Kawaljeet Gill

Tragedy

5.0  

Kawaljeet Gill

Tragedy

करे तो क्या करें

करे तो क्या करें

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घर से दूर आकर वो नौकरी कर रहा था

उसका जॉब ही कुछ ऐसा था कि

उस वक्त पर्सनल कॉल्स नही ले सकते थे

इतने बड़े शहर में अकेला रहना

अपने काम खुद करना पैसे कमा के घर भेजना

घर पर लौटते ही भूख के मारे जान निकल जाती उसकी

खुद कुछ बनाना पड़ता खुद दस काम और निपटाओ

उसपर ये फ़ोन की घंटिया बजने का सिलसिला शुरू हो जाता

नौकरी के लिए कर्ज लेकर आया था किसी पराये देश में

कभी एक का फ़ोन कभी दूजे का फ़ोन

जिंदगी ने परेशान कर दिया एक तो दो दो शिफ्ट काम करो

ऊपर से यह फ़ोन कॉल पीछा नही छोड़ते

प्रेमिका अपना रोना रोती रहती

माँ बहन अपना दोस्तो को हर पल शिकायत रहती

बेचारा भला मानुष क्या करे

उसकी प्रॉब्लम कोई समझ नहीं रहा था

दिल मे उसके बार बार आता कि बस अब और नहीं


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