जल का महत्व
जल का महत्व
कितना पावन कितना निर्मल,
प्रकृति ने जल है दिया।
दो गैस के योगिक से,
देखो सारा जग है बना।
अपने गुणों के कारण तो,
देखो यह देवता बना।।
इसको दूषित करके हमने,
क्यों पापों को मोल लिया।
कितना पावन कितना निर्मल,
प्रकृति ने जल है दिया।
इससे ही नदिया सारी,
इससे ही झीलें प्यारी।
पहाड़ों से झरने गिरते,
सबके मनों को हैं हरते।|
सागर के पानी से बनकर,
सारे जहां को साल्ट मिला।
कितना पावन कितना निर्मल,
प्रकृति ने जल है दिया।|
इसके बिना ना कोई फसल,
इसके बिना ना कोई जंगल।
इससे ही उद्योग खड़े ,
जीवन में सुख भी तो बढे।
इसे ही तो मानव ने,
जीवन में विकास किया।|
कितना पावन कितना निर्मल,
प्रकृति ने जल है दिया।
जल के मूल्य को जानो,
इसको मत बर्बाद करो।
इसके गुणों को पहचानो,
इसको अब ना दूषित करो।
इससे ही तो जीव जगत,
का जीवन जीवंत।|
कितना पावन कितना निर्मल,
प्रकृति ने जल है दिया।