क्वेरेन्टाइन का सातवां दिन
क्वेरेन्टाइन का सातवां दिन


डियर डायरी,
मैं राकेश, उम्र पैंतालिस वर्ष। गाड़ी चलाने वाला यानि कि एक ड्राइवर हूँ। छठी कलास तक पढ़ा हूँ। अपना नाम लिखना जानता हूँ। अखबार भी पढ़ लेता हूँ। स्मारट फोन भी है, मेरे पास। उसे भी चला लेता हूँ।
और तो और अंग्रेजी बोलना भी जानता हूँ। सेठानी और उनकी बेटी रूहानी हमेशा खटर पटर अंग्रेजी बोलती हैं। मुझे भी आता है।
" हैलो, मैडम! गुड मार्निंग, गुड इविनिंग, बाई , सी या! स्टुपिड!"
अच्छा डायरी, "स्टुपिड" मतलब "बांका नौजवान" होता है, है न?
एकबार सेठानी ने खुश होकर मुझे यही कहा था। मेरे तो दोनों गाल उनके लिपस्टिक के जैसे लाल हो गए थे! सरम से
घर में चार बेटियों और एक बेटा का बाप हूँ। बेटा ही चाहिए था मुझे सारे। पर मेरी बीवी, मालती ने चार -चार बेटियाँ पैदा कर लीं ।
कितनी बार बोला था उससे कि मार दे सारी बेटियों को।और दो चार बेटे पैदा कर लें। कम से कम दहेज तो नहीं जुटाना पड़ता।
ऊपर से पाँच छः बरस के हो जाएंगे तो उनको किसी धाबे में लगा देंगे। अच्छी आमदानी हो जाएगी, बेटियाँ किस काम की?
"नहीं ,मैडम जी ने मना किया है।" " कोख गिराना पाप है।"
बड़ी आई मैडम जी की चमची! दिनभर उनके घर में पड़ी रहती है, तभी इसके मिज़ाज देखो!साली!!
सही कहा था बापू ने, " औरत जात को काबू में रखना चाहिए। "
मेरी माँ को कैसे काबू में रखा था। कभी मजाल की कोई चूं चपड़ करें?
और इसको देखो, कैसे कैंची की तरह जबान चलती रहती है?
मुझे तो ऐसा लगता है कि हो न हो, इसका कोई चक्कर वक्कर है, तरुण साहब से। वरना सिर्फ उसके कहने पर मुझे कोई गाड़ी धोने के काम में लगा देता है? क्यों मेरी डायरी? तुम ही बताओ।
पर आजकल बड़ा आराम है। लाॅकडाउन की वजह से आराम से घर में सोने को मिलता है। बीवी पर , बेटियों पर हुक्म चलाओ। बीच बीच में, दो चार हाथ चलाओ तो बीवी बड़ी सेवा करती है!
स्वादिष्ट
खाना भी पड़ोसती है और अपना देह भी।
असली मर्द का बच्चा वही है जो औरतों को अपनी कोहनी के नीचे रखें।
बेटे को भी यह गूढ़-विद्या सिखाऊंगा, जब वह बड़ा हो जाएगा।
सिर्फ एक ही परेशानी है सराब की सारी बोतलें पी गया। और कोई नहीं बचा। दुकानें भी बंद हो गई सब!
उस कोठेवाली रानो के पास भी नहीं जा पा रहा हूँ।
पता नहीं, यह मुआ लाॅकडाउन कब तक चलेगा?