MITHILESH NAG

Comedy

5.0  

MITHILESH NAG

Comedy

लाल बत्ती

लाल बत्ती

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पिल्लू चाचा आज गजब लग रहे हैं ,क्योंकि बहुत दिन बाद आज एक साइकिल खरीदी है,वो भी हीरो साइकिल । वैसे खुश हो भी क्यों नहीं आज बहुत दिन के बाद तो इतनी बड़ी खुशी जो मिली है। अब तो लोगों की भीड़ लग गयी कि पिल्लू चाचा ने नई साइकिल जो ले ली है। 

“सब दूर से देखो, कोई भी साईकिल को नहीं छुएगा”

“नहीं चाचा,हम दूर से ही देखेंगे” (धक्का मुक्की करते)

क्योंकि उस गाँव मे पहली बार कोई साईकिल या कह लीजिए कि गाड़ी आयी है।देखते देखते पूरे गाँव मे बात चली गयी । पूरे दिन यही चक्कर लगता रहा ।

रात को....

पिल्लू की पत्नी संतरा देवी बहुत खुश थी, लेकिन साथ ही साथ चिंता भी थी कि अब लोगो की नज़र हमारी गाड़ी पर रहेगी।

“सुनो जी,गाड़ी तो ले लिए हैं लेकिन अब तो इसकी देख भाल भी तो करनी होगी। (खाना खाते)

“चिन्ता क्यों करती हो, किसकी इतनी हिम्मत है कि हमारे गाड़ी को छू दे”।( मुछो पर ताव देते)

“लेकिन फिर भी......” 

“खा के चुप चाप सो जाओ, और चिन्ता मत करो”।

सुबह....

पिल्लू की हमेशा से एक इच्छा थी, एक दिन मैं भी दूसरे नेता की तरह लाल बत्ती अपने घर मे रखूंगा। इसलिए वो हमेशा अपनी गाड़ी लेकर कर डाकबंगले के पास खड़े हो कर आने जाने वाले नेता को देखते थे । वो ये नहीं देखते थे कि कितनी गाड़ी आ रही है,बस उनकी नज़र उस लाल बत्ती पर रहती थी ।

“मैं सोच रहा हूँ, अगर एक लाल बत्ती मुझे भी मिल जाये तो कितना अच्छा रहता,गाँव मे मेरी और इज्जत बढ़ जाएगी”। ( गाड़ी पर लगी लाल बत्ती पर नज़र थी)।

फिर वो वहां से चले जाते हैं।

कुछ दिन बाद....

एक दिन किसी ने बोला कि,” आप क्यों न किसी नेता की गाड़ी का बत्ती निकाल लो, किसी को पता ही नहीं चलेगा”।

“लेकिन अगर पकड़ा गया तो, फिर क्या होगा”।

“अरे, कुछ नहीं होगा... इतनी गाड़ी खड़ी है कि किसी को पता ही नहीं चलेगा कि किसने ये किया है।“

अब पिल्लू चाचा को ये बात जम गई कि किसी को पता नहीं चलेगा,और रात को निकाल लूंगा।

फिर क्या यही सोचते सोचते घर आ गए।

अगले दिन रात को..

पिल्लू रात को गेट से चढ़ कर उस पर जाना चाहा तो उसका कुर्ता लोहे में फंस गया और पूरा कुर्ता ही फट गया।लेकिन फिर भी वो गाड़ी जहां खड़ी थी वहीं खड़े हो गए। 

लेकिन उन्होंने देखा , जो सब से अच्छी लाल बत्ती लग रही है उसी को निकालने के लिए आगे बढ़े ,और फिर उस बत्ती को खींच कर निकाल लेते हैं

जल्दी जल्दी बत्ती लेकर वहाँ से भागते हैं। गिरते पड़ते न सड़क की चिंता न ही लोगों की चिंता बस भागे जा रहे हैं

घर पर...

“कहाँ इतनी रात गए थे? और ये हाथ मे ले कर क्या आये हो।“ (दरवाजे खोलते हुए)

“आज मैं लाल बत्ती लाया हूँ”। ( दिखाते हुए)


सुबह ....

पूरे गाँव मे ये शोर मच गया कि नेता नाटे की लाल बत्ती चोरी हो गयी है,उसको खोजने के लिए पुलिस लग गई है। 

लेकिन कई दिन सब पुलिस वाले उसको खोजने के बाद नहीं मिला तो नाटे नेता ने बोला ” जाने दो कोई होगा जिसको लाल बत्ती की सनक लग गयी होगी ।"

अच्छा, ऐसे ही सब मामला शांत हो गया,लेकिन एक दिन पिल्लू चाचा उसी लाल बत्ती को साइकिल के आगे एक बैटरी लगा कर चलाते हुए गाँव मे निकलते हैं। पूरा गाँव उनको देखने लगे ।

तभी उधर से नाटे नेता जी अपने काफिले के साथ आ रहे थे, वो बहुत सीधे और बहुत निर्मल नेचर के हैं। वो जाते जाते देखते हैं कि उनकी लाल बत्ती तो एक साइकिल पर लगी है।

“रुको जरा कोई मेरी लाल बत्ती अपने सायकिल पर लगा कर घूम रहा है”।

नेता जी उसको रोकते हैं और बोलते हैं "ये लाल बत्ती कहाँ से लेकर आ रहे हो”।

पहले तो पिल्लू चाचा सोचे झूट बोल लेकिन फिर वो सच सच बोल देते हैं।

उनकी बात सुन कर पहले तो नेता जी चुप थे लेकिन फिर खूब तेज़ हँसने लगे ।

“ ड्राइवर गाड़ी आगे बढ़ाओ”

पिल्लू चाचा की भी ख्वाहिश पूरी हो जाती है लाल बत्ती से चलने की ।









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