नारी तेरी कहानी
नारी तेरी कहानी
कावेरी आज बहुत खुश है, जल्दी जल्दी घर के सारे काम निपटाने में लगी है,काव्य सम्मेलन का बुलावा जो आया है,
घरेलू कार्यों से निवृत होकर झटपट तैयार होकर सम्मेलन भवन पहुँच जाती हैं, पूरी चहल पहल है यहाँ , कुछ लोग पहले से आ चुके है, कुछ अभी आ ही रहे है,
थोड़ी देर में सब लोगों के आने के बाद
अतिथि के स्वागत की तैयारी में जुट गए है सब,
अतिथि के तौर पर पास के गाँव की बेटी जो कलेक्टर नियुक्त हुई है , उसे बुलाया गया है,
कुछ देर में कलेक्टर साहिबा पहुँच गई है, कुछ गणमान्य लोगों को भी आमन्त्रित किया गया है, अध्यापकों के अलावा कुछ विद्यार्थी भी आये है, काव्य पाठ करने, कुछ लड़कियों ने दीपक से आरती उतारी, तिलक लगाया, स्वागत गीत गाया, मुँह मिठा कराया,
किसी ने फूलों का गुलदस्ता देकर स्वागत किया,
तभी बीच में से एक महाशय निकल कर आये एक फूल माला कलेक्टर साहिबा के गले में डाल दी, वे बेचारी तो हक्का बक्का रह गई, कुछ कहा नही,
ये देखकर वहां मौजूद सभी लोग ताली बजाकर जोर से हँस पड़े, एक ने कहाँ डाल दी भाई जयमाला, बाकि लोगों ने हाँ में हाँ मिलाई, सारा हॉल हँसी के ठहाकों से गूंज उठा,
खामोश बैठी वहाँ मौजूद चन्द महिलाएं ,
कावेरी भी उस सबका हिस्सा बन मूक दर्शक बनी रही बिना कुछ कहे, आज फिर भरी सभा मे द्रोपदी का चिर हरन कर उसे अपमानित किया गया,
समाज चाहे कितनी बड़ी बड़ी बाते कर ले, बराबरी की, महिलाएं हमेशा ही अत्याचार का शिकार होती आई है,
स्वागत सत्कार के बाद सबने अपना स्थान ग्रहण किया,
कार्य क्रम शुरू हुआ कब खत्म हुआ, कावेरी को कुछ पता नहीं, बस यही सोचती रही,
" नारी तेरी कहानी होठों पर हँसी आँखों में पानी "
