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कश्मकश [ भाग 11 ]

कश्मकश [ भाग 11 ]

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"क्या रोहित सच कह रहा था ?"

- रिया सोच में पड़ गयी।

कल तक रोहित का नाम भी उसके मन में घृणा और वेदना पैदा कर देते थे। पर कल रात रोहित ने जो कुछ कहा वह बार - बार रिया के कानों में गूँज रहा था।

रोहित की आँखो में वो पीड़ा थी कि जो पत्थर को भी पिघला दे।

"क्या वह सचमुच मुझसे...?"

रिया ने अपने भयानक अतीत से जुड़ी हर याद मिटा दी थी।

वह तानिया को इस डर से खुद से दूर रखती थी कि कहीं उसका अतीत तानिया के भविष्य पर हावी न हो जाए।

उसने तानिया का दाखिला शिमला के बोर्डिंग स्कूल में करा दिया और उसे कसम दे दी कि वह कभी अपने पिता के बारे में न पूछे।

गर्मी की छुट्टियों में वह शिमला जाती और तानिया के साथ वक्त बिताती।

जब उसे पता चला कि रोहित का अंश उसके पेट में पल रहा है तो उसे स्वयं से ही घृणा हो गयी।

परन्तु मैडम रूपा का मानना था कि रिया के साथ जो हुआ उसकी वजह से एक निर्दोष की बलि देना पाप है।

मैडम का दिल रखने के लिए रिया ने उस बच्चे को जन्म देने का फैसला किया। पर जब तानिया को उसने पहली बार देखा तो उसकी आँखें ममता से भर आई। तानिया का चेहरा बिल्कुल रिया की तरह था पर उसकी आँखे रोहित की वही दो मासूम आँखे थी।

रिया को वो दिन याद आ गये जब रोहित ने उसे बंदी बना कर रखा था। रिया पहले ही दिन समझ गयी थी कि रोहित बड़ा ही मासूम और भोला - भाला है। वह रोहित को उल्लू बनाने का कोई मौका नही छोड़ती थी।

एक रात जब वह रिया को इन्जेक्शन दे रहा था तो रिया ज़ोर से चिल्लायी जैसे कि उसे सुई बहुत ज़ोर चुभ गयी हो।

"ओह..."

रोहित हड़बड़ाकर बोला,

"बहुत ज़ोर से लग गयी क्या ?"

इस पर रिया ने उसे खूब खरी - खोटी सुनाई।

"इस बार माफ़ कर दो। अगली बार से ध्यान रखूँगा।"

रोहित को बड़ी ही दीनता से क्षमा याचना करते देख नटखट रिया मन ही मन मुस्कायी।

रोहित वहीं कुर्सी लेकर बैठ गया और उसकी बाँह सहलाने लगा। थोड़ी देर मे रिया को नींद आ गयी। अगले दिन सुबह रिया की आँख खुली तो देखा रोहित उसी कुर्सी पर उसकी बाँह अपने हाथ में लिए सोया हुआ था।

"शायद भोलूराम सारी रात मेरी बाँह ही मलते रहे होंगे।"

रिया ने मन में सोचा और उसे हँसी आ गयी।

तभी शरारत का कीड़ा फ़िर उसके दिमाग मे कुलबुलाया। वह ज़ोर से चीखी और रोहित हड़बड़ाकर नींद से जागा।

"तुम मेरे कमरे में क्या कर रहे हो ?"

- रिया ने उसे घूरते हुए पूछा,

"मुझे बेहोश करके मेरा फायदा उठाने की सोच रहे थे ?"

"मैं...मैं... ऐ...ऐसा नही हूँ।"

रिया का आरोपण सुन रोहित डर के मारे हकलाने लगा।

"वो...तो तुम्हारी बाँह में दर्द हो रहा था इसलिए..."

"रहने दो, मैं खूब सम

झती हूँ। एक बार यहाँ से निकल जाऊं फिर तुम्हे हवालात की हवा न खिलायी न तो मेरा भी नाम रिया नही।"

"भलायी का तो ज़माना ही नही रहा।"

- कहता हुआ रोहित अपनी जान बचाकर रिया के कमरे से भागा। उसकी मासूमियत पर रिया हँसते - हँसते लोट - पोट हो गयी।

कहने को रोहित उसे बंदी बनाकर लाया पर मेहमान की तरह उसकी सेवा करता था। कभी कोई कष्ट नही होने देता। रिया अक्सर ये सोच कर मन ही मन मुस्कुराती थी कि -

''ऐसा किडनैपर तो चिराग लेकर ढूँढने से भी न मिलेगा।''

उम्र में वो रिया से बड़ा ज़रूर था पर रिया उसे अपनी उँगलियों पर नचाती थी। धीरे - धीरे रोहित से दोस्ती - सी हो गयी थी उसकी। एक दिन जब रोहित उसके हाथ पीछे बाँध रहा था तो उसकी चुनरी उसके कन्धे से सरक कर ज़मीन पर गिर गयी।

रोहित ने चुनरी उठा कर उसे दी और कहा -

"पहन लो।"

"कैसे ? मेरे हाथ तो बँधे है, तुम ही पहना दो।"

रोहित का चेहरा शर्म से लाल हो गया। उसने आँख बंद करके चुनरी पहनायी और भाग खड़ा हुआ। उसी शाम रिया ने उसे बाॅस से कहते सुना -

"बाॅस ! उस लड़की की देख - रेख के लिए किसी औरत को रख लें ?"

"नहीं। किसी और पर भरोसा नही है मुझे।"

हालांकि, बाॅस को भी पता था कि रिया की वजह से रोहित को क्या - क्या पापड़ बेलने पड़ते थे, फ़िर भी वे बोले,

"तुम्हे उससे इतनी तकलीफ क्यूँ है ? बच्ची ही तो है कोई खूँखार शेरनी तो नही।"

"क्या बताऊं बाॅस, उसके आगे तो खूँखार शेरनी भी बच्ची है।"

ये सुनकर बाॅस खिलखिलाकर हँस पड़े और रिया को भी हँसी आ गयी।

पुरानी बाते याद करते - करते अचानक उसे अपनी वो दर्दनाक चीखें सुनाई देने लगी और उसके चेहरे का रंग उतर गया। वह सोच में पड़ गई -

''ऐसे सीधे और सच्चे रोहित को उस रात क्या हो गया था ?''

उस दिन टापू पर कुछ लोगों को देखा गया था।

क्या रोहित सचमुच डर गया था कि कोई रिया को उससे अलग कर देगा ?

वर्ना रोहित ने तो कभी उसके साथ कोई गलत हरकत नही की। हर रात उसे बेहोश रखा जाता था ऐसी हालत मे वो आसानी से उस पर काबू कर सकता था।

फ़िर उस रात ऐसा क्या हुआ जिसने रोहित को दरिन्दा बना दिया ? शायद उस रात उसने रोहित के कुछ पुराने ज़ख्म ताज़ा कर दिये थे। उन तारो को छेड़ दिया था जो रोहित को बहुत पीड़ा देते थे।

रिया को वो दिन याद आ गया जब रोहित उसे पुराने बँगले ले आया था। बँगले के पास जंगल मे कुछ लोगो को देख कर उनका ध्यान खीचने के लिए वह चिल्लायी और रोहित ने उसका मुँह बंद रखने के लिए...

उसे रोहित के होठो का वो उष्मल स्पर्श याद आया और उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा। उसने अपने आप से पूछा -

"लड़ते - झगड़ते क्या रोहित सचमुच उससे प्यार कर बैठा था ?"


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