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बुढ़ापा

बुढ़ापा

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पापा ये लीजिये आपके पकोड़े। अंजलि पकोड़े रखकर चली गयी। ८० वर्षीय रायचन्द जी सर्दियों की धूप में चाय की चुस्कियाँ ले रहे थे। रायचन्द जी बहुत ही सभ्य और ईमानदार व्यक्ति रहे उन्होंने कभी किसी से रिश्वत नहीं खाई थी। उनके पास धन दौलत थी पर फिर भी एक अजीब उदासी उनके चेहरे पर रहती थी। हो भी क्यों ना जिनके चार चार बेटे बहुएँ हों मग़र वो उनके साथ नहीं हो तो दुख तो होगा ही। उनके पुराने दिनों में जब पहली बार बाप बनने वाले थे तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था मगर जब पता चला गर्भ में लड़की है उनकी खुशियाँ काफूर हो गयी। उन्होंने तुरंत अपनी पत्नी का गर्भपात करा दिया ऐसे ही ३ बार हुआ तब जाकर ४ लड़के पैदा हुए जब पांचवी सन्तान की बारी आई तो पत्नी ने कुछ महीनों छुपाकर रखा जब अबॉर्शन की बारी आई डॉक्टर ने साफ़ मना कर दिया जान को खतरा है।

लड़की हुई घरवालों से बर्दास्त ना हुआ लड़की को लेकर मिसेज रायचन्द अपने मायके लेकर चली गयी कुछ सालों रही फिर लौट आई कुछ सालों बाद उनकी मृत्यु हो गयी। लड़को की शादी हुई और पत्नी की मौत के गम में उनको टीबी हो गया बेटों और बहुओं ने ये कहकर पल्ला झाड़ लिया कहीं बच्चो को लग गया रोग तो क्या होगा। सब छोड़कर चले गए पिछले ८ महीनों से उनका इलाज चल रहा है उनकी बेटी उनकी देखभाल कर रही है। अब वो काफी हद तक ठीक है। वो सोच रहे थे जिन बेटों के लिए वो इतने जतन किये उन बेटों ने उनका साथ छोड़ दिया। और जिस बेटी के जन्म पर मातम मनाया गया आज वो नई जिंदगी दे रही है उन्हें। उन्होंने आवाज़ लगाई अंजलि बेटा चलो आज तुमको नई ड्रेस दिलाते हैं वैसी ही जैसी तुम बचपन में मांगा करती थी। हा हा पापा आप भी...हाहाहाहा !


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