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संस्कृति के नाम पर

संस्कृति के नाम पर

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हमारा भारत वर्ष संसार में अपनी सभ्यता और संस्कृति के लिए ही जाना है जाता है सभ्यता और संस्कृति समाज में जीने के लिए बहुत आवश्यक है, बिना सभ्यता संस्कृति के समाज का कोई अस्तित्व नहीं है। परंतु आज के समय में जिस प्रकार से सभ्यता और संस्कृति के नाम पर हो रही गन्दगी किसी से छुपी नहीं है।

अक्सर जब बात सभ्यता और संस्कृति की आती है बड़े-बड़े लेख लिखे जाते हैं अखबारों में पत्र पत्रिकाओं में सभ्यता, संस्कृति और संस्कारों के नाम पर औरतों की अर्धनग्न तसवीरें छाप दी जाती हैं। क्या सभ्यता संस्क्रति सिर्फ एक वर्ग तक ही सीमित है ? क्या सिर्फ महिलाओं की तस्वीरों को छापना सही है ? सभ्यता और संस्कृति के नाम पर इस तरह का अन्नाय सही नहीं है।


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