मज़ाक वही अच्छा जो किसी को आहत न करे। आखिर ये ज़िन्दगी खेल तो नहीं ! मज़ाक वही अच्छा जो किसी को आहत न करे। आखिर ये ज़िन्दगी खेल तो नहीं !
अपना काम अगर पड़ता है तो आपके कदमों में बिछ बिछ जायेंगे। अपना काम अगर पड़ता है तो आपके कदमों में बिछ बिछ जायेंगे।
उसका एक ही नारा था। "इंतजार किसका नारी खुद बनेगी आशा की किरण।" उसका एक ही नारा था। "इंतजार किसका नारी खुद बनेगी आशा की किरण।"
वह कोलकाता को तब से जानती थी , जब कोलकाता कलकत्ता था और सारा शोनाली। वह कोलकाता को तब से जानती थी , जब कोलकाता कलकत्ता था और सारा शोनाली।
कानी मां को वह भूल जाना चाहता था। कानी मां को वह भूल जाना चाहता था।
हमेशा मां उसको उसकी गलती का ही अहसास करवाते हुए घर को शांतिपूर्वक चलाने के लिए ही प्रवचन देती हमेशा मां उसको उसकी गलती का ही अहसास करवाते हुए घर को शांतिपूर्वक चलाने के लिए ह...