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Gita Parihar

Inspirational

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क्या आज के युवा आसानी से किसी से भी प्रभावित हो जाते हैं ?

क्या आज के युवा आसानी से किसी से भी प्रभावित हो जाते हैं ?

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आज के युवा की तुलना यदि हम कुछ ही बरस पहले के युवा से करें तो हम पाएंगे कि आज के युवा आत्मविश्वास से लबरेज़ युवा हैं।उनकी अपनी सोच,समझ और निर्णय लेने की क्षमता है।वे चुनौतियों को ललकारने का दम रखते हैं।वर्षों से चली आ रही परिपाटी या परंपरा को आंख मूंद कर नहीं निभाते बल्कि तार्किकता और तर्कसंगत होने पर ही स्वीकार करते हैं । उनका नजरिया जीवन के प्रति सकारात्मक होता है। जीवन की कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी विजय हासिल करने का प्रयास करते हैं।

उन्हें अपनी भावनाओं और आवेश को नियंत्रण में रखना आता है। वे अपने आसपास घटित होने वाली चीजों को देखते हैं ,महसूस करते हैं और घबराने के बजाय डटकर उनका मुकाबला करते हैं ,संभावनाओं के प्रति आशावान रहते हैं ,अपनी सोच ,अपने दिमाग को अपने नियंत्रण में रखते हैं ।

 कुछ अपवाद भी होते हैं, इन्हें लेकर सुदृढ़ समाज का सपना कभी हकीकत नहीं बन पाता ।ये वो हैं जो पतन की ओर ही बढ़ना चाहते हैं । ये न अपने माता- पिता को महत्व देते हैं, न इन्हें अपने भविष्य को संवारने की चिंता होती है। ये समाज के प्रति और स्वयं के प्रति निर्लिप्त होते हैं। इनके जीवन का उद्देश्य समझना असंभव होता है ।ये उस जन सैलाब की तरह होते हैं जिसमें सोच- समझ की शक्ति नहीं होती ।जिसका नाजायज लाभ तथाकथित राजनेता जब- तब उठाते रहते हैं।इस तरह के युवा क्षणिक लाभ के लिए और तुच्छ इच्छापूर्ति के लिए किसी भी हद को पार कर सकते हैं।इनमें ख़ुद की सोच और समझ नहीं होती। ये भीड़ या भेड़ मानसिकता के युवा होते हैं। इनकी दिनचर्या को गौर किया जाए तो अमूमन ये बेरोजगार होते हैं,जो टाइमपास के लिए या तो मोबाइल पर जुटे रहते हैं अथवा चाय और पान की दुकानों पर झुंड में खड़े मिल जाएंगे ।इनका मुख्य शगल गप्पबाजी,आती -जाती लड़कियों पर छींटाकशी या छेड़छाड़ ही होता है।यूं देखा जाए तो हमारा समाज भी इनके प्रति पर्याप्त संवेदनशील नहीं है और हमारी यह उदासीनता भी किसी हद तक उन्हें अपराध और असामाजिक कृत्यों की ओर धकेलती है ।

सुखद बात तो यह है कि इन युवाओं की तुलना में अच्छी सोच और अच्छे गुणों के युवाओं की संख्या अधिक है।

तो व्यक्ति अपने कौन से गुणों से औरों को प्रभावित कर सकता है ?

सर्वप्रथम व्यक्ति अपने बाहरी रूप से अर्थात परिधान,वेशभूषा और स्वच्छ आचरण से किसी को प्रभावित करता है और स्वयं भी अन्य से पहली मुलाकात में इन्हीं बाहरी चीज़ों से प्रभावित होता है।तत्पश्चात उसके नैसर्गिक गुण जैसे सौम्यता,सच्चाई, और ईमानदारी बरबस किसीको अपनी और खींच लेती है।मेरा ऐसा मानना है कि आज के अधिकतर युवा भी कुछ इसी भांति के गुणों से विभूषित लोगों से प्रभावित होते हैं ।


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