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कश्मकश [ भाग 9 ]

कश्मकश [ भाग 9 ]

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सहगल को अपने किए पर पश्चाताप होता है और वह रोहित को उसका हक दे देता है। सहगल की मौत सिंगापुर मे ही हो जाती है और वह अपनी कंपनी और सारी संपत्ति रोहित के नाम कर देता है। पिछले दस सालो मे रोहित के अथक परिश्रम ने सहगल की कंपनी को सफलता के शिखर पर पँहुचा दिया। असीम दौलत और शोहरत का स्वामी था अब वह।

एक दिन वह अपनी विदेशी कार मे आॅफिस के लिए निकला। उसकी कार ट्रैफिक सिग्नल पर रुक गयी। उसने कार की खिड़की से बाहर देखा। सड़क के दोनो ओर पैदल चलने वालो की भीड़ थी।

अचानक भीड़ मे उसे एक चेहरा नज़र आया जो उसे बहुत जाना पहचाना लगा। फिर अगले ही पल वह भीड़ मे कहीं गुम हो गया। रोहित कार से उतरकर उस ओर दौड़े पर वहाँ कोई भी नही था।

देर रात वह घर पँहुचा तो वह थक कर चूर हो चुका था। जल्दी से नहा कर उसने अपना गाउन पहना और बिस्तर पर लेटते ही उसकी आँख लग गयी। सिरहाने रखे फोन की आवाज़ ने उसे जगा दिया। रात के दो बज चुके थे। उसने रिसीवर उठाया और ऊँघते हुए कहा,

"हेलो ?"

"न.. ही...मेरे साथ ऐसा मत करो....मुझे जाने दो।"

- फोन पर एक लड़की के करुण विलाप ने उसकी नींद उड़ा दी।

"हेलो..कौन है ?"

"आआहहह..."

फिर फोन कट कर दिया गया।

रोहित सोच मे पड़ गया - क्या वह कोई रॉन्ग नम्बर था या किसी की शरारत। बहुत कोशिश करने पर भी उसे नींद न आयी। वह बगीचे मे जाकर बैठ गया। तभ

ी सन्नाटे को चीरता हुआ वही रुदन उसे सुनायी दिया।

"न...हीही... मेरे पास मत आना।"

रोहित दौड़ कर गया और अपनी पिस्तोल ले आया। उसने चारो तरफ देखा पर कोई नही था। गेट के पास वाली दीवार के पास से उसे एक टेपरिकाॅडर मिला और टेप मिला। उसने फौरन अपने सेक्यूरिटी चीफ अनुराग सेन को फोन किया। अनुराग रोहित का घनिष्ठ मित्र भी था।

"तुम चिन्ता मत करो। मेरे एजेन्ट्स कल शाम तक सब पता कर लेंगे।"

"कल शाम मुझे ब्लू पेलेस जाना है। एक पार्टी है। उसके बाद तुम घर आ जाना अनु।"

"ओके।"

रोहित को क्या पता था कि उसका फोन भी टेप हो रहा था !

ब्लू पेलेस शहर का सबसे मँहगा होटल था। पार्टी अपने पूरे शबाब पर थी और रोहित अन्य मेहमानो के साथ बातचीत कर रहा था।

तभी एक वेटर ने उसके पास आकर कहा,

"सर, पार्किंग लाॅट में आपका कोई इन्तज़ार कर रहा है।"

रोहित को लगा अनु होगा। वह जल्दी से वहाँ पँहुचा पर वहाँ कोई न था। तभी किसी ने उस पर पीछे से वार किया। वह मुँह के बल ज़मीन पर गिर गया।

इससे पहले की वह उठ पाता किसी ने पीछे से उसे अपनी गिरफ्त मे ले लिया और कपड़े से उसका मुँह बंद कर दिया। रोहित की ओर से कोई भी प्रतिक्रिया होने से पूर्व ही उस कपड़े मे लिप्त द्रव ने उसे बेहोश कर दिया।

किन्तु इस हड़बड़ी मे भी रोहित का ध्यान इस ओर अवश्य गया कि वे हाथ अत्यन्त कोमल थे।


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