कुछ अनसुलझे रहस्य
कुछ अनसुलझे रहस्य


हमारे देश में ऐसे अनेक अनसुलझे रहस्य हैं जिन्हें विज्ञान भी सुलझाने में असफल है। ऐसे ही है आंध्र प्रदेश के कुरनूल ज़िले में स्थित है यागंती उमा महेश्वर मंदिर जहां मौजूद नंदी की प्रतिमा लगातार विशालकाय होती जा रही है।नंदी के बढ़ते कद को लेकर लोगों का ऐसा मानना है कि एक दिन ऐसा आएगा जब नंदी जीवित हो उठेंगे , महाप्रलय आएगा और कलयुग का अंत हो जाएगा।
पुरातत्व विभाग की शोध से पता चला है कि इस मूर्ति को बनाने में जिस पत्थर का प्रयोग किया गया था उस पत्थर की प्रकृति बढ़नेवाली है। इसी कारण से मूर्ति का आकार बढ़ रहा है। नंदी के लगातार बढ़ते आकार के चलते अब यहां परिक्रमा करना संभव नहीं है।इस समस्या को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने यहां से एक स्तम्भ को भी हटा दिया है।
इस मंदिर का निर्माण 15वीं शताब्दी में संगमा राजवंश के राजा हरिहर बुक्का ने करवाया था। माना जाता है कि ऋषि अगस्त्य इस स्थान पर भगवान वेंकटेश्वर का मंदिर बनाना चाहते थे पर मंदिर में मूर्ति की स्थापना के समय मूर्ति के पैर के अं
गूठे का नाखून टूट गया। मूर्ति के इस तरह खंडित होने का कारण जानने के लिए ऋषि अगस्त्य ने भगवान शिव की तपस्या की।भगवान शिव ने प्रसन्न होकर आशीर्वाद दिया और अन्ततः अगस्त्य ऋषि ने उमा महेश्वर और नंदी की स्थापना की।
मंदिर परिसर में एक छोटा सा तालाब है जिसे पुष्करिणी कहा जाता है। इस पुष्करिणी में नंदी के मुख से अनवरत रूप से जल गिरता रहता है। अनेक प्रयासों के बाद भी आज तक इस जल के स्त्रोत का पता नही लग सका है।ऐसा विश्वास है कि ऋषि अगस्त्य ने पुष्करिणी में स्नान कर भगवान शिव की आराधना की थी,यह उसी का प्रताप है।
एक और आश्चर्य में डालने वाली बात है कि मंदिर परिसर में कभी भी कौवे नही आते। ऐसी मान्यता है कि एक बार ऋषि अगस्त तपस्या कर रहे थे और कौवे विघ्न डाल रहे थे, इससे क्रुद्ध होकर ऋषि अगस्त्य ने कौवों को श्राप दिया कि वे कभी भी मंदिर प्रांगण में नही आ सकेंगे!
यह अभी भी शोध का विषय है कि क्या वाकई में पत्थरों की प्रकृति की वजह से नंदी की प्रतिमा बढ़ रही है या फिर इसके पीछे कोई रहस्य है।