AMIT SAGAR

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क्रिश - एक अनोखा सफर (!

क्रिश - एक अनोखा सफर (!

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मेरी दुनिया, मेरा देश, मेरा शहर, मेरा घर और मुझ पर ही तो सिमट कर नहीं रह जाती यह जिन्दगी। हार कर जितने वाले को बाजी़गर कहते हैं, पर दुनिया पर अपना सब कुछ लुटाने के बाद घुट - घुट कर जीने वाले को आप क्या कहेंगे। 

कुछ साधारण सी लाइनों के साथ हमारी कहानी शुरु होती है, पर हमारी इस कहानी का अन्त बहुत भयानक है। 


किसी पुरानी बस्ती के एक सुनसान रास्ते पर किसी कीड़े की तरह गन्दी नाली के पास पड़ा हुआ एक बदसूरत सा आदमी जिसको देखकर ऐसा लगता है कि उसकी बदसूरती पर कई किताबें लिखी जा सकती हैं। उसके दाँतो पर बीड़ी का धुआँ जमा हुआ है, चेहरे और हाथों पर मैल की पपड़ी सी जमी है, और बालो को देखकर तो ऐसा लगता है जैसे कई सालो से उन पर पानी की परछाई भी ना पड़ी हो, ऊपर से उसकी वो उबड़ खाबड़ दाढ़ी उसके कुरुप को और अधिक भयानक बना रही है। और उसकी हरकतें ऐसी कि सूअर को भी शर्म आ जाये। वो एक नाली के कि‌नारे पड़ा हुआ है, और वो अपने‌‌ दोनों हाथों से नाली के पानी को उछाल कर आते - जाते लोगों के ऊपर डाल रहा है। पर अचंभे की बात यह है कि इतना गैर जिम्मेदार आदमी जिसको अपने तन कि भी परवाह नहीं है वो किसी के काम भी आ सकता है, हाँ आ सकता है क्योंकि वो क्रिश है। 


दो पुलिस वाले क्रिश को ढूंढ रहे हैं, रास्ते में उन पुलिसवालों को एक बच्चा दिखता है। 

पुलिस वाला बच्चे से ( क्रिश का फोटो दिखाते हुए) - ए पउऐ किधर मिलेंगा यह गटर का किड़ा। 

बच्चा - पड़ा होइंगा किसी सड़ेली नाली के आजु- बाजु, अपुन उसका सक्रेटरी थोड़िच है।  

साला मुसीबत के वक्त सबको क्रिश ही मंगता है, पर जभी उसको मुसीबत आयी तो कोई उसका साथ नहीं दिया सब के सब कलुयग के हिन्दुस्तानी बन गये थे।

यह कहता हुआ बच्चा अपने रास्ते चला जाता है, और पुलिस वाले आगे बढ़ जाते हैं। और फिर कुछ ही दूरी पर क्रिश उन पुलिस वालों को मिल जाता है, क्रिश ठीक उसी हालत में उनको मिलता है जैसे कि बच्चे ने बताया था। 


क्रिश की ऐसी हालत देखकर वो आपस में बाते करते हैं - 

पुलिस 1 - अरे इतने बड़े साहब को आखिर इस नाली के कीड़े की क्या जरूरत पड़ गयी। 

पुलिस 2 - पक्का तो नहीं पता पर मुझे तो ऐसा लगता है, साहब को किसी बड़े केस में बली के बकरे की जरूरत है। ले जाकर कर डालेंगे साले का एनकाउन्टर, बाद में इसको कौन पूछने आने वाला है । 

यह कहकर दोनों हँसने लगते है, और क्रिश से कहते है - चल रे नाली के कीड़े साहब ने तेरे को बुलाया है। 

क्रिश ( सहज लहजे में और धीमी धीमी रफ्तार से ) इज्जत से बात करो भाई मैं भी तुम्हारी तरह इनसान हूँ। 

पुलिस वाला - अच्छा तू भी इनसान है पर शक्ल से तो नहीं लगता। हा हा हा ! 

क्रिश - हँसो मत नसा उतर जाता है, और जब नसा उतर जाता है तो मुझे तकलीफ होती है । 

पुलिस वाला - ए हलकट तकलीफ तो तुझे तब होगी जब साहब तेरा तंदूरी चिकन बनायेंगे, और तेरे बैक पर बुलैट की बारिश होगी। 


यह कहकर वो क्रिश के बाल पकड़ते है, बाल पकड़ते ही क्रिश आवेश में खड़ होता हे तो दोनों पुलिस वाले जमीन से एक एक फिट ऊपर उठ जाते हैं, क्योंकि क्रिश का शरीर बहुत विशालकाय है। इससे पहले कि बात आगे बढ़ती साहब वहाँ आ जाते हैं। 

साहब - रुको क्रिश यह दोनों यहाँ नये हैं। 

क्रिश - मैं जानता हूँ साहब इसलिये सिर्फ खड़ा हुआ था, अंगड़ाई नहीं ली। यह कहते हुए क्रिश अंगड़ाई लेता है तो तेज की हवा चलने लगती है। 


यह देखकर वो दोनों पुलिस वाले भौचक्का से रह जाते हैं, और वो समझ जाते हैं कि क्रिश कोई शक्तिशाली आदमी है।

साहब - क्रिश हमें तुमसे बहुत जरूरी बात करनी है, जिसके लिये तुम्हें हमारे साथ चलना होगा। 

क्रिश - मैं जानता हूँ आप अपने किसी जरूरी काम से ही मेरे पास आय होंगे, इस गन्दी बस्ती में गटर के किनारे मेरा हाल जानने तो आप आओगे नहीं । 

साहब - तो क्या तुम हमारे साथ चलना पसन्द करोगे।

क्रिश - नहीं जाता अगर तुम यहाँ मुझे चैन से रहने देते, वैसे भी मच्छर मारने से ज्यादा मुझे कोक्रोच मारने में मजा आता है। 


बात खत्म करके वो सभी लोग क्रिश के साथ पुलिस स्टेशन के मीटिंग रुम में पहुँच जाते हैं, जहाँ पहले से ही कुछ आला अधिकारी मौजूद हैं, जो किसी विशेष घटना पर चर्चा कर रहें हैं, और सभी के चेहरे पर बेचैनी और उदासी थी, पर क्रिश के आते ही सब राहत की साँस लेते है। साहब क्रिश को समझाना शुरू करते हैं । 

साहब - देखो क्रिश हम सब जानते हैं तुम्हारे साथ -- क्रिश उनको बीच में ही रोक देता है, और खुद बोलना शुरु करता है  

क्रिश - मतलब की बात कीजिये साहब , पुरानी कहानी पढ़ने का  ना तो मुझे शौक है और ना ही मुझे  दिलचस्पी है। 

साहब - मतलब की बात तुम अच्छी तरह जानते हो, वो सनकी बुड्ढा पिछले 12 घण्टों से चैरिटी हाउस में घुसा पड़ा है। जहाँ हर किस्म के लोग हैं बच्चे, बूढ़े, औरतें, दिव्यांग , और वहाँ मौजूद हर एक की जान बचाने की जिम्मेदारी हमारी है। पर उसने जो जाल बिछाया है उसके आगे हम बेबस हैं। 

क्रिश - कैसा जाल।

साहब - उसने दो बड़े बड़े टेंकर छत के ऊपर रखवा दिये हैं जो कि पेट्रोल से भरे हैं, जिसका एक पाइप वहाँ कैद लोगों के ऊपर लगा हुआ है, और दुसरा पाइप घर में बनाये हुए एक गड्डे के ऊपर लगा हुआ है, जिसमें लगातार आग जल रही है। छत के चारों कोने पर एक - एक आदमी पहरा दे रहा है। एक एक आदमी टेंकर की टंकी के पास है जरा सी भी आहट होने पर वो पेट्रोल की टंकी को खोल देंगे। अगर उन्होंने टंकी खोल दी तो उस घर के साथ साथ पूरा शहर उन आग की लपटो से बच नहीं पायेगा, क्योंकि दो टेंक पेट्रोल पूरे शहर को जलाने के लिये काफी हैं। 


यह सब बाते साहब क्रिश को समझा रहे थे, पर अधिक नशे के कारण क्रिश तो कुर्सी पर बैठे बैठे ही सो जाता है। साहब उसको उठाते हैं और कहते है - कितने लापरवाह हो गये हो तुम क्रिश वहाँ सैकड़ों मासूमों की जान के लिये हमारा दिल बैठा जा रहा है और तुम्हें नींद आ रही है। 

क्रिश जोर जोर से हँसता है। कुछ पल हँसने के बाद वो कहता है कि दिमाग पर जोर डालिये साहिब छ: महीने पहले आप सभी लोग ऐसे ही सो रहे थे। यहाँ मौजूद हर एक के आगे मैंने नाक रगड़ी थी, रोया था, गिड़गिड़ाया था पर आप सभी से मुझे निराशा के सिवा कुछ ना मिला था। 


क्रिश की बात सुनकर सभी के दिमाग में छ: महीने पहले की तस्वीरें आनी शुरू हो जाती हैं, जिसमें कि क्रिश सभी से मदद की गुहार लगा रहा है पर सभी उससे मुँह फेर लेते है, और कोई ना कोई बहाना करके उसे अपने से बड़े अधिकारी के पास जा‌ने को कहते हैं। क्रिश की पुरानी बाते याद करके सभी के सिर नीचे झुक जाते हैं।

क्रिश ( झूठी हँसी हँसते हुए) - बहुत अच्छा लग रहा है तुम सब लोगों के निराश चेहरे देखकर। ऐसे ही निराश चेहरे लेकर उस सनकी के पास चले जाइए हो सकता है उसको दया आ जाये।

सभी लोग मौन थे, पश्चाताप के आँसू सभी के चेहरों पर साफ दिखाई दे रहे थे। क्रिश फिर जोर जोर से हँसता है। वहाँ मौजूद हर एक का चेहरा देखकर एक जोर का ठहाका लगाता है, और कहता है बहुत मजा आ रहा है तुम लोगों को यूँ लाचार देखकर। 

क्रिश - अब रोना बन्द कीजिए और बताइए वो सनकी चाहता क्या है। और जो वो चाहता है तुम उसे वो चीज दे क्यूँ नहीं देते। 

साहब - अगर उसकी चाहत पूरी कर दी तो यह शहर और यह देश तो छोड़ो पूरी दुनिया तबाह हो जायेगी। वो पागल चाहता है कि हम अपने सारे न्यूक्लियर बम अलग अलग देशों पर छोड़ दे, जिससे विश्व युद्ध छिड़ जाये और दुनिया तबाह हो जाये। 

क्रिश - पर तुमने तो कहा था वो पागल है, और इन सबके पीछे उसका कोई खास मकसद।

साहब - हाँ- हाँ वो पागल ही है, और उसका मकसद यह है कि वो खुद को भगवान समझ बैठा है, कहता है कि मैं इस युग का अन्त करके फिर से एक नये युग की रचना करूंगा। 

क्रिश - और क्या उसके बाकी साथी भी पागल हैं। 

साहब - हाँ वो सब भी पागल हैं, वो अपने साथियों से कहता है कि तुम ब्रह्मा, विष्णु, महेश, राम, कृष्ण, और हनुमान हो।

क्रिश - चिन्ता मत कीजिए एक घण्टे बाद उन पागलों की कैद से सभी आजाद हो जायेंगे। 

साहब - मैं जानता हूँ क्रिश उन पागलों को सिर्फ तुम ही सबक सिखा सकते हो, पर खयाल रहे कोई भी बेगुनाह मारा ना जाये। 

क्रिश - वादा करता हूँ साहब कोई गुनाहगार भी नहीं मारा जायेगा। 


यह कहकर क्रिश वहाँ से हवा की गति से चला जाता है, और चैरिटी हाउस के चारों ओर चक्कर लगाता है। वहाँ का नजारा वैसा ही था जैसा कि साहब ने बताया था। क्रिश को इस जाल में कैद लोगों को बाहर निकालने की कोई युक्ति नहीं सूझ रही थी, तभी उसकी निगाह एक बहुत बड़ी पानी के टेंक पर पड़ती है। क्रिश उस टेंक को जमीन से उखाड़ लेता है, और वहीं ले जाता है जहाँ वो पागल लोगों को कैद किये हुए है। छत पर पहरा दे रहे लोग एक दूसरे के आमने सामने देख रहें है। क्रिश टंकी को धीरे धीरे ऊपर से नीचे छत की तरफ ले आता है, और जब थोड़ा ही फासला बचता है, तो क्रिश अपने मुक्के से उस टंकी में एक सुराख कर देता है। सुराख होते ही टंकी का पानी बहुत तेजी के साथ नीचे गिरता है और तेज प्रेशर से निकलता हुआ पानी उस आग को बुझा देता है। उन पागलों के पास कोई भी हथियार नहीं है पर आग जलाने के कई साधन हैं चूंकि पेट्रोल से तो पानी में भी आग लग जाती है, पर  इससे पहले कि पहरा दे रहे लोग कोई दुसरा प्रयास कर पाते, क्रिश टंकी को जमीन से टिका देता है, और दोनों टेंको को हवा में उछाल देता है। हजारों फिट की ऊँचाई पर जाकर दोनों टेंक आपस में टकराकर फट जाते हैं। आसमान में चारों तरफ आग ही आग दिखती है पर उस आग से अब किसी को कोई नुकसान नहीं है, और उन पागलों को पुलिस पकड़कर ले जाती है। 


तो इस तरह एक भयानक दुर्घटना का शुरुआत से पहले ही क्रिश के कारण अन्त हो गया। इस घटना में बचने वाले लोगों की मुस्कान क्रिश को प्रभावित करती है। पर यह तो क्रिश की जीवन की कहानियों से जुड़ा एक छोटा सा किस्सा है। अभी तो पूरी कहानी बाकी है, वो कहते है ना कि दुनिया में दुष्टो की कमी नहीं गालिब एक ढूंढो तो हजार मिलते हैं।  


अब सवाल यह उठता हे कि क्रिश की ऐसी हालत का जिम्मेदार कौन है, कभी कभी क्रिश भी यही सोचता है, और आज इतनी सारी जाने बचाने के बाद भी उसके चेहरे पर जरा सी भी खुशी या फिर मुस्कान नहीं दिखाई दी वो खुद को अकेला महसूस कर रहा है। क्रिश कुछ पुरानी यादों की काली परछाइयों के बीच घिरा हुआ अपने अतीत के बारे में सोच रहा है। तो ऐसा क्या हुआ था क्रिश के जीवन में जो कि वो जानवरों से बद्त्तर जिन्दगी जी रहा है। यह हम जानेंगे अगले भाग में। 

 

क्रमशः            


  



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