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कल्पना 'खूबसूरत ख़याल'

Romance

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कल्पना 'खूबसूरत ख़याल'

Romance

लाल गुलाब

लाल गुलाब

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मधू रोज कालेज से आते जाते हुए ऊँचे मकान की ऊँची चहारदीवारी से बाहर झाँकते लाल गुलाबों को देखती और चुपके से एक गुलाब तोड़कर अपने बैग से डायरी निकालती और उसमे रख लेती फिर चली जाती, मगर आज वो तीन दिन बाद जब उधर से गुजरी तो ये क्या ? 

दीवार जो कि पहले उसकी गर्दन तक ऊंची थी आज उसकी कमर तक ही रह गयी वो ये सब देख ही रही थी कि पीछे से आवाज आई, 'जितने चाहो उतने फूल तोड़ सकती हो तुम।' 

उसने पलटकर पीछे देखा, 'वो तो उसके ही कालेज में पढ़ने वाला लड़का रोहित था। 

लड़कियाँ तो उसके लुक्स की दीवानी थी, मगर वो किसी से भी ज्यादा बात नही करता था।

मधू को बड़ी शर्मिंदगी महसूस हुई कि उसने बिना किसी से पूछे पौधों से फूल तोड़ लिए। 

उसने कहा, ' सॉरी वो मुझे लाल गुलाब बहुत पसन्द हैं इसलिए, अब आगे से कभी ऐसा नही करूँगी।'

रोहित उसके पास आकर बोला हाँ मुझे पता है इसीलिए तो मैंने दीवार तुड़वा दी जिससे तुम आसानी से गुलाब तोड़ सको पहले तो बहुत प्रॉब्लम होती थी न उस दिन तो तुम्हें काँटे भी चुभ गए थे, कहते-कहते उसने एक ताजा गुलाब तोड़ा और मधू की तरफ बढ़ाते हुए बोला, 'ये लो।'

मधू ने रोहित की तरफ देखा, रोहित मुस्कुरा दिया और उसने झट से गुलाब ले लिया,खुशी से मधू के गाल भी गुलाब की तरह खिल गए जिनकी महक हवाओं में नहीं साँसों में बह रही थी। 


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