कश्मकश भाग - 15
कश्मकश भाग - 15
रिया ने जब आँखें खोली तो रोहित को सिरहाने बैठे पाया। वह हसरत भरी निगाहों से रिया को देख रहा था। रिया आक्रोश से भर गयी और बिस्तर से उठने लगी। पर रोहित ने उसे पकड़ लिया और उसे बलपूर्वक फिर से लिटा दिया।
"जाने दो मुझे," रिया झटपटायी।
"तुम जैसा समझ रही हो रिया, वैसा नहीं है।" रोहित ने उसके हाथ कसकर जकड़ लिए और प्यार से उसके होठों को चूम लिया। "हाँ यह सच है कि तुम्हारे पिता से बदला लेने के लिए ही मैने तुम्हें अगवे किया था पर तुमसे मैं कभी नफरत नहीं कर पाया। जो दिन हमने साथ गुजारे, उन दिनों में तुमसे लड़ते झगड़ते तुमसे मैं प्यार कर बैठा। जिसे तुम बलात्कार कह रही हो वो भी मेरा प्यार ही था जो अचानक बेकाबू हो गया था।"
रोहित ने रिया को बाँहो मे कस लिया और कई बार चुम्बित किया। रिया का गुस्सा शान्त हो गया। उसने रोहित की आँखो में देखा। उनमे उसे अपने लिए बेइन्तहा प्यार नजर आया।
"तुम सच कह रहे हो?" रिया ने एकटक रोहित को देखते हुए पूछा।
"अगर प्यार न करता तो इतने साल तुम्हारा इंतजार न करता। अब मुझे और न तड़पाओ रिया। मै अपनी बेटी को देखने के लिए तरस रहा हूँ। अब ये नफरत का खेल बंद कर देते हैं मुझसे शादी कर लो, रिया। फिर हमारी बेटी के साथ हम एक नया जीवन शुरू करते हैं, मै तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ और अपनी बेटी को भी जिसे मैनें आज तक नहीं देखा।"
रिया को रोहित की आँखो मे सच्चाई नजर आ रही थी।
"ओह रोहित!" रिया की आँखे भर आई।
रोहित ने उसके आँसू पोछे और प्यार से चुम्बन देने लगा। रिया ने रोहित को अपने आगोश मे ले लिया। आज उन दो प्रेमियों के आस-पास बस प्यार ही प्यार था। आज उनके मिलन की रात थी। वे दोनो एक दूसरे मे लीन होकर एक हो गए।