कश्मकश [ भाग 7 ]

कश्मकश [ भाग 7 ]

4 mins
7.4K


 "मैडम रूपा..."

हसीना बानो हड़बड़ाती हुई मैडम के कक्ष में दाखिल हुई। मैडम की उम्र कुछ चालीस - पैंतालीस साल की होगी। वे योगा कर रही थी। योगा मे विघ्न डालने के दण्ड स्वरूप मैडम ने उसे ज़रा क्रूर दृष्टि से देखा। हसीना ने फ़ौरन नज़रें झुका ली और धीरे से बोली,

"वो... कुछ मछुआरे एक लड़की को ले आए हैं।"

फ़िर कुछ मिनट बाद हिचकिचाते हुए बोली,

"लड़की की हालत कुछ ठीक नहीं लगती... देखकर ऐसा लगता है मानो किसी नीच की वासना की चक्की में पिसकर अधमरी हो गयी है।"

मैडम ने हाथ के ईशारे से उसे चुप रहने का आदेश दिया।

"कहाँ है वो ?"

- मैडम ने खड़े होकर पूछा।

हसीना मैडम को नीचे के बेडरूम में ले गयी। आलीशान कक्ष के बीचोंबीच एक बड़ा - सा पलंग था जिस पर रिया बेहोश पड़ी थी।

"डाॅक्टर साहिबा बस अभी - अभी देखकर गयी हैं। कुछ दवाइयां लिख कर दीं हैं। कह रहीं थी कि इसके ज़ख्मों को देखकर लगता है कि बहुत ही बेरहमी से बार - बार अत्याचार किया गया है इस पर। रेप के बाद पानी में फेंककर हत्या करने का इरादा था।"

मैडम पलंग पर बैठ गयी और रिया के बालों को सहलाते हुए बोली,

"कितनी सुंदर है !"

मैडम के मन में रिया के लिए ममता का सागर उमड़ रहा था।

"सत्रह - अठारह साल से ज़्यादा की न होगी। शायद इसका सौंदर्य ही इसका दुश्मन बन गया है।"

हसीना के लिए ये कोई नयी बात न थी। मैडम के दर पर आए दिन ऐसे हादसों की शिकार लड़कियों को लाया जाता था। उनमें से कुछ की हालत तो रिया से भी बुरी होती थी। अब तो उसे आदत - सी हो गयी थी ऐसी दारूण अवस्था में पड़ी किशोरियों की।

वैसे अगर पेशे की बात की जाए तो मैडम स्मग्लर थी। पर रोबिन हुड के सिद्धांतों पर चलने वाली थी। कभी किसी लाचार के साथ न अन्याय करती थी न होने देती थी।

"किसी को भेजकर इसकी दवाइयां मँगवालो।"

मैडम ने आज्ञा दी,

"मेरी चाय यहीं भिजवा दो। मैं थोड़ी देर इसके पास रहूँगी।"

आजकल मैडम का ज़्यादातर समय रिया के साथ ही गुज़रता था। यूं तो उसकी उत्तेजना को शान्त करने के लिए उसे अक्सर दवाइयां देकर बेहोश ही रखा जाता था। किन्तु जब भी उसे होश आता तो उसके साथ हुए उस घिनौने हादसे की भयानक यादें उसे फ़िर से अपना शिकार बना लेती।

"नहीं...छोड़ दो मुझे...आआहह..."

रिया की चीख सुनकर मैडम उसके पास दौड़ी चली आई।

रात को अक्सर रिया को इस प्रकार पेनिक अटैक्स आते थे। डाॅक्टर ने मैडम को बताया था कि रेप का शिकार हुई लड़कियों में ये एक आम बात है। इस कारण मैडम रात को रिया के बगल के कमरे में ही रहती।

उन्होंने काँपती हुई रिया को अपनी बाहों में भर लिया। पर रिया को उनके चेहरे में रोहित का वहशी चेहरा नज़र आया। वह सहम गयी और रोते हुए बोली,

"न..ही...मेरे साथ ऐसा मत करो...मुझे जाने दो।"

मैडम ने उसे सांत्वना देने के लिए गले से लगा लिया। पर रिया को लगा ये रोहित के हाथ हैं जो उसके तन को मलिन कर रहें है। वो फूट - फूटकर रोने लगी।

"मत रो बिटिया...मैं हूँ न तेरे साथ... कोई तेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता।"

मैडम ने बड़े प्यार से उसे पुचकारते हुए कहा।

पर रिया को ऐसा लगा मानो रोहित आगे बढ़कर अपने दाँत उसके माँस में गाड़ रहा है।

"आहह...नहीं...मेरे पास मत आओ।"

वह पागलों की तरह चिल्लाने लगी।

मैडम ने रिया को शान्त करने के लिए उसे कसकर अपने सीने से लगा लिया। परन्तु उनके इस व्यवहार ने रिया को रोहित की ताकतवर भुजाओं द्वारा उसे बलपूर्वक आलिंगनबद्ध किए जाने का स्मरण करा दिया। उसे रतिसीमा की उस भीषण पीड़ा का आभास हुआ और वह कराह उठी -

"आआहहहह..."

कुछ क्षण पश्चात वो बेहोश होकर मैडम की गोद में गिर गयी।

मैडम ने उसे धीरे से पलंग पर लिटा दिया और उसके बिखरे बालों को सँवारने लगी। उसके माथे से पसीना पोछा और फ़िर लाईट बंद करके सोने चली गयी।

यह सिलसिला लगभग हर रात चलता रहता किन्तु मैडम बड़े ही स्नेह और धैर्य के साथ रिया की देख - रेख करती रहीं।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Crime