MALA SINGH

Abstract Action Inspirational

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MALA SINGH

Abstract Action Inspirational

कुछ तो मक़सद है जिन्दगी का

कुछ तो मक़सद है जिन्दगी का

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सन 2018 की बात है हम डाइट मेरठ मवाना पर मास्टर ट्रेनर के रूप में विषय स्वास्थ्य एवं स्वच्छता का प्रशिक्षण अपने शिक्षक साथियों को दे रहे थे। रोजाना की तरह हम 15 फरवरी को भी प्रशिक्षण देने अपने घर से रवाना होकर पहले रिक्शे में

 बैठे रिक्शे से साकेत चौपला उतर कर वहां से हमने डायट मवाना के लिए बस पकड़ी उस समय मवाने वाली रोड पर काफी गड्ढे थे।  बस रास्ते में एक गांव सैनी पड़ता है। वहां से एक नदी भी निकलती है। जैसे ही बस ने नदी के पुल को पार किया तो बस का

 टायर एक बड़े से गड्ढे में आया जिससे ड्राइवर बैलेंस नहीं कर पाया और बस नीचे खाई की तरफ पलट गई नीचे की तरफ ही एक खजूर का पेड़ भी लगा हुआ था। बस खजूर के पेड़ के सहारे से पूरी नहीं पलटी थी आधी ही पलटी थी लेकिन बस की

 पेट्रोल की टंकी में आग लग गई। उस बस में लगभग 30 सवारियां थी जिसमें हम भी थे। हम सबसे आगे वाली सीट पर बैठे हुए थे मेरे पास एक गोपाल नाम का लड़का बैठा हुआ था जो डायट में ही बीटीसी प्रशिक्षु था वह हमसे कुछ देशभक्ति कविताओं के बारे

 में बातें कर रहा था और हम गांव के रिश्ते नाते में उनकी चाची लगते हैं हम उनको कविताओं की जानकारी दे रहे थे और उनके अंदर सकारात्मक भाव पैदा कर रहे थे कि हमें हर अच्छे काम में बढ़-चढ़कर के हिस्सा लेना चाहिए। वह लडका भी हमें आदर्श

 मानता है। हमने उसके अन्दर भी कुछ अलग सा करने का जुनून कई 

 बार देखा है। हम और गोपाल सकारात्मक बातें कर ही रहे थे तभी बस पलट गई। पूरी बस में चींखने और बचाओ बचाओ की आवाज आने लगी। पीछे की सवारियां सभी नीचे की तरफ हो गई। उनका सामान भी छूट गया लेकिन वह गेट से लिख निकल

 कर अपनी जान बचाने की सोच रहे थे।

 बारी-बारी से सवारियां निकल रही थी और कोई ना कोई उन्हें ऊपर की तरफ खींचकर उनकी जान बचा रहे थे। हमारा सिर बोनट पर जाकर लगा था। हम थोड़ी बेहोशी में थे गोपाल भी पहले ही बाहर निकल गया था लेकिन कहीं ना कहीं उसके दिमाग में यह

 बात थी कि सभी सवारियां बाहर निकल गई लेकिन अभी चाची नहीं निकली है। तब तक बस पूरा आग का गोला बन चुकी थी।

 हम थोड़ा होश में आए और हमारे अंदर के हौसले ने बाहर निकलने की कोशिश की।   हमने अपने समान को बटोरकर एक हाथ में लिया। और फिर हौंसला बनाते हुए ढाना कि हमें इस बस से निकलना है। गेट से निकलते समय हमने एक हाथ ऊपर की

 दिशा में ही रखा। गोपाल भी हमारा इंतजार कर रहा था कि कब चाची बाहर निकलें और मैं ऊपर की ओर खींचूं ,उन्हें बचाओ और वैसे ही हुआ। जैसे हम हिम्मत करके गेट से बाहर निकले गोपाल ने तुरंत हमारे हाथ को पकड़ लिया। लेकिन नीचे

 खाई थी। गोपाल लडका सड़क से हमें खींच रहा था तो उसका बैलेंस भी नहीं बन पाया और उसका हाथ हमारे हाथ से छूट गया।  हमने ऊनी कपड़े पहने हुए थे। आग की लपटों ने हमारे कपड़ों और पैरों को खूब छुआ। लेकिन कहते हैं कि मारने वाले से

 बचाने वाले के हाथ बहुत लंबे होते हैं। तभी  गोपाल ने फिर हिम्मत की और एक लड़का दौड़ा हुआ आया। दोनों बच्चों ने अपने पैर जमाते हुए पूरा बल लगा कर एकदम से हमें ऊपर की तरफ खींच लिया। आखिरकार हमारी जान भी बची ही गई।

 हमारे माथे पर चोट का गुल्ला पड़ा हुआ था कपड़े सारे धूल मिट्टी में सने हुए थे। हम वहां पर खिलखिला के हंसे और सोचने कि हम ऐसे आग के गोले से कैसे बच गए। शायद अभी हमारी जिंदगी का कुछ ना कुछ तो मक़सद है। हमने दोनों बच्चों को

 धन्यवाद बोला और उनके अच्छे स्वास्थ्य और उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी

 फिर हंसते मुस्कुराते हुए डाइट पर अपना कार्य करने के लिए पहुंच गए। सभी साथियों को हमने उस घटना के बारे में बताया।  सभी साथी बड़ा आश्चर्य महसूस कर रहे थे और अंत में यही कह रहे थे कि  मैडम ! ये सब आपकी अच्छी सोच, आपके अच्छे कर्मों से भगवान ने आज आपको दूसरी जिंदगी दी है। डाइट प्राचार्य जी को भी पता चला उन्होंने हमें अपने ऑफिस में बुलाया। हमारे चेहरे को देखा और उन्होंने

 बोला कि बेटा तुम तो बिल्कुल देवी हो| ऐसी परिस्थिति में से भी निकल कर आई हो। तुम्हें बहुत कुछ करना है और आने वाले समय में आपकी बहुत पहचान होगी। हमें उनका यह वाक्य हमेशा याद रहता है और कुछ अच्छा करने के लिए प्रेरित करता

 है। जी हाँ ! अभी बहुत कुछ करना है बाकी क्योंकि प्रभु की बख्शी जिंदगी का कुछ तो मक़सद है।


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