कर्तव्य
कर्तव्य
"तेरे को बोला था वह काम कर दिया तूने।" मुन्ना भाई ने सर्किट से फोन पर पूछा
"अरे भाई अपन छोकरे लोग उधर से ही आ रैले है, सारा हड्डी तोड़ दिया है उसका ....."
"ठीक है, ठीक है; जल्दी आओ फिर चिंकी के घर भी जाना है। उसके बाप से हिसाब किताब ठीक करना है......."
जल्दी ही वो सब चिंकी के घर पर थे।
"चिंकी तुमको शादी से मना करना था तो मना कर देती, मेरे पिताजी को सब सच बता कर उनको दुख क्यों दिया? हमारे बीच में दूरी क्यों पैदा कर दी। मुन्ना भाई ने चिंकी से गुस्से में कहा।
"माना बचपन में हम साथ खेले, साथ बड़े हुए; मुझे क्या पता था उसके बाद तुम गुंडा बन जाओगे, मुझे तो यह पता भी नहीं था कि तुम हमें धोखा दे रहे थे? तो ऐसे में मेरे पापा ने सच बता कर क्या बुरा किया?" चिंकी गुस्से से बोली।
"अब देखना चिंकी अपुन तेरे को डॉक्टर बनकर दिखाएगा, तुम्हारे मेडिकल कॉलेज में एडमिशन ले कर दिखाएगा......" गुस्से में बोल कर मुन्ना वहां से चला आया।
चिंकी मन ही मन सोचने लगी अब तो इसकी उम्र भी इतनी ज्यादा हो गई है, क्या ये अब इतनी पढ़ाई कर पाएगा कि डॉक्टर बन जाए। लेकिन फिर भी उसने कुछ सकारात्मक सोचा कि शायद मुन्ना इसे एक चैलेंज की तरह ले और मेहनत करके डॉक्टर बन जाए तो यह एक नेक काम हो जाएगा यह सोचकर चिंकी को सुकून सा मिला।
वह मुन्ना की बातो से बिलकुल नहीं समझ सकी थी वो किस तरीके से डॉक्टर बनने की बात कर रहा है।
"सर्किट कुछ भी करो, कोई भी जुगाड़ लगाओ मुझे उस डीन अस्थाना के मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेना है, मुझे डॉक्टर बनना है, अपने नाम के आगे डॉक्टर लगाना है। कैसे भी करके उसके लिए कुछ भी करना पड़े तुम करो।" मुन्ना बेचैनी से टहलते हुए बोला।
"अरे भाई तुम चिंता ना करो; तुम्हारी फर्जी नंबर वाली मार्कशीट हम बनवा कर देंगे ......" सर्किट बोला।
मुन्ना आगे की सोच विचार में था कि मार्कशीट तो बन जाएगी लेकिन मेडिकल कॉलेज में एडमिशन कैसे होगा उसके लिए तो एग्जाम देना ही पड़ेगा; कोई जुगाड़ उसका भी करना पड़ेगा।
खैर हमारे समाज में गुंडों के लिए जुगाड़ करना कोई मुश्किल तो है नहीं; मार्कशीट भी बन गई।
"अरे भाई अपन ने सब पता कर लिया है; एक डॉक्टर है ना उसने एम. बी. बी. एस. में टॉप किया था, उसको आपकी एग्जाम में बैठा देंगे, फिर आपका एडमिशन होने से कोई नहीं रोक सकता......" सर्किट बड़े उत्साह से बोला।
"लेकिन वह मान जाएगा क्या?" मुन्ना ने पूछा।
"भाई मनाना पड़ेगा, डराकर धमका के मनाना पड़ेगा उसको....."
पूरे लाव लश्कर के साथ मुन्ना और सर्किट की टोली पहुंच गई उस डॉक्टर के घर डॉक्टर के बूढ़े पिता को घर में नजरबंद कर लिया डॉक्टर को मुन्ना की जगह जाम देने भेज दिया।
"अगर तूने कोई भी गलती की या किसी को बताया तो तेरा यह बाप है ना जान से जाएगा; समझ गया ना बे डॉक्टर......" "सर्किट ने धमकाया।
डॉक्टर घबराया डरा सा एग्जामिनेशन हॉल तक पहुंच गया लेकिन उसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था कि उसके एग्जाम देने से अगर मुन्ना का एडमिशन हो गया तो न जाने कितने लोगों की जान खतरे में जाएगी और शिक्षा व्यवस्था के साथ खिलवाड़ होगा; जो उसको बर्दाश्त नहीं था। लेकिन पिता का प्यार पिता के जान की उसको बहुत चिंता हो रही थी।
इतना सहा नहीं गया यह सब वह कॉपी पेन पटक के बहुत तेजी से बाहर निकल गया और सरपट भागा; बाहर उसको देखकर मुन्ना के चमचे भी उसके पीछे पीछे भागे वह कुछ समझ पाते उससे पहले ही वह एक ऑटो रिक्शा में बैठकर सीधा पुलिस स्टेशन पहुंच गया। उसने अपने पिता की जान की परवाह नहीं की और समाज के प्रति अपना कर्तव्य निभाया शिक्षा व्यवस्था के प्रति अपना कर्तव्य निभाया।