"लाल बत्ती"

"लाल बत्ती"

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मैंने अपने मित्र से एक कहानी सुनी थी जो मुझे आज भी अक्सर याद आ जाती है लाल बत्ती जो ट्रैफिक सिग्नल पर होती है वहां कुछ लोग खिलौने बेचते हैं, कुछ पेन बेचते हैं और कुछ पैरपोश तो कुछ अन्य चीजें।पैरपोश बेचने वाली महिला से एक अमीर व्यक्ति रोज़ पैरपोश खरीदता।

दूसरी सामान बेचने वाली महिलायें खुसर फुसर करतीं।एक दिन उस अमीर व्यक्ति की कार आकर रूकी पैरपोश वाली महिला का हाथ पैरपोश पकड़ाते हुए उस व्यक्ति से छू गया कार वाला बोला तुम्हें तो तेज बुखार है चलो गाड़ी में बैठो वह महिला कार में बैठ गई।दूसरी महिलाएं जोर ज़ोर से उसकी बुराई करने लगीं। कार वाला उसे वापस छोड़ गया। वह महिला कुछ दिनों से बेचने नहीं आ रही थी उसकी बेटी बोली मै आज से जाती हूं।

ट्रैफिक सिग्नल पर खड़ी औरतों ने बेटी से मां की बहुत बुराई की। घर आकर बेटी ने मां को भला बुरा कहा। दूसरे दिन बेटी पैरपोश लेकर सिग्नल पर पहुंची ।कार वाला आकर रुका और उसकी मां के बारे में पूछा बेटी उसे भलाबुरा कहने लगी । वह बोला सुनी सुनाई बातों पर विश्वास नहीं करते चलो गाड़ी में बैठो तुम्हें सच्चाई बताता हूं तुम्हारी मां को कैंसर है इस अस्पताल में उसका इलाज करवा रहा हूं चाहो तो डॉक्टर्स से पूछ लो तुम्हारी मां एकदम पवित्र हैं।

सच्चाई सुनकर बेटी रोने लगी उस व्यक्ति से उसने माफी मांगी और दौड़कर अपने घर जाकर मां के गले लगकर फफक पड़ी।

कभी कभी निस्वार्थ रिश्ते भी बन जाते हैं।


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