Sangeeta Aggarwal

Action Inspirational

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Sangeeta Aggarwal

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लड़कियों अपनी ताकत पहचानो

लड़कियों अपनी ताकत पहचानो

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" क्या बात है रितिका तुम इतना उदास क्यों हो आज स्कूल में कुछ हुआ है क्या ?" नीलम ने अपनी बारहवी में पढ़ने वाली बेटी से पूछा।

" नहीं मम्मा ऐसी कोई बात नहीं वो बस सिर में दर्द है थोड़ा आराम करूंगी तो ठीक हो जाऊंगी !" रितिका ये बोल अपने कमरे में चली गई।

नीलम थोड़ा परेशान हो उठी क्योंकि आज से पहले ऐसा कभी नहीं हुआ रितिका स्कूल से चहकती हुई आती थी और आते ही मां से दिन भर की बात करती थी स्कूल में क्या हुआ किस अध्यापिका ने किस बच्चे को सजा दी सब। पर आज रितिका अाई और अनमनी सी बैठ गई खाने को भी मना कर दिया।

नीलम ने बेटी की मनपसंद मैगी बनाई और उसके कमरे में गई।

" रितु बेटा उठो चलो थोड़ी सी मैगी खा लो खाली पेट और ज्यादा सिर में दर्द होगा !" नीलम लेटी हुई बेटी के सिर पर हाथ फेरते हुए बोली।

" मम्मा प्लीज़ नहीं खाना मुझे कुछ भी अभी रेस्ट करना है आप जाइए यहां से !" रितिका बोली।

नीलम अवाक रह गई क्योंकि आज से पहले उसकी बेटी ने इस तरह बात नहीं की थी उससे पर अभी कुछ भी बोलना उचित ना समझ वो बाहर अा गई और बेटे को खाना खिला पढ़ने बिठा दिया। और खुद अपने बुटीक का काम करने चली गई।

" रितिका चलो खाना खाओ !" शाम को वो फिर रितिका के कमरे में खाना लेकर गई तो देखा रितिका बैठी हुई रो रही है !

" क्या बात है बच्चा रो क्यों रही हो तुम क्या छिपा रही हो मुझसे ?" नीलम परेशान हो बोली।

" वो मम्मा ....!" रितिका कुछ बोलते बोलते चुप हो गई।

" बोलो बेटा क्या हुआ जब तक तुम बताओगी नहीं क्या बात तुम्हे परेशान कर रही उस बात का सॉल्यूशन कैसे निकलेगा !" नीलम प्यार से बोली।

" मम्मा जब मैं स्कूल से वापिस आती हूं तो एक लड़का बहुत गंदी गंदी बातें करता है ...और आज तो उसने हद ही कर दी मेरा हाथ पकड़ लिया उसने मैं बहुत मुश्किल से हाथ छुड़ा कर भागी वहां से तो पीछे से वो बोलता है आज तो बच गई कल कैसे बचेगी ...!" रितिका ने आखिरकार रोते रोते सब बता ही दिया ।

" तुमने एक थप्पड़ नहीं लगाया खींच के उसे तुम्हे करांटे किसलिए सीखा रही हूं मैं इसलिए ही ना कि ऐसे लड़कों से अपनी रक्षा कर सको !" नीलम गुस्से में बोली।

" मम्मा मैं उसके चांटा ही मारने वाली थी पर मेरी दोस्त है ना नीति वो बोली लड़कियां कमजोर होती हैं वो ऐसे लड़कों का मुकाबला नहीं कर सकती इसलिए हमे ऐसे मामलों में जितना हो सके चुप रहना चाहिए उसने तो आपको बताने को भी मना किया था कि तेरे पापा हैं नहीं मम्मा नाहक परेशान होंगी !" रितिका बोली।

" बेटा ऐसी कोई भी बात मम्मा से नहीं छिपानी चाहिए और नीति गलत बोलती है लड़कियां कमजोर नहीं है बस नाजुक हैं और जिस दिन वो अपनी ताकत को पहचान ले ऐसे लड़कों पर भारी पड़ सकती हैं चुप रहने का मतलब होता है ऐसे लड़कों को बढ़ावा देना ...तुम आज ही उसकी इस हरकत का मुंह तोड़ जवाब देती तो कल को वो तुम्हारे क्या किसी भी लड़की के साथ ऐसी हरकत करने की हिम्मत ना करता .... तुमने चुप रह बहुत गलत किया बेटा पापा नहीं है तो क्या हुआ मम्मा ने आपको स्ट्रॉन्ग बनाया था फिर आप कमजोर कैसे पड़ गई !" नीलम उससे बोली।

" सॉरी मम्मा अब मैं कमजोर नहीं पडूंगी ना ही कोई बात छिपाऊंगी कल उसे अच्छे से मजा चखाऊंगी मैं !" रितिका आंसू पोंछ आत्मविश्वास के साथ बोली और नीलम के गले लग गई।

अगले दिन रितिका की छुट्टी के वक़्त नीलम उसके स्कूल के बाहर पहुंच गई और छिप कर खड़ी हो गई ...रितिका अपनी सहेली के साथ निकली पर नीलम उसे नजर नहीं अाई ...क्योंकि स्कूल का रास्ता पैदल का ही था तो दोनों सहेलियां जा रही थी नीलम उनका पीछा कर रही थी थोड़ा दूर जाने पर सुनसान गली में वो लड़का रितिका का रास्ता रोक खड़ा हो गया। नीति को उसने जाने दिया।

" आज कैसे बचेगी !" वो रितिका का हाथ पकड़ कर बोला।

रितिका ने दूसरे हाथ को घुमा उस लड़के के मुंह पर पंच मारा उस लड़के ने गुस्से में रितिका का हाथ मरोड़ना चाहा पर रितिका सतर्क थी उसने अपना हाथ घुमा उस लड़के की गर्दन पकड़ ली और उस पर जोर देते हुए बोली...

" लड़कियों को कमजोर समझता है .. भूल गया लड़की चाहे तो कुछ भी कर सकती है अब बता कर दूं यही काम ख़तम तेरा जिससे किसी लड़की को परेशान ना कर सके तू!" 

" मुझे....माफ़ ...कर दो ...आइंदा से ऐसा नहीं करूंगा मैं !" वो लड़का घुटी घुटी आवाज़ में बोला,

" आज के बाद यहां नजर आया ना तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा समझा आज छोड़ रही हूं कल क्या हो मैं खुद नहीं जानती !" उसकी गर्दन छोड़ते हुए रितिका दहाड़ी।

वो लड़का वहां से भाग गया और रितिका आत्मविश्वास से कदम बढ़ाती घर को चली गई। नीलम के चेहरे पर मुस्कान थी आज के बाद उसकी बेटी हार जो नहीं माननेवाली किसी से क्योंकि अब वो अपनी ताकत पहचान गई थी।

दोस्तों हमें अपनी बेटियों को ताकतवर बनने की सीख देनी चाहिए साथ ही ऐसी परिस्थितियों का हिम्मत के साथ मुकाबला करना सिखाना चाहिए ना कि कमजोर बन डर कर बैठना।

कैसी लगी आपको रितिका के हौसले की कहानी ?


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