कोरोना वैक्सीन का भूत (भाग 4)
कोरोना वैक्सीन का भूत (भाग 4)
धीरज चाय बनाते हैं ,और दोनों बैठकर चाय पीते हैं , मीरा अब ठीक हैं ,धीरज मीरा को आराम करने को कहकर दूसरे कमरें में बच्चों के पास आ जातें हैं , उनके साथ खेलने लगते हैं। उधर मीरा आराम करने के लियें लेट जाती हैं ,और सोच रही हैं ,कि उसने आज फिर से धीरज को निराश कर दिया , पर मैं भी क्या करती , दिमाग से डर निकल ही नही रहा , क्या करूँ , परेशान हो गई हूँ अपने आप से ,कब नींद आ गई पता भी नहीं चला ,कुछ देर बाद धीरज कमरें में आया , तो देखा मीरा सो रही हैं ,उसने सोचा चलों कुछ देर आराम करेगी , तो अच्छा रहेगा उसके लिए ,मोबाईल लेकर अपनी माँ को फोन करता हैं , आज हुई घटना के बारे में बताता है.
माँ कहती हैं कि "परेशान ना हो ,मैं मीरा से बात करुँगी ,"
तब तक मीरा भी नींद से जाग जाती हैं ,और खाने की तैयारी में लग जाती हैं ,सब लोग साथ बैठ खाना खाते हैं , बच्चों को सुलाने के बाद , मीरा , धीरज के पास आती है ,धीरज ऑफिस के किसी काम में व्यस्त हैं ,मीरा पास आकर बैठ जाती है,मीरा को पास बैठा देख , धीरज ..लैपटॉप बंद कर देता है , मीरा से बात करता है.,
"क्या हुआ मीरा सोई नही अब तक ,"
"नही नींद नहीं आ रही , तुमसे कुछ बात करनी थ। "
"अरे हाँ ,बोलों , क्या बात है , इसमें पूछने वाली क्या बात है ,कहो ,"
धीरज का हाथ अपने हाथों में लेते हुए ,
"सुनों ...मुझें माफ़ कर दो ,मुझें ऐसे नही करना चाहिए था ,पर पता नही मुझें क्या हो गया था , मैं अपने डर से बाहर नहीं निकल पा रही हूँ ,मैने जानबूझ कर ऐसा नही किया , बस खुद ही हो गया ,कृपया क्षमा करें ,आगें से ऐसा नही होगा ,कहते हुए मीरा का कंठ भर आया ,फफक कर रो पड़ी."
धीरज ने उसे चुप करते हुए बाहों में भर लिया ,और डांटते हुए कहा ,
" एकदम चुप , रोना नही ,एक भी आँसू बाहर नहीं आना चाहिए , रोना बहुत गलत बात है ,बहादूर बच्चे कभी रोते नही , अब कोई वैक्सीन नही लगेंगी ,
ठीक है..चलों सोने चलते हैं ,फिर सुबह जल्दी उठना ह"
दोनों एक - दूसरे को शुभरात्रि बोल कर सो जाते हैं ,
अगले दिन सुबह मीरा समय से जाग जाती हैं ,और जल्दी - जल्दी घर का सारा काम निपटा लेती है।
"सुनों ...."
"कहो ...."
"मैं क्या कह रही थी ,आप आज ऑफिस से छुट्टी ले लें ,"
"भई , क्या हुआ "
"वैक्सीन लगवाने चलते हैं ,"
"नही भई , अब कोई वैक्सीन नही लगेगी , फ़ालतू में लेने के देने पड़ जायेंगे ,अब नही लेकर जाऊंगा कही"
"कृपया ऐसा ना कहें , इस बार कुछ नही होगा , मैं अपने डर को बुरी तरह से मात दूँगी ,आप देखना ,बस ,आखिरी बार ,विश्वास करके देख लो , कोई सैतानी नही होंगी ,इस बार."
"अच्छा , ठीक है"
"देखते हैं"
"जी "
" अब देखना है , धीरज मीरा को वैक्सिनेशन के लिए लेकर जाता है,या नहीं , आगे क्या होता है...."