Mahak Sharma

Horror Tragedy Thriller Crime Drama

4.3  

Mahak Sharma

Horror Tragedy Thriller Crime Drama

कुलधरा गांव का रहस्य

कुलधरा गांव का रहस्य

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एक-एक कर के गांव के सारे कुएं खाली होते जा रहे थे। जो कुएं पहले दिन तक लबालब पानी से भरे होते थे, कुछ ही दिन में सूख जाते थे जैसे उनमें सालों से कभी पानी था ही नहीं।राजस्थान की गर्मी का इतना प्रचंड प्रकोप तो नहीं था कि इस तरह सभी कुएं खाली हो जाएं।और फिर चलिए इतने को भी प्राकृतिक कारण मान लिया जाए लेकिन उसे कैसे नज़रंदाज़ करें जो हर रात हो रहा था.......

"क्या हो रहा है इतने सालों से रात को?" कुलधरा गांव के नए नियुक्त कलेक्टर अविनाश ने पूछा जो गांव वालों से उनकी समस्या का विवरण ले रहा था।

"के बतावें साब....इतने साला सां रात में कोई भी घर के बाहर न निकलो है और रात में जो कोई भी जावे वा सवेर...." उस आदमी ने झिझकते हुए कहा।

"पूरी बात बताओ"

"साब जी, रात को जो कोई भी इन सूखे कुआं के पास से निकलो है उसे ये अपनी तरफ खींच लेवें हैं और अगले दिन सवेर उसकी लाश ही मिले है"

"क्या बकवास है ये?"

"ये बकवास न है साब जी, हमारे पड़ोस का लड़का हरि....वा भी तो ऐसे ही मरो है। हमने अपनी आंख्या सूं देखो है" एक दूसरे आदमी ने इस घटना का पुष्टिकरण किया।

"हम्म्म्म....ये घटनाएं आम तो नहीं है मगर जरूरी तो नहीं कि कुओं का खाली होना और लोगों के मरने में कोई ताल्लुक हो। और अगर है तो इसके पीछे क्या कारण हो सकता है?" अविनाश ने कुछ सोचते हुए कहा। 

"और के कारण हो सकतो है? एक ही है....गांव की चुड़ैल। कहते हैं कि बहुत साल पहले यहां के मुखिया की इकलौती बेटी ने अपनी मर्ज़ी से ब्याह रचा लियो। दो साल बाद उस मुखिया ने ढूंढ के उसके पति को मरवा दियो और अपनी बेटी को घर ले आयो।

मगर असल बात ये थी कि मुखिया की बेटी रुक्मी ने एक बच्ची को जन्म दे दियो। किसी को या बात पता न लागे इस कारण मुखिया ने रात में उस बच्ची को मारने की सोचियो। रात को वा जैसे ही बच्ची को चुपके से उठा के बाहर चौपाल के कुएं की तरफ चाल्यो, पीछे सूं उसकी बेटी भागते-भागते उसके पीछे जाण लागी। उसने बोहत आवाज़ लगाई..."बाबू सा म्हारी बच्ची ने मत मारो, बाबू सा म्हारी बच्ची म्हाणे दे दियो".....पर मुखिया ने एक न सुनी अर वा बच्ची ले जाके कुएं में पटक दियो। या देख के रुक्मी से रहा न गियो और उसने बी पीछे-पीछे कुएं में छलांग लगा दियो। तब से उसकी आत्मा गांव में भटकती रहवे है साब जी" पहले आदमी ने कहा।

"और वा मुखिया का परिवार.....वा बी तो दो महीने में ही सब मर गयो एक-एक कर के। तबसे इस गांव के सब कुएं सूखते जावें हैं। और रात ने उसी की आत्मा कुएं में लोगां ने खींच लेवे है" दूसरे आदमी ने बात को और गहनता से बताया।

"ये सब क्या नॉनसेंस है? चुड़ैल, आत्मा। कुएं का सुखना एक प्राकृतिक कारण हो सकता है और इस पर शोध करने के लिए मैंने एक टीम को बुलाया भी है। हम इसका हल जरूर निकाल लेंगे। मगर आप सब इन दकियानूसी बातों को हवा मत दिजीए" अविनाश ने सख़्ती से कहा।

"अब जाइए। मैं देखता हूँ इस पर जल्द से जल्द काम हो"

गांव वाले वापिस चले गए।

रात के समय अविनाश ऑफिस से घर आकर आराम करने लगा। उसे इन भूत-प्रेत की बातों पर विश्वास तो नहीं था लेकिन फिर भी वो सोच रहा था इस बारे में। सोचते-सोचते ही उसकी आंख लग गई।

रात के बारह बजे अचानक उसे ज़ोर-ज़ोर से किसी की पायलों की आवाज़ आई लगा जैसे कि कोई तेज़ी से भाग रहा हो। उसे ये उसका वहम लगा लेकिन तभी वो आवाज़ और तेज़ हो गई। ऐसा लग रहा था कि कोई उसके घर के बिल्कुल पास से भाग रहा हो।

वो नींद से उठा ये देखने के लिए की आख़िर हो क्या रहा है?

वो जैसे ही घर से बाहर आया उसने देखा कि उस से कुछ दूरी पर एक अधेड़ आदमी हाथ में कुछ लिए जा रहा है और उसके पीछे एक औरत जो दिखने में 22-23 साल की होगी बेतहाशा भाग रही है। 

वो औरत ज़ोर-ज़ोर से रो रही थी और आवाज़ लगा थी- "बाबू सा म्हारी बच्ची ने मत मारो, बाबू सा म्हारी बच्ची म्हाणे दे दियो"

उसका रुदन और आवाज़ सुनकर अविनाश को लगा कि उसके कान फट जाएंगे। लेकिन एक औरत और उसकी बच्ची मुसीबत में थी तो वो इसे कैसे नज़रअंदाज़ कर सकता था। इसलिए वो भी उसके पीछे भागा।लेकिन ऐसा लग रहा था कि वो दोनों उसके हाथ से निकलते जा रहे थे। भागते-भागते वो चौपाल के पास वाले कुएं पर पहुंच गए। उसके देखते ही देखते उस आदमी ने बच्ची को कुएं में फेंक दिया। अविनाश ने आवाज़ लगा कर उसे रोकने की कोशिश की लेकिन उसने सुना ही नहीं और अंधेरे में गायब हो गया।तभी वो औरत भी छलांग लगाने के लिए कुएं में कूदी लेकिन अगले ही पल अचानक वो कुएं के बाहर निकल कर हवा में लहराने लगी। और अविनाश ने जो देखा वो बहुत ही वीभत्स और डरावना था।

उस औरत का चेहरा बुरी तरह जगह-जगह से फटा हुआ था जैसे पानी में उसकी चमड़ी गल गयी हो। उसके सारे शरीर से काई और कीड़े टपक रहे थे।

और उसकी आँखों में काला हिस्सा था ही नहीं। ये नज़ारा देख कर अविनाश के होश फाख्ता हो गए।वो औरत तेज़-तेज़ रो रही थी और हवा में सड़न की बदबू और एक डरावना शोर फैला हुआ था। उसके बाद वो बेहद भयावह तरीके से हंसने लगी।

"सब मरोगे.....तुम सब मारे जाओगे....मेरी बच्ची को मुझसे छीना है तुमने....तुम सब मरोगे" उसका तीखा स्वर हवा में गूंज रहा था।

अविनाश पसीने-पसीने हो चुका था लेकिन उस से हिला भी नहीं जा रहा था। उसने बड़ी ताकत लगा कर एक कदम पीछे हटने की कोशिश की लेकिन तभी एक ज़ोरदार धक्का उसे लगा और वो सीधा कुएं में जा गिरा।सुबह गांव वालों को सूखे कुएं में उसकी लाश पड़ी मिली।

                            

                   


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