ऐटिटूड वाली
ऐटिटूड वाली
आज कई महीनों बाद जब निशीथ से बात हुई तो यूँ ही इधर उधर की बात हुई।
उसने पूछा काम हो गया सारा?
मैंने कहा- कौन सा काम किसका काम?
उसने कहा- तुम्हारा घर का।
मैंने कहा हाँ खाना बनाना बाकी है अभी,
वो यूँ ही बेसाख्ता हँस पड़ा। उसने कहा-बना लो ।
मैंने कहा- हाँ अभी बनाउंगी क्यूँ? तुम्हे मेसेज ना करूँ क्या ओके।
उसने कहा-क्यूँ?
मैंने कहा- कोई बात नही वैसे भी आज के बाद व्हाट्स एप्प डिलीट कर दूँगी जब दोस्त ही नही है तो व्हाट्स एप्प किस काम का!
उसके क्यों का जावाब मैंने दिया- शायद तुम बोर हो रहे हो इसलिये!
अब ये क्या पागलपन है। -उसने कहा
मैंने अब कहना शुरू किया यार हम सबके लिए फ्री है हमारा हाल चाल लेने वाला कोई नही?
उसने कहा- ऐसा नही है।
ऐसा ही है यार मुझे सिर्फ लोग जरूरत के वक्त ही याद करते हैं। मैं कभी कभी यही सोचकर सैड हो जाती हूं। मैंने कहा
उसने कहा- सॉरी यार लेकिन मुझे किसी का एटीट्यूड अच्छा नही लगता बस इसीलिए मेसेज नही करता था सॉरी इसीलिए मैने जो ऐसा किया।
मैंने कहा- मैं तुम्हारी बात नही कर रही मैंने उसे अपनी एक सहेली की बात बताई जब सब ही ऐसा करते है।
उसने कहा-लेकिन तुमने भी तो ऐसे ऐसे स्टेटस लगाए की?
मैंने कहा- स्टेटस सबके लिए नही होता।
उसने कहा- तुम्हारे हर स्टेटस पर ऐसा होता था, की माइंड आउट कर देता था। बस तभी मैं मैसेज नही करता था। सबमे एटीट्यूड भरा होता था।
मैंने कहा- तुम कौन से स्टेटस की बात कर रहे हो? वैसे अब तुम्हे वो एटीट्यूड ही लगेगा।
उसने कहा- सच बता रहे है।
मैंने कहा- जब कई बार बता चुके है कि स्टेटस हर किसी के लिए नही होते है लिखते है लगा देते है। (लेखिका जो ठहरी )
उसने हाथ जोड़ लिए।मैंने कहा- हाथ मत जोड़ो क्योंकि कुछ टाइम बाद मेरे दोस्तों को मुझसे प्रॉब्लम होने ही लगती है।
उसने कहा-मतलब?
मैंने कहा- मतलब पहले तुम्हे ऐसा नही लगता है अब लगता है क्योंकि मैं ऐसी ही हुँ तुम बदल गए हो।
उसने कहा- मैं जैसा था वैसा ही हूँ बस तरीके बदल लिए। शराफ़त की दुनिया का किस्सा ही खत्म , अब जैसे लोग वैसे हम।मैंने एक बनावटी मुस्कान के साथ कहा- मैं तो वैसी हूँ न खुद बदली न तरीका। अब तुम्हे एटीट्यूड लगता है तो लगे जो भी समझो अब मैं तुम्हे उस तरीके से नही समझा सकती क्योंकि तुम मेरे बेस्ट फ्रेंड हो। यस माई डिअर अगर उस तरीके से मैं तुम्हे समझाऊंगी तो तुम्हे बुरा लगेगा और तुम मुझसे दोस्ती तोड़ लोगे।
उसने कहा- क्या नही समझाओगी।
मैंने कहा- छोड़ो और बताओ?इधर उधर की बात करते करते मैं ऑफ़लाइन हो गयी।
और सोचने लगी...............
निशीथ कुछ महीनों पहले ऐसा नही था। मेरी और उसकी दोस्ती को तक़रीबन 4 साल होने को आये थे बीच मे सम्पर्क टूट गया था। उसकी एक खास बात मुझे बेहद पसंद थी कि वो एक खुशमिजाज लड़का था हर वक्त मज़ाक के मूड में रहता था। और बहुत फनी बातें करता था। और मैं भी उसे अपना बेस्ट फ्रेंड मानती थी या कहे कि मैं ही उसकी बेस्ट फ्रेंड थी बिना मतलब के वो मेरा दोस्त जो थनिशीथ कुछ महीनों पहले ऐसा नही था। हम दोनों में अक्सर मज़ाक होता था। मुझे आज भी याद है कि किसी बात को लेकर मैंने उससे मज़ाक किया था और उसने कहा था कि तुम्हे विश्वास नही तो ऐसी दोस्ती का क्या फायदा। उस दिन मैं बहुत रोइ थी मुझे बहुत तकलीफ हुई थी उस दिन की दोस्ती में सबकी तरह उसने भी फायदे और नुकसान की बात की। मैंने उसके किसी मैसेज का रिप्लाई नही दिया था और ये भी कहा कि मज़ाक करने का हक़ सिर्फ सामने वाले को है क्योंकि तुमने उसे अपना दोस्त कहा है उसने उस दीन उसने बहुत माफी मांगी और कहा मेरी वजह से रोई हो। आज इस व्हाट्सएप को ही हटा दूंगा। और उसने ऐसा ही किया था। मैंने उसे बड़ा मिस किया उसकी बातें। जब वो वापस आया तो फिर सब पहले जैसा हो गया अक्सर मैं अपना सब काम छोड़ के उससे बातें करने में लगी रहती थी। मेरे हर काम के साथ मे मेरा व्हाट्स एप्प और मोबाइल साथ ही रहता था। उसकी तबियत जब खराब हुई मैंने उसे कॉल करके ख़ैरियत भी पूछी।
1मिनट ही बात हुई और उसके बाद वो 1 मिनट 10 मिनट और घण्टों में कब बदल गए पता ही नही चला।
मेरे पास ऐसा कोई दूसरा दोस्त नही था जिससे मैं अपने मन की सारी बाते सारी तकलीफ़े शेयर कर सकूं और उसकी बातें बहुत फनी रहती थीं जिनको सोंचकर मुझे बहुत हँसी आती थी।मुझे याद है आज भी जब निशीथ की गलफ्रेंड से उसका ब्रेकअप हुआ था। वो बहुत सैड था, उसने मुझे बताया था, जिसे सुनकर मुझे बड़ा दुख हुआ था , और मैंने उसे तुरंत कॉल की और घण्टों समझाया कि मना ले । जब वो नही माना तो मैने कहा- ऐसे लोग आते रहते हैं जिंदगी में कोई बात नही भूल जाओ उसे और मैं हूँ ही तुम्हारी दोस्त हर मुश्किल में साथ। अब ज्यादा परेशान ना हो।
अक्सर लम्बी बातों में उसकी बेवकूफी भरी बातों से मेरी आवाज में हँसी गुंजा करती थी, मैं बहुत खुश होती थी उससे बात करके ।
मेरे जेहन में दर्द के चूल्हे जला करते है वो उसकी बातों से कुछ वक्त के लिए ठंडे हो जाया करते थे।
अब तो मोबाइल में डेटा पैक खत्म हो गया था, कभी कभी मैसेज नही देख पाती थी। अब टेक्स्ट आ जाते थे....ओए....कित्थे है तू।
उसने अपने दोस्तों से कहा था कि मैं उसकी गलफ्रेंड हूँ, मग़र मुझे उस गधे से ऐसी ही उम्मीद थी, और मैंने उस वक्त उसे बहुत डाट लगाई थी।आखिरकार जिसका डर था वही हो गया, एक दिन उसने मुझे प्रोपोज़ कर दिया, और मेरे हाथों उसका दिल टूट गया, कह रहा था उसे मेरी बातों से प्यार हो गया शक्ल से नही। मैंने उसकी बात को मज़ाक में लेते हुये कहा था क्या बकवास है और सिर्फ हस रही थी मैंऔर बातें करने लगी वो कहने लगा तुझे मेरा प्रोपोजल कैसा लगा।
मैने कहा- शिट जैसा।
उसने कहा- तू मुझसे प्यार नही करती?
मैंने कहा- करती मग़र ऐज़ अ फ्रेंड मेरे दिल मे वैसी फीलिंग्स किसी के लिए नही आई जैसी(मैंने अपने जिसे मैं किन्ही करणो से अपना ना सकी थी) उसके लिए थी, हैं और शायद कभी ख़त्म ना होंगी।वो उदास हो गया मुझे भी दुख हुआ मग़र ज्यादा नही।कभी कभी उससे कहा देती थी भूल ही गए हो अब तो, मैं तुम्हारी बेस्टी हूं मग़र मैं नही, तब उसने कहा था तू ही मेरी सबकुछ है बेस्टी, जीएफ, बीवी सबकुछ
अब भी बात होती थी मगर ज्यादा नही। अब कॉल्स बन्द हो गए थे, मैसेज ही आते थे पिछले महीने मैसेज भी आने बन्द हो गए थे।
मैंने उसके किसी स्टेटस पर रिप्लाई किया था, तब उसका रिप्लाई आया था। इधर उधर की बातों के बाद मैंने उससे पूछ ही लिया और वो कैसी है?
उसने कहा - ठीक है।
फिर कुछ बातों के बाद वो मुझे सब बताने लगा जिसकी वजह से मुझे और भी दुख हुआ ।
और
मैंने कहा- तुम तो मुझे भूल ही गए, जीएफ मिल गयी तो दोस्त को भूल गए।
उन दोनों की लड़ाई खत्म हुई थी और उसे मेरी कोई बात ख़राब लगी। शायद नाराज़ हो गया, फिर ना मैसेज ना काल तो पहले ही बंद हो गए थमुझे बहुत बुरा लगता था मैं बहुत दुखी थी।
एक दिन मैसेज आया किसी फ़ेसबूक आईडी के बारे में पूछ रहा था।मैंने पूछा- ये कौन है मैं नही जानती और इतने दिनों बाद मेरी याद कैसे आ गईं।
उसने कहा- आज करवाचौथ है ना इसलिये।
मैंने कहा -वेरी फनी बात न करो हमसे भूल ही गए।
शायद वो किसी लड़की आईडी थी वो मेरे भी फेसबुक पर ऐड थी। मैंने उसे डाटा की जब जानते नही हो तो रेकवस्ट क्यों एक्सेप्ट करते हो।
(मैं अक्सर लड़कियों को ऐड कर लेती हूं क्योंकि मुझे फ़ेसबूक पर मैसेजेस से सख़्त नफरत है और लड़कियां मैसेज नही करती खासकर लड़की को तो बिल्कुल भी नहऔर मैंने उसे बहुत बुरा भला कहा बहुत बुरा भला सुनाया। की तुम मतलबी हो तुम भी वैसे ही निकले।
फिर जब एक दिन पहले बात हुई तो वो मुझे मेरे एटीट्यूड की कहानियां सुना रहा था।
काश मैं उसे उस तरीके से समझा पाती जिससे उसे पता चलता कि एटीट्यूड क्या होता है।
काश उससे ये कह पाती की तुम्हे अब मेरी जरूरत नही है वरना एक वक्त था जब तुम्हे मेरी बातों की वजह से मुझसे प्यार हो गया था।
तुम्हारा ब्रेकअप हुआ था, उसके कुछ वक्त बाद तुमने मुझे प्रोपोज़ कर दिया था, क्योंकि उस वक्त तुम ख़ाली थे और तुम्हे अपना ख़ालीपन भरने के लिए कोई चाहिए था। अब जब तुम्हारी जिंदगी में वो लड़की जो कि तुम्हारा टाईमपास है वापिस आ गयी है तो तुम्हे अब मेरी बातें छोड़ो व्हाट्स एप्प में लगा स्टेटस एटीट्यूड लगता है तो इससे मुझे कोई फर्क नही पड़ता। मैं एटीट्यूट वाली ही सही और तुम मेरे उस एटीट्यूड के भी लायक नही मग़र तुम ये नही जानते मैंने तुम्हें ये सब बातें इसलिए नही कही क्योंकि मैं तुम्हे बहुत अच्छा अपना दोस्त समझती थी, हूँ। अपने मतलब के लिए ही सही थोड़े वक्त के लिये ही सही तुम्हारी बातों ने मुझे हँसाया उसी अहसान के बदला है ये की मैंने तुम्हें इस तरीके से नही समझाया।
और फिर नीलम ने स्टेटस न हटाकर व्हाट्स एप्प ही हटा दिया।
ये कोई कहानी नही है, इसका सार सिर्फ इतना है कि......
हर इंसान आपकी जिंदगी में सिर्फ अपना ख़ालीपन भरने आता है और जब जाता है तो एक ख़ालीपन छोड़ जाता है ग़ालिबन जब दो खाली इंसान मिलते है तो इसका उल्टा होता है,की एक का ख़ालीपन दूसरे के ख़ालीपन को पूरा कर देता है, और वो पूरे हो जाते है।
