कश्मकश [ भाग 12 ]

कश्मकश [ भाग 12 ]

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"मैडम रूपा की गैंग के लोग थे वो।"

अनुराग रोहित को उस पर हमला करने वालो के बारे में जानकारी दे रहा था।

"हमें सही समय पर उनके ठिकाने का पता लग गया इसलिए हमने आकर तुम्हे बचा लिया।"

"काश तुम नही आते।"

"क्या !"

"मुझे रिया से बहुत कुछ कहना था।"

"बहुत खतरनाक लोग हैं वो...ज़रा संभल कर रहना।"

"रिया उस गैंग में कैसे पहुंची ?"

"ये तो नही पता। मैडम रूपा के कई रूप है। एक रूप समाजसेविका का है। वो बेसहारा औरतो के लिए आश्रम चलाती है जिसकी देख - रेख रिया करती है। दूसरा रूप बिज़नस वूमन का है जिसका हीरो का कारोबार है। पर उसकी आड़ मे हीरो की तस्करी होती है। यही मैडम का असली रूप है।"

"रिया पर नज़र रखो। और ऐसा मौका ढूढ़ो कि जब वो अकेली मिल जाए। मुझे उससे हर हाल मे मिलना है। और पता करो की उसकी..."

- रोहित कहते - कहते रुक गया और फ़िर एक लम्बी साँस भर कर बोला,

"हमारी बेटी कहाँ है ?"

"पर उसने तो कहा कि उसने एबॉर्शन करा लिया था।"

"ये झूठ है।"

- रोहित ने पूरे विश्वास के साथ कहा।

"पर ये तुम कैसे कह सकते हो ?"

"उसने कहा कि उसने 'बच्ची' को मार डाला। उसे कैसे पता कि बेटी ही थी ? वो झूठ बोल रही है। मैं रिया को अच्छी तरह जानता हूँ। तुम्हें तो बताया था न मैने कि दस साल पहले उसे किडनैप किया था मैने। एक बार मेरे चँगुल से भागने के लिए उसने मेरा हाथ ज़ोर से काटा। मेरे हाथ से ख़ून निकलने लगा। ये देखकर उसकी आँखे भर आई और उसने अपने रूमाल से मेरे हाथ पर पट्टी कर दी। ऐसी रिया अपने बच्चे को नही मार सकती।"

"पर अब वह काफ़ी बदल चुकी है। मैडम रूपा की संगत का असर लगता है।"

"चाहे वो कितनी भी बदल जाए मेरे लिए वो वही पुरानी रिया ही रहेगी...मेरी रिया।"

रोहित को पुरानी बातें याद आ गयी और उसने आँखें बंद कर ली मानो उन यादो को कैद कर लेना चाहता हो। कुछ देर बाद वह बोला -

"मुझे उससे मिलना ही है।"

"मैडम रूपा का गिरोह उसे हर वक्त कड़ी सुरक्षा देता है। उनको चकमा देकर रिया को निकालना आसान न होगा।"

"मुझे उससे हर हाल मे मिलना ही है, अनु !"

- रोहित ने ठण्डी आह भर कर कहा,

"चाहे इसके लिए उसे फ़िर से किडनैप ही क्यूँ न करना पड़े !"


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