Dheerja Sharma

Tragedy

5.0  

Dheerja Sharma

Tragedy

क्या यही प्यार है

क्या यही प्यार है

2 mins
560



"सॉरी रजत, मुझे लगता है कि इस कहानी को यहीं विराम दे देना चाहिए। मैं किसी न किसी तरह समझा लूंगी अपने दिल को। और प्लीज, अब कभी फ़ोन न करना मुझे। चलो मैं ही तुम्हारा नंबर ब्लॉक कर देती हूं। " सॉरी , हमारा साथ शायद इतना ही था"-और स्नेहा शर्मा ने फ़ोन काट दिया।

रजत जैसे पत्थर हो गया। कल तक तो भली चंगी थी स्नेहा। जान छिड़कती थी उस पर। एक दिन भी नहीं मिल पाता तो खाना नहीं खाती थी। नाराज़ हो कर कट्टी

कर देती थी। दोनों मिल कर एक साथ ज़िन्दगी जीने के सपने देख रहे थे। कल ऐसे ही बातों बातों में स्नेहा ने उसकी जाति पूछी। रजत के जवाब देने के बाद स्नेहा के चेहरे के भाव बदल गए। मूवी का प्रोग्राम था किंतु सरदर्द का कह कर जल्दी घर चली गयी। और आज ये फ़ोन !

रजत के सामने स्नेहा के साथ बिताए पल फ़िल्म की तरह आंखों के सामने घूमने लगे। फ़िल्म के अंतिम डायलाग ' इस कहानी को यहीं विराम दे देना चाहिए' ने रजत का दिल दर्द से भर दिया।

" क्या यही प्यार था ? तुमने इसे कहानी कहा ? अच्छा हुआ तुमने इस कहानी को विराम दे दिया। तुम मेरे लायक थी ही नहीं स्नेहा शर्मा ! जाति देख कर प्यार करने वाली, अच्छा हुआ तुम मेरी ज़िन्दगी से दूर चली गई। "--बुदबुदाता हुआ रजत रोज़ की तरह मंदिर जाने के लिए खड़ा हो गया।


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