कोरोना वैक्सीन का भूत (अंतिम )
कोरोना वैक्सीन का भूत (अंतिम )
धीरज किसी को फ़ोन करते हैं , मीरा को तैयार होकर चलने को कहते हैं , मीरा फ़टाफ़ट तैयार हो जाती है और धीरज से कहती हैं ,
"सुनों .."
"चलों ..."
और दोंनो गाड़ी में बैठकर चल देते हैं ,
"अब भी अच्छे से सोच लो , वापस घर लौट जायेंगे"
"सोच लिया ,आज हर हाल में वैक्सीन लगवानी ही हैं। आज या तो मैं नही या डर नही ,में से एक ही रहेगा ,इस संसार में कुछ भी असम्भव नही होता ,दृढ़ ईच्छाशक्ति से सब सम्भव हैं ,आज खाली हाथ घर वापसी नही होंगी ,डर पर विजय प्राप्त करने के बाद ही होंगी।"
"शाबाश ....मेरी शेरनी .....यही जज्बा होना चाहिए ,एक फौजी की बीबी में" ,इधर - उधर की बातें करते हुए , दोनों अस्पताल पहुँच जातें हैं ,
धीरज ने पहले ही डॉक्टर से बात कर ली थी ,इसलिए जाते ही मीरा को डॉक्टर के कैबिन में भेज दिया जाता है ,घबराते हुए अंदर जाकर कुर्सी पर बैठ जाती है ,घबराहट के मारे कांप रही हैं , पर कुछ बोल नही रही हैं ,होंठो को भिंच रखा है , डॉक्टर ने सबसे पहले बी पी चैक किया , जो काफी बढ़ा हुआ था ,
इसलिए डॉक्टर ने डोज लगाने से मना कर दिया ,कुछ देर बाद आने को कहा ,दोनों बाहर आ गए ,
धीरज ..मीरा को समझा रहे हैं ,
"देखो मीरा अपने दिमाग़ को थोड़ा शांत रखों ,कुछ नहीं होगा ,चलों माँ से बात करते हैं , तुम्हें अच्छा लगेगा।"
धीरज माँ को फ़ोन लगाकर मीरा को दे देते हैं ,
"मीरा.."
माँ से बात करने के बाद थोड़ा शांत हैं ,और लम्बी- लम्बी सांसे ले रही है ,ताकि खुद को सामान्य रख सके। "
"मीरा अब कैसा महसूस कर रही हो तुम ?"
"काफी हद तक अच्छा।"
"चलों अब चलते हैं ,"
"पक्का ..."
"पक्का .."
दोनों फिर से डॉक्टर के कैबिन में जातें हैं ,मीरा आँखे बंद करके बैठ जाती है,डॉक्टर और धीरज दोनों मिलकर मीरा को बातों में उलझा कर रखते हैं ,
डॉक्टर धीरे से मीरा को वैक्सीन लगा देते हैं , हल्का सा दर्द होता है,बस ,और मीरा जोर से चिल्लाती हैं ,आ ...पापा ...धीरज हँसते हुए ,चलों पापा को घर चलकर याद करना , वैक्सीन लग गई हैं ,और दोनों घर वापस आ जाते हैं ,
"मीरा अब कैसा लग रहा है?"
"ठीक हूँ"
"वैक्सीन का भूत भागा या नही ,या अब भी कुछ डर बाकी है। "
"भूत को तो मार गिराया , बच ही गई आखिर"
"हाँ ,आपने तो वैक्सीन के बहाने मारने का पूरा जुगाड़ लगाया था ,पर मैं बच गई"
"तो क्या हुआ ,इस बार बच गई ,अभी तो दूसरी डोज भी बाकी है "
"ऐं...."
"मजाक कर रहा हूँ यार ...."
और दोनों एक - दूसरें की तरफ देखकर खिलखिला कर हँस पड़े .. अपने डर को बुरी तरह से हराने की ख़ुशी मीरा के चेहरे पर साफ़ दिखाई दे रही थी.
