कर्फ्यू का दूसरा दिन
कर्फ्यू का दूसरा दिन


आज तो सोते-सोते 4:00 बज गए चलो मैं उठ जाती हूं बहुत देर हो गई मन किया थोड़ा सा बाहर जाकर बालकनी से देखा जाए बहुत बेचैन है दिल,
थोड़ी देर बस में अपनी बालकनी में जाकर खड़ी हो गई देखा ,तो कुछ मुसाफिर पैदल-पैदल अपने बच्चों के साथ सड़क पर चल रहे थे। मैंनेसोचा कि इनसे पूछूं कि क्या यह पानी पीएंगेभी नहीं लेकिन पता नहीं कहीं ऐसा नहीं कि यह मना कर दे फिर दिल नहीं माना सोचा पूछ लेती हूं।
पता नहीं इनके पास पानी होगा भी या नहीं या इनको पानी मिला भी होगा या नहीं मैंने ऊपर से आवाज दी और पूछा पानी पीना है क्या ।बो लोग बोले है पीना है मैंने रुकने के लिए बोला फिर मेरे घर पर उस समय जो भी था।
मैंने उन्हें नीचे जाकर दे दिया तो करीब 6 साल की बच्ची मेरे पास आई तो मैंने उससे पूछा बेटा तुम कहां से आ रहे हो। उसने कहा हम पलवल से आ रहे हैं लेकिन वह छोटी सी बच्ची भी जानती थी कि यह कोरोनावायरस एक बहुत बड़ी बीमारी है क्योंकि उसने भी अपने मुंह पर मास्क लगा रखा था।