कर्म का सिद्धांत
कर्म का सिद्धांत
कहानी है कि अकबर एक दिन गुस्से में आ गया। कुछ बीरबल ने ऐसी बात कह दी। कही तो थी मजाक में ही, लेकिन मजाक जरा गहरा हो गया कि अकबर ने आव देखा न ताव, एक चांटा बीरबल को रसीद कर दिया! बीरबल भी कोई चुप रह जाने वाला तो था नहीं, लेकिन अकबर को चांटा मारना तो महंगी बात हो जाए। सो उसने पास में खड़े एक दरबारी को और भी करारा चांटा मार दिया। दरबारी तो बहुत चौंका, उसने कहा, यह कैसा न्याय ? अकबर ने तुम्हें मारा, तुम मुझे क्यों मारते हो ?
बीरबल ने कहा, तू क्यों फिक्र करता है? अरे और किसी को तू मार ! चलने दे, कभी न कभी अकबर के पास पहुंच जाएगा। देता चल। आगे बढ़ाओ। रोकने की जरूरत नहीं है। पहुंच जाएगा अकबर तक, घबड़ाओ मत। दुनिया गोल है।
और हर चीज पहुंच जाती है--शायद आज नहीं तो कल, कल नहीं तो परसों। कर्म का सारा सिद्धांत इतना ही है कि हर चीज एक दिन तुम पर लौट आएगी। सोच-समझ कर देना..!