कुलधरा: रहस्यों में लिपटा गांव
कुलधरा: रहस्यों में लिपटा गांव
राजस्थान अपने आप में कई तरह के रहस्यों को समेटे हुए है। इसी में से एक है जैसलमैर का कुलधरा गांव।पालीवालों के मुदगल गोत्र में कुलधर एक उपजाति है कुलधर के नाम पर ही इसका नाम कुलधरा पड़ा था।पाली मूल के इन लोगों को पालीवाल कहा जाता है। लक्ष्मी चन्द द्वारा रचित १८९९ की इतिहास की पुस्तक तवारिख-ए-जैसलमेर के अनुसार कधान नामक पालीवाल ब्राह्मण कुलधरा गाँव में बसने वाले प्रथम व्यक्ति थे। इन्होंने गाँव में उधानसर नामक एक तालाब खोदा था।
कुलधरा गाँव के लोग वैष्णव धर्म के थे। इस गाँव का मुख्य मन्दिर विष्णु भगवान और महिषासुर मर्दिनी का है। हालाँकि ज्यादातर मूर्तियां गणेश जी की भी हैं जो प्रवेश द्वार पर प्रदर्शित हैं। गाँव के लोग विष्णु, महिषासुर मर्दिनी और गणेश जी के अलावा बैल और स्थानीय घोड़े पर सवार देवता की भी पूजा करते थे।
कुलधरा गाँव के पुरुषों की पोषाक मुग़लिया अंदाज की पगड़ी़, पाजामा, अंगरखा थी।इसके अलावा वे गले में कुछ हार भी पहनते थे।
महिलाएं मुख्यतः लहँगे पहनती थीं। अंगरखा
पहनती और हार भी पहनती थीं।
यह एक शापित और रहस्यमई गांव है। इसे भूतों का गांव भी कहा जाता है। इस गांव का निर्माण 1300 ईसवी में करवाया गया था लेकिन पानी की घटती आपूर्ति के कारण उन्नीसवीं शताब्दी में यह गांव नष्ट हो गया।
यदि किवदंती को माने तो इस गांव के शापित होने का अन्य कारण भी है।
करीब 170 साल पहले इस गांव के सभी निवासी रातों-रात इस गांव को छोड़कर चले गए। इस गांव के वीरान होने के पीछे दो कहानियां प्रचलित हैं। पहली कि यहां के शासक सलीम सिंह की बुरी नज़र गांव की एक खूबसूरत लड़की पर पड़ गयी। वह ज़बरन उस लड़की पर शादी करने का दबाव बनाने लगा।गांव के लोगों को अपने सम्मान और गौरव खोना मंजूर नहीं था। ऐसे में गांव के मुखिया ने निर्णय लिया कि वे रातों-रात गांव छोड़ कर चले जाएंगे। जाते वक्त वे इस गांव को श्राप दे गये कि इस जगह पर कभी भी कोई बस नहीं पाएगा। वहीं दूसरी कहानी के मुताबिक यहां का शासक सलीम सिंह ब्राह्मणों पर बहुत अत्याचार करता था। उसके अत्याचारों से दुखी होकर ब्राह्मणों ने गांव छोड़ने का फैसला किया। जाते समय वे गांव को श्राप दे गये कि इस जगह पर कोई बस नहीं पाएगा। कहानी जो भी सच्ची हो, लेकिन ये तो सच है कि इस जगह पर आजतक कोई बस नहीं पाया।
यह गाँव अभी भी भूतिया गाँव कहलाता है। गाँव के खंडहरों के बीच विभिन्न देवलीयों (स्मारक पत्थर) सहित ३ श्मशान घाट हैं। राजस्थान सरकार ने इसे पर्यटन स्थल का दर्जा दे दिया है, इस कारण अब यहां रोजाना हज़ारों की संख्या में देश एवं विदेश से पर्यटक आते रहते है।