कसक
कसक
पति-पत्नी के रिश्ते बहुत ही अहम होते हैं, अगर इन में ज़रा सी दरार पड़ जाए तो कब विकराल रूप धारण कर लें और ज़िन्दगी भर 'कसक'रह जाती है कि काश हम ये कह पाते, ऐसे ही मेरी पड़ोस में रहने वाली मिसेज मिश्रा की कहानी मुझे रह-रह कर झकझोर देती है।
आज मिश्रा जी आए हुए थे, हमारी मुलाक़ात कम ही होती थी भाभीजी को मिश्रा जी ने बच्चों की पढ़ाई की वजह से बड़े शहर में शिफ्ट कर रखा था, मिश्रा जी सब-इंजीनियर थे किसी छोटे डिस्ट्रिक्ट में। बच्चे तीनों सुधीर, रिशी और रिया पढ़ते थे।
मिश्रा जी जब भी आते त्योहार वगैरह पर हमें लगता अच्छी ख़ुशहाल फेमिली है बच्चों की पढ़ाई का बहुत ध्यान रखते हैं।
एक दिन हमें उनके घर से झगड़े की आवाज़ें आई, सोचा मिश्रा जी और उनके रिश्तेदार आए हुए होंगे मगर कुछ ही देर बाद मिश्रा जी बड़े गुस्से में गाड़ी ड्राइव करते हुए घर के सामने से निकले।
हम सब अपने घऱ में बिजी हो गए मगर कुछ ही घंटों बाद मिश्रा जी का एक्सीडेंट हो गया और वो स्पॉट पर ही ख़त्म हो गए।
उनकी बीवी रो-रो कर बता रही थी कि मुझे क्या पता था कि आप यूं रुठकर जाओगे कभी न आने के लिए ..।
अरे ऐसे भी कोई अपनी पत्नी और बच्चों से रुठता है क्या....
बीवी बार-बार बेहोश हो रही थी उनका रो-रोकर बुरा हाल था, बस मिश्रा जी से एक बार तो माफी मांग लेती ...
दिल में ये कसक लेकर कि मैं क्यों झगड़ा कर बैठी क्यों मैंने इतने कड़वे शब्द बोले कि वो गुस्से में घर से गाड़ी लेकर चले गए।
मिश्रा जी को गाड़ी ड्राइव करना अच्छे से नहीं आता था ,हमेशा ड्राइवर को ही साथ रखते थे,, मगर.....।
कहावत हे ना "अब पछतावत होत क्य ?
जब चिड़िया चुग गई खेत"
फिर कुछ समय बाद मिसेज़ मिश्रा वापस बच्चों को लेकर अपने गांव यू.पी .चली गई ..
जितने दिन हमारे पड़ोस में रही हम लोग सब उनको बहुत समझाते आप बच्चों की तरफ देखो उनका क्या होगा ..लेकिन बस उनकी यही तड़प या मन में कसक थी "काश" मैंने उनसे इतने बुरा न बोला होता...।
हमने एक चीज़ सीखीं, ये जो ज़िन्दगी दी है ईश्वर ने बहुत ख़ुबसूरत है " इसे प्यार-मोहब्बत से गुज़ार लें....।