KUMAR अविनाश

Inspirational

3.5  

KUMAR अविनाश

Inspirational

तितली का संघर्ष

तितली का संघर्ष

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एक बार एक आदमी को अपने बगीचे में टहलते हुए टहनी से लटकता हुआ तितली का एक कोकून दिखाई पड़ा। 


इसके बाद हर रोज़ वो उसे देखने लगा, और एक दिन उसने देखा कि उस कोकून में एक छोटा सा छेद बन गया है।


उस दिन वो वहीं बैठ गया और घंटो उसे देखता रहा, उसने देखा की तितली उस खोल से बाहर निकलने की बहुत कोशिश कर रही है, पर बहुत देर तक प्रयास करने के बाद भी वो उस छेद से नहीं निकल पायी, और फिर वो बिलकुल शांत हो गयी मानो उसने हार मान ली हो।


इस वाकये को देखकर उसने निश्चय किया कि वो उस तितली की मदद करेगा। उसने एक कैंची उठायी और कोकून के छेद को इतना बड़ा कर दिया की वो तितली आसानी से बाहर निकल सके। 


इसके बाद यही हुआ, तितली बिना किसी और संघर्ष के आसानी से बाहर निकल आई, पर उसका शरीर सूजा हुआ था, और पंख सूखे हुए थे।


वो आदमी तितली को ये सोच कर देखता रहा कि वो किसी भी वक़्त अपने पंख फैला कर उड़ने लगेगी, पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।


इसके उलट बेचारी तितली कभी उड़ ही नहीं पाई और उसे अपनी बाकी की ज़िन्दगी इधर-उधर घिसटते हुए बितानी पड़ी।


वो आदमी अपनी दया और जल्दबाजी में ये नहीं समझ पाया की दरअसल कोकून से निकलने की प्रक्रिया को प्रकृति ने इतना कठिन इसलिए बनाया है ताकि ऐसा करने से तितली के शरीर में मौजूद तरल उसके पंखों में पहुँच सके और वो छेद से बाहर निकलते ही उड़ सके।


वास्तव में कभी-कभी हमारे जीवन में संघर्ष ही वो चीज होती जिसकी हमें सचमुच आवश्यकता होती है। यदि हम बिना किसी मेहनत के सब कुछ पाने लगे तो हम भी एक अपंग के सामान हो जायेंगे।


बिना परिश्रम और संघर्ष के हम कभी उतने मजबूत नहीं बन सकते जितना हमारी क्षमता है, इसलिए जीवन में आने वाले कठिन पलों को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखिये वो आपको कुछ ऐसा सीखा जायेंगे जो आपकी ज़िन्दगी की उड़ान को सम्भव बना पायेंगे।


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