मतलबी आदमी

मतलबी आदमी

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आज की कहानी कुछ अलग है, हमारे ढेर सारे, दोस्त हैं, उसमें यह किरदार भी है। लोगों का इलाज करते हैं। हमें उस से कुछ नहीं लेना देना, पर उनका मिज़ाज समझ नहीं आता है।

आप से ग़लती से कभी हाल चाल नहीं लेंगे। लेकिन अपना काम अगर पड़ता है तो आपके कदमों में बिछ बिछ जायेंगे। काम पूरा कर दिया तो आपको पहचानेंगे नहीं। यह अनुभव तो आप सब लोग करते ही है। ऐसे लोग हमारे समक्ष में भरे पड़े हैं। और हमलोगों को ऐसे लोगों से दूर रहना चाहियें।

अब इनके साथ जो हमारा अनुभव था उससे हम हिल गये थे। इनके पिताजी बीमार पड़े तो हमने रात दिन एक कर दिया और शायद हमें यही करना चाहिये था, यह बड़ा ही विकट समय था उस परिवार पर। हालत कभी सुधरती कभी बिगड़ती।

24 घंटा हमारा वही बीतता। महीने भर यह सब चला हमने उस परिवार को अपना समझने कि ग़लती कर दी। एक दिन महोदय ने अचानक से हमको अपमानित करते हुए वहां से जाने को कहा। हम को कुछ समझ में ही नहीं आया कि हुआ का है, बाद में कुछ दिनों बाद उनके पिताजी चल बसे वहां तो हम गये फिर बिलकुल हम हट गये।

बाद समझ में आया कि उस परिवार के कुछ राज थे वह हमको पता चलने का उनको डर हो गया था। या उनके पिताजी का जाना हमें सहन नहीं होता, इसलिये हमको हटा दिया गया। पर एक चीज तो तय है कि हद से अधिक किसी के लिये करना चाहिये की बाद में वह आपको कुछ ना समझे।

बहुत अधिक लगाव तकलीफ़ ही देता है।


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