लगे।दोपहर के वक्त वो सब निकल गए, कुछ देर के सफर के बाद वो बुक किए घर तक पहुंच गए , शाम तो हो चुकी उन्होंने खाने का ऑर्डर ले लिया और खाने की तैयारी करने लगे। खाने खाने के बाद वो बाहर गए दूसरे भी काफी लोग थे थोड़ा घूमने के बाद अपने अपने कमरे में आकर सो गए।
जेनिफर आराम से अपने कमरे में सो रही उसे नहीं पता था कि आगे उसके साथ क्या होने वाला है , आधी रात में जेनिफर की आंख खुलती है क्योंकि उसके दरवाजे पर कोई जोर जोर से हाथ मार रहा था, जेनिफर दरवाजे के करीब गई आवाजें अब भी आ रही थी उसने आवाज लगाई कौन है कहकर लेकिन आगे से कोई आवाज नहीं आई ।जेनिफर ने झट से दरवाजा खोला लेकिन वह कोई नहीं था, जेनिफर के मुंह से डर के मारे कुछ नहीं निकल रहा था,उसने दरवाजा लगाया और बेड पर सर ढककर पड़ी रही, ऊपर पंखा चला रहा था लेकिन जेनिफर का पूरा बदन पसीने से भीग गया था, उसके धड़कने इतनी बढ़ गई थी कि उसकी आवाजें जेनिफर को और ज्यादा डरा रहे थे।
आगे की कहानी जानने के लिए पढ़िए - लेडी ड्रैकुला पार्ट 4

