KUMAR अविनाश

Tragedy

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KUMAR अविनाश

Tragedy

क्षण भर का झगड़ा

क्षण भर का झगड़ा

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सुबह सुबह मियाँ बीवी के झगड़ा हो गया, बीवी गुस्से में बोली - बस, बहुत कर लिया बरदाश्त, अब एक मिनट भी तुम्हारे साथ नहीं रह सकती।

पति भी गुस्से में था, बोला "मैं भी तुम्हें झेलते झेलते तंग आ चुका हूँ।


पति गुस्से में ही दफ्तर चले गया पत्नी ने अपनी मां को फ़ोन किया और बताया के वो सब छोड़ छाड़ कर बच्चों समेत मायके आ रही है, अब और ज़्यादा नहीं रह सकती इस जहन्नुम में।


मां ने कहा - बेटी बहु बन के आराम से वही बैठ, तेरी बड़ी बहन भी अपने पति से लड़कर आई थी, और इसी ज़िद्द मे तलाक लेकर बैठी हुई है, अब तूने वही ड्रामा शुरू कर दिया है, ख़बरदार जो तूने इधर कदम भी रखा तो... सुलह कर ले पति से, वो इतना बुरा भी नहीं है।


मां ने लाल झंडी दिखाई तो बेटी के होश ठिकाने आ गए और वो फूट फूट कर रो दी, जब रोकर थकी तो दिल हल्का हो चुका था, 

पति के साथ लड़ाई का सीन सोचा तो अपनी खुद की भी काफ़ी गलतियां नज़र आई।


मुंह हाथ धोकर फ्रेश हुई और पति के पसंद की डीश बनाना शुरू कर दी, और साथ स्पेशल खीर भी बना ली, सोचा कि शाम को पति से माफ़ी मांग लुंगी, अपना घर फिर भी अपना ही होता है पति शाम को जब घर आया तो पत्नी ने उसका अच्छे से स्वागत किया, जैसे सुबह कुछ हुआ ही ना हो पति को भी हैरत हुई। खाना खाने के बाद पति जब खीर खा रहा था तो बोला डिअर, कभी कभार मैं भी ज़्यादती कर जाता हूँ, तुम दिल पर मत लिया करो, इंसान हूँ, गुस्सा आ ही जाता है"।


पति पत्नी का शुक्रिया अदा कर रहा था, और पत्नी दिल ही दिल में अपनी मां को दुआएं दे रही थी, जिसकी सख़्ती ने उसको अपना फैसला बदलने पर मजबूर किया था, वरना तो जज़्बाती फैसला घर तबाह कर देता।


अगर माँ-बाप अपनी शादीशुदा बेटी की हर जायज़ नाजायज़ बात को सपोर्ट करना बंद कर दे तो रिश्ते बच जाते है।

 Thakur sahab


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