Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Drama

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Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Drama

क्षमा वीरस्य भूषणम

क्षमा वीरस्य भूषणम

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रामपुर गांव में राम औऱ श्याम नाम के दो मित्र रहते थे। राम गरीब और एक पैर से दिव्यांग लड़का था। श्याम एक अमीर लड़का था। राम और श्याम एक ही कक्षा में पढ़ते थे। उन दोनों में बहुत गहरी दोस्ती थी। श्याम हमेशा राम का हौंसला बढ़ाया करता था। राम कक्षा में सबसे होशियार लड़का था। वह पढ़ाई के साथ एक अच्छा लेखक भी था। उसकी कविताएं अखबारों में आती रहती है। श्याम अक़्सर उसकी तारीफ किया करता था।

श्याम को उसकी कविता हौंसले से उड़ान बहुत अच्छी लगती थी। उन्ही की कक्षा में कालू नाम का लड़का पढ़ता था। वह राम से बहुत जलता था। वह रोज़ाना उसे बहुत परेशान किया करता था। एकदिन सर सबका होम वर्क चेक कर थे। कालू के होम वर्क पूरा नही हो रहा था। उसकी उस दिन बहुत पिटाई हुई। उसे लगा की राम ने सर को होमवर्क चेक करने के लिये कहा। उसने इसके लिये राम से बदला लेने की सोची।

एकदिन राम पढ़कर घर पर जा रहा था,कालू झूठ बोला की उसे श्याम अपने खेत पर बुला रहा है। राम उसकी बात सच मानकर श्याम के खेत की ओर चल दिया। कालू ने राम को गिराने के लिये एक गड्ढे को फूल पतो से ढक रखा था। राम को पता नही चला और वह उसमे गिर गया। वह बड़ा दुखी हुआ। पर उसे अपने दोस्त श्याम की बाते याद आई,दोस्त तू पैर से दिव्यांग है,मन से नही। उड़ान वैसे भी परो से नही हौंसलो से होती है।

राम ने सोचना शुरू किया। उसे एक लंबी लकड़ी दिखाई दी। उसने अपनी शर्ट उतारकर उस लकड़ी से लपेटकर बाहर से गड्ढे के अंदर होने के संकेत देना शुरू किया। कुछ समय बाद श्याम के खेत की देखरेख करनेवाला बालू उधर से निकला। उसकी नज़र शर्ट लगी हुई लकड़ी पर पड़ी। वो वहां गया उसने राम को गड्ढे में देखा। रस्सी की सहायता से राम को बाहर निकाला। राम ने सारी कहानी बालू को बताई।

बालू ने ये कहानी श्याम को बताई। श्याम को कालू को बहुत गुस्सा आया। श्याम,राम को साथ लेकर कालू के घर गया। कालू उनदोनों को देखकर डर गया। श्याम,कालू के माता-पिता से उसकी शिकायत करनेवाला ही था, पर उसे राम ने इशारे से मना कर दिया। कालू ये सब देख रहा था। वो राम से रोते हुए माफी मांगने लगा। राम ने उसे माफ कर दिया। राम ने कहा,मेरे मन मे तुम्हारे प्रति कोई गलत भावना नही है। मेरी लड़ाई तुम्हारे अंदर की बुराई से थी,जो अब खत्म हो चुकी है। तभी श्याम बोला,क्षमा वीरस्य भूषनम। कालू ने भी कहा सही है। ताक़तवर वो नही है,जिसके पास पैसा है या बाहुबल है। ताकतवर वो है जिसमें अपने विरोधी को भी क्षमा करने शक्ति है।


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